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धामी सरकार ने योग पॉलिसी को लेकर तेज की 'कसरत', नीति लागू करने वाला पहला प्रदेश बनेगा उत्तराखंड

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2024, 10:44 AM IST

Updated : Jan 11, 2024, 3:51 PM IST

Uttarakhand Yoga Policy धामी सरकार उत्तराखंड को आयुष और वेलनेस डेस्टिनेशन बनाने पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में धामी सरकार उत्तराखंड में योग नीति लाने जा रही है. जिसके लिए सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं. उत्तराखंड में योग पॉलिसी को लेकर दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं. जल्द ही एक और बैठक स्टेक होल्डर्स के साथ की जायेगी. जिसमें योग नीति को लेकर विस्तार से फाइनल चर्चा की जाएगी.

Uttarakhand Yoga Policy ​
धामी सरकार ने योग पॉलिसी को लेकर तेज की 'कसरत'

धामी सरकार ने योग पॉलिसी को लेकर तेज की 'कसरत'

देहरादून (उत्तराखंड): बीते कुछ सालों से दुनियाभर में योग को लेकर खासा क्रेज देखा जा रहा है. दुनियाभर में योग को आगे बढ़ाने का श्रेय भारत को जाता है. भारत में भी अगर बात करें तो योग के लिए अधिकतर लोग ऋषिकेश का रुख करते हैं. भारत में उत्तराखंड को योग सेंटर के रूप में जाना जाता है. इसके बाद भी आज तक उत्तराखंड के पास कोई योग पॉलिसी नहीं है. जिसे देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार ने योग पॉलिसी तैयार करने का फैसला किया है. योग के लिए पॉलिसी बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला प्रदेश होगा.

ऋषिकेश को माना जाता है विश्व की योग राजधानी:ऋषिकेश शहर को विश्व की योग राजधानी कहा जाता है. जिसके पीछे की तमाम वजहें हैं. दरअसल, ऋषिकेश का प्राकृतिक वातावरण, चारों तरफ हिमालय पर्वत की शृंखलाएं, गंगा की बहती धारा, योग और साधना के लिए एक बेहतर स्थान है. ऋषिकेश में मौजूद तमाम प्राचीन आश्रम, मंदिर और मठ लोगों को अध्यात्म का ज्ञान देते हैं. माना जाता है कि प्राचीन काल से ही श्रेष्ठ ऋषि मुनियों ने यहां योग और ध्यान किया. इसके साथ ही ऋषिकेश के गली मोहल्लों में योग विद्यालय, सेन्टर मौजूद हैं जो वैदिक योग की जानकारी देते हैं.

देवभूमि से योग संदेश

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21 जून को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस:कहा जाता है कि 1960 के दशक में बीटल्स, ऋषिकेश के पास योग अभ्यास करने के लिए आये थे. जिसके बाद से ही ऋषिकेश को योग नगरी कहा जाने लगा. यही नहीं, ऋषिकेश चारधाम यात्रा के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. ऋषिकेश से ही चारधाम यात्रा गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ धाम की शुरुआत होती है. हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लम्बा दिन होता है. बता दें 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों ने 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. जिसका प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मुख रखा था. जिसके बाद 21 जून 2015 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया.

उत्तराखंड में साल 2018 में योग महोत्सव का आयोजन:साल 2014 में 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' मनाने के प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद साल 2015 में दिल्ली राजपथ पर पहली बार बड़े स्तर पर योग महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी शामिल हुए. इसके बाद साल 2016 में चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स, साल 2017 में लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर सभा स्थल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसके बाद साल 2018 में देहरादून के एफआरआई में योग महोत्सव का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमे पीएम नरेंद्र मोदी ने हजारों लोगों के साथ योग किया. इसके बाद हर साल योग दिवस के अवसर पर अन्य राज्यों में आयोजन किए जाते रहे हैं.

