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Documentary Elephant Whisperers: फिल्म की नायिका ने कहा- मुझे ऑस्कर के बारे में नहीं पता, मैं सिर्फ हाथियों को जानती हूं

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Published : Mar 13, 2023, 6:40 PM IST

Documentary Elephant Whispers gets Oscar

भारत में बनी डॉक्यूमेंट्री एलिफेंट व्हिस्परर्स को ऑस्कर से सम्मानित किया गया है. लेकिन इस उपलब्धि के बारे में इस डॉक्यूमेंट्री की नायिका बेली को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. लेकिन ईटीवी भारत ने उनसे बात की.

डॉक्यूमेंट्री एलिफेंट व्हिस्परर्स को मिला ऑस्कर

चेन्नई: डॉक्यूमेंट्री एलिफेंट व्हिस्परर्स को ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के रूप में चुना गया है. डॉक्यूमेंट्री की अभिनेत्री बेली, विश्वव्यापी मान्यता के गौरव को महसूस किए बिना जंगल में रह रही हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने ट्वीट किया है कि पूरी तरह से भारतीय प्रोडक्शन के लिए ऑस्कर जीतने वाली दो महिलाओं से बेहतर सुबह नहीं हो सकती. डॉक्यूमेंट्री एलिफेंट व्हिस्परर्स हाथियों के दो बच्चे और उनके रखवालों के बीच प्यार की लड़ाई के बारे में है.

अपनी मां और झुंड को खोने के बाद हाथी के दो बच्चों ने वन विभाग की शरण ली. वन विभाग का कहना है कि छोटे हाथियों को उतनी आसानी से नहीं वश में किया जा सकता, जितना कि बड़े हाथियों को, लेकिन दिखने में बड़े होते हुए भी उनमें एक छोटा बच्चा होने और स्नेह की लालसा रखने की विशेषता होती है. यही कारण है कि एक महिला को इन दोनों बच्चों को पालने की जिम्मेदारी दी जाती है, जो अपनी मां से अलग हो गए थे.

बेली नाम की एक महिला जिसने अपने पति को बाघ के हमले में खो दिया था, हाथियों की दत्तक मां बन जाती है. वह पहली बार मां बनती है और सत्यमंगलम वन से आए रघु नाम के हाथी को पालने लगती है. रघु भी छोटे बच्चे की तरह उसके चारों ओर घूमता रहता है. वहीं मामले में बोम्मी नाम के हाथी के बच्चे ने बेली की शरण ली. पोम्मन नाम का व्यक्ति, जिसने अपनी पत्नी को खो दिया था, हाथियों को पालने के कार्य में शामिल हो जाता है और वह बेली से शादी कर लेता है. इसके बाद हाथियों के बच्चों ने स्वयं अपने माता-पिता को चुना लिया.

एलीफेंट व्हिस्परर्स दो लोगों के बारे में एक वृत्तचित्र फिल्म है जो हाथियों के लिए जीते हैं और हाथियों से जुड़े हुए हैं. मुदुमलाई कैंप के निवासी बेल्ली ने ईटीवी भारत से डॉक्यूमेंट्री की ऑस्कर जीत के बारे में बात की. पेली को याद है कि जब उसने पहली बार रघु नाम के हाथी के बच्चे को देखा तो उसकी पूंछ कट गई थी और वह दयनीय स्थिति में था और अपने पति बोम्मन के सहयोग से उसने उसे एक बच्चे की तरह बचाया. इसके बाद वह कहती हैं कि उन्होंने बोम्मी की देखभाल कर उसे भी बचाया था.

आदिवासी मूथ परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेली कहती हैं कि उन्होंने हाथियों के मां विहीन बच्चे को अपने बच्चे जैसा पाला है, और कहती हैं कि यह उनके खून में है, क्योंकि उनके पूर्वजों ने भी यही व्यवसाय किया था. बेली खुलकर कहती हैं कि उन्हें ऑस्कर के बारे में कुछ नहीं पता. उन्होंने कहा कि कार्तिकी ने सरकार से मंजूरी मिलने के बाद डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए उनसे संपर्क किया था. वह कहती हैं कि कार्तिकी ने केवल फिल्माया कि वे हाथियों के साथ कैसे बातचीत करते हैं और उन्हें कैसे नहलाते हैं, आदि.

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बहरहाल, अब बधाई की बारिश में सराबोर बेली का कहना है कि उन्हें न सिर्फ खुद पर बल्कि मुदुमलाई कैंप पर भी गर्व है. अब भी बेली के पति एक घायल हाथी को बचाने के लिए सलेम गए हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि हाथियों को कैसे पाला जाता है, एक बार जब वे एक निश्चित उम्र तक पहुंच जाते हैं, तो हाथियों को बेली और बोम्मन जोड़े से अलग करके ले जाया जाता है. भले ही वह इसे मानसिक रूप से सहन नहीं कर सकती, बेली बेसब्री से अगले बच्चे के लिए दरवाजे पर इंतजार करती हैं, जो उनकी तलाश में आएगा.

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