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जल रहा है बक्सर, तेजस्वी यादव बोले- मुझे तो पता ही नहीं है

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Published : Jan 11, 2023, 8:57 PM IST

बक्सर के चौसा में बवाल देखने को मिल रहा है. पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने हैं. ग्रामीणों का उग्र रूप भी देखने को मिल रहा है. हालांकि जब इस मसले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछा गया तो उन्होंने मामले पर अनभिज्ञता जाहिर की. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Tejashwi Yadav Etv Bharat
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तेजस्वी यादव का बयान.

पटना : बक्सर में मुआवजे को लेकर जमकर बवाल हुआ (Clash In Buxar) है. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो ग्रामीण भी उग्र हो (Lathicharge In Buxar Chausa) गए. इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गयी है. हालांकि इस मामले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) ने कहा है कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है. फिर भी वह अपने स्तर से मामले को दिखा रहे हैं.

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''ये तो मामला देखना पड़ेगा कि क्या है? मुआवजा को लेकर अगर मामला है तो वर्तमान परिस्थिति किया है. इसके पीछे क्या वह है इसको हमलोग दिखवाएंगे.''- तेजस्वी प्रसाद यादव, उपमुख्यमंत्री, बिहार

बक्सर में पुलिस और ग्रामीणों में भिड़ंत :दरअसल, बक्सर में करीब 10 हजार करोड़ की लागत से 1320 मेगावाट का चौसा में थर्मल पावर प्लांट (Chausa Thermal Power Plant) का निर्माण हो रहा है. आज किसानों ने यहां पर हमला कर दिया. इस दौरान पुलिस की गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया. यही नहीं एसजेवीएन की तीन बस, पुलिस के वज्रवाहन और फायर ब्रिग्रेड की गाड़ी को जलाकर राख कर दिया.

किसानों की क्या है मांग :बक्सर के चौसा में एसजेवीएन द्वारा पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था. 2010-11 में ही उसवक्त के समय के अनुसार भुगतान किया गया था. हालांकि कंपनी 2022 में किसानों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू किया. अब किसान वर्तमान दर के अनुसार मुआवजे की मांग कर रहे हैं. पिछले दो महीने से आंदोलन भी चल रहा है. आरोप है कि मंगलवार की देर रात पुलिस ग्रामीणों के घर में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर लाठीचार्ज किया. जिसमें कई लोग घायल हो गए.

यह जातीय जनगणना नहीं जाति आधारित सर्वे : वहीं जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल किए जाने के सवाल पर तेजस्वी का कहना था कि कहां से गलत है? यह जाति आधारित गणना है और भारत सरकार भी जनगणना करा सकती है. राज्य सरकार नहीं करा सकती. इसीलिए यह जातीय जनगणना नहीं जाति आधारित सर्वे है और इससे काफी लाभ होगा. इसमें सिर्फ जाति की गणना नहीं बल्कि आर्थिक हालात क्या है? उसकी भी गणना होनी है.

'गणना कराने में समस्या क्या है?' : तेजस्वी यादव का कहना था कि जब तक आपके पास साइंटिफिक डाटा नहीं होगा, आप काम कैसे करेंगे? योजना कैसे बनाएंगे? इसलिए यह बेहद जरूरी है. कई राज्यों ने पहले कराया था. भारत में 1931- 32 के बाद पहली बार बिहार में हो रहा है. आपके पास तो डाटा होना चाहिए कि क्या स्थिति है? लोगों के लिए कल्याणकारी योजना हम कैसे लाएंगे? कौन लोग गरीब हैं? इसमें सब कुछ पता चलेगा. इसमें गड़बड़ क्या है? अगर यह गड़बड़ है तो आपका सब गड़बड़ है. फिर हिंदू और मुसलमान की गिनती क्यों होती है? अनुसूचित जाति जनजाति की गिनती क्यों होती है? जानवरों की गिनती क्यों होती है ? सभी चीजों की जो गणना होती है. यह बेकार की बातें हैं.

सबकी आर्थिक स्थिति जानने के लिए गणना : तेजस्वी ने कहा कि हम लोगों का मकसद है ग्राउंड रियलिटी को जानना. कौन लोग हैं जो भीख मांगते हैं? वह कौन लोग हैं कचरा ढोने, नाली साफ करने वाले, ठेला चलाने वाला, मजदूरी करने वाले कौन लोग हैं? कौन लोग एक कमरे में अपनी जिंदगी बिताते हैं ? कौन भूमिहीन लोग हैं? यह जब तक नहीं पता चलेगा आप काम कैसे कीजिएगा?

तेजस्वी ने यह भी कहा कि आप गरीबी खत्म कैसे कीजिएगा? आप लोगों को मुख्यधारा में कैसे लायेंगे? सबको बराबरी का मौका कैसे मिलेगा? विधानसभा हो या परिषद हर जगह से दो दो बार पारित हुआ. सर्व सहमति से पारित हुआ. प्रधानमंत्री से भी जब हमने प्रस्ताव रखा मुख्यमंत्री के सामने, उस वक्त बीजेपी भी हमारे साथ थी. विधानसभा के जितने दल हैं सब गए थे. जब भारत सरकार ने मना कर दिया कि नहीं करेंगे तब वापस आकर हम लोगों ने फैसला लिया कि कराएंगे, इसमें कौन सी बड़ी बात है? इसे कराने से पहले बैठक भी बुलाई गई. जिसमें भाजपा के लोग भी शामिल थे. उन लोगों ने भी सहमति जताई थी. उन लोगों ने भी कुछ सुझाव दिए थे. उसके बाद ही काम शुरू हुआ है. यह सब बेकार की बातें हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.

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