योग है खास

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क्या कहती हैं उत्तराखंड की योग ब्रांड एंबेसडर:उत्तराखंड की योग ब्रांड एंबेसडर दिलराज प्रीत कौर ने बताया सरकार तमाम नीतियां प्रख्यापित करने जा रही है. जिसमे एक नीति 'योग एवं नेचुरोपैथी' भी है. इस नीति का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है. इस नीति के आने बाद योग एवं नेचुरोपैथी के सेंटर खुलेंगे. जिससे योग प्रशिक्षकों को रोजगार मिल सकेगा. दिलराज प्रीत ने कहा योग पॉलिसी का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है. उन्होंने कहा सरकार, योग पॉलिसी तैयार करते हुए इस चीज पर ध्यान दे कि योग और नेचुरोपैथी दोनों से लोगों को रोजगार मिल सके. उन्होंने बताया योग और नेचुरोपैथी दोनों ही अलग अलग कोर्स हैं.

उत्तराखंड की योग ब्रांड एंबेसडर दिलराज प्रीत कौर

योग से प्रदेश की आर्थिकी होगी मजबूत:वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा उत्तराखंड में योग की अपार संभावनाएं हैं. सबसे बड़े योगाचार्य भगवान शिव थे. उन्होंने कहा हर साल 21 जून को योग महोत्सव मनाया जाता है. यह सिर्फ एक दिन के लिए ही सीमित रह जाता है. ऐसे में अगर उत्तराखंड सरकार स्थाई नीति बना रही है तो वह एक अच्छी बात है. योग नीति व्यवहारिक होनी चाहिए. योग के लिए ऋषिकेश ही सिर्फ उपयुक्त नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इसकी संभावनाएं हैं. प्रदेश के स्कूलों में भी योग शिक्षा दी जानी चाहिए. योग से न सिर्फ शरीर फिट होता है बल्कि यह संस्कार भी देता है. जय सिंह रावत ने कहा योग के क्षेत्र में सरकार बेहतर काम करती है तो उससे प्रदेश की आर्थिकी भी मजबूत होगी.

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ठोस योग पॉलिसी तैयार कर रही सरकार:धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा योग की विधाएं और संस्कृति पद्धति पर जोर देंगे तो उससे जनता को काफी फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा योग के नाम पर लोगों ने अपनी अपनी विधाएं बना ली हैं, जो योग की मूल विधाएं हैं उसका भी प्रचार प्रसार होना चाहिए. महाराज ने कहा सरकार नीति बनाने के लिए तमाम चीजों का संकलन कर रही है. उन्होंने कहा सरकार की कोशिश है कि प्रदेश की ठोस योग पॉलिसी बने.

योग नीति के लिए तैयार किया जा रहा फ्रेम वर्क:योग नीति पर जानकारी देते हुए आयुष सचिव डॉ पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया योग को लेकर कोई फ्रेम स्ट्रक्चर कहीं पर नहीं है. उन्होंने बताया देशभर में किसी भी राज्य के पास योग नीति नहीं है. ऐसे में सरकार जो योग पॉलिसी तैयार कर रही है उसे काफी विस्तृत रूप से तैयार किया जा रहा है. जिसमें योग में क्या क्या जरूरत है? ट्रेनिंग में क्या क्या जरूरत होती है? प्रशिक्षकों की क्या क्या जरूरतें होती हैं? कौन सीख सकता है? किस लेवल पर ट्रेनिंग होगी, साथ ही काउंसिल बनाने का प्रावधान, योग सेंटरों को मान्यता देना, कोर्स तय करना, यूनिवर्सिटी का क्या रोल होगा, प्राइवेट सेक्टर की क्या भागेदारी होगी इन सभी चीजों को योग नीति में समाहित किया जा रहा है.

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योग गुरु बाबा रामदेव से मांगे गये सुझाव:उन्होंने बताया सरकार इस योग पॉलिसी के जरिए योग क्षेत्र का एक सिस्टम डेवलप करने पर जोर दे रही है जो भविष्य में राज्य को योग डेस्टिनेशन बनने के क्षेत्र में सहयोग करे. योग नीति के लिए बाबा रामदेव से भी सुझाव मांगे गए हैं. बाबा रामदेव से जो सुझाव मिलेंगे उनको भी पॉलिसी में समाहित किया जाएगा. सचिव पंकज कुमार ने बताया योग पॉलिसी को लेकर दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं. ऐसे में जल्द ही एक और बैठक स्टेक होल्डर्स के साथ की जायेगी, जिसमें नीति को लेकर चर्चा की जाएगी.

Last Updated : Jan 11, 2024, 3:51 PM IST

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