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हरियाणा में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा, अदालत ने कहा- ऐसे दुर्दांत अपराधी को जीने का अधिकार नहीं

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2023, 6:01 PM IST

Updated : Sep 16, 2023, 9:04 PM IST

हरियाणा की कैथल जिला अदालत ने 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है. कैथल जिले के इतिहास में पहली बार किसी दोषी को फांसी दी गई है. अदालत ने पीड़ित मां और पिता को 30 लाख रुपये मुआवजा भी देने का आदेश दिया. फांसी की सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे दुर्दांत अपराधी को जीने का अधिकार नहीं है.

Death sentence to rape convict in kaithal
Kaithal District Court

हरियाणा में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा

कैथल: अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉक्टर गगनदीप कौर सिंह की अदालत ने 7 साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद निर्ममता से हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है. कैथल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी दोषी को मौत की सजा दी गई हो. इस बारे में बच्ची के पिता ने 8 अक्टूबर को थाना कलायत में धारा 365, 366, 376-ए बी 302, 201 आईपीसी और धारा 6 पोक्सो एक्ट के तहत केस नंबर 395 दर्ज करवाया था. बाद में जांच के बाद केस में आईपीसी की धारा 376 (3) भी जोड़ी गई थी.

खेलते समय बच्ची को ले गया था दोषी-मामला 8 अक्टूबर 2022 का है. उस समय बच्ची गली में खेल रही थी. जब बच्ची घर वापस नहीं आई तो उसकी तलाश शुरू की गई. कलायत थाने में अपहरण का केस दर्ज करवाया गया. अगले दिन दोपहर 3 बजे बच्ची का अधजला शव निकट के जंगलों में मिला. पुलिस ने मौके पर फॉरेंसिक टीम को बुलाया. इस संबंध में पवन को हिरासत में लिया गया क्योंकि यह युवक सीसीटीवी की फुटेज में बच्ची को अपने साथ ले जाते हुए नजर आ रहा था.

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दुष्कर्म के बाद की थी हत्या- प्रथम दृष्टया आशंका जताई जा रही थी कि बच्ची के साथ हैवानियत करके उसके शव को आग के हवाले किया गया है. पूछताछ में दोषी पवन ने सारी वारदात का खुलासा कर दिया. उसने बताया कि बच्ची से उसने रेप किया. जब बच्ची ने शोर मचाया तो पवन ने मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी. उसके बाद पवन ने सबूत नष्ट करने के मकसद से पेट्रोल छिड़ककर उसके शव को जला दिया. जांच के दौरान पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिला, जिसमें पवन बच्ची को ले जाता हुआ नजर आ रहा है. इसके बाद पवन के खिलाफ हत्या और रेप का केस दर्ज किया गया.

मामले में 34 गवाह पेश हुए- केस की सुनवाई तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत में शुरू हुई. इस केस में 2 नवंबर को चार्ज लगाया गया था. मामले में कुल 34 गवाह पेश किए गए. सरकारी वकील और जिला न्यायवादी जयभगवान गोयल ने बताया कि दिलबाग सिंह और मोहन ने सबसे पहले जंगल में बच्ची की अधजली लाश को देखा था. उसने सीसीटीवी फुटेज में भी बच्ची और आरोपी पवन की पहचान की.

बहस के दौरान गोयल और खुरानिया ने अदालत को बताया कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की कैटेगरी में आता है, इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जाए. दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने भी दृढ़ता से पवन का पक्ष रखा. दोनों पक्षों को गौर से सुनने के बाद एडीजे डॉक्टर गगनदीप कौर सिंह ने पवन को रेप और हत्या का दोषी पाया तथा गवाहों और सबूतों को देखते हुए अपने 100 पेज के फैसले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई.

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पीड़ित मां बाप को 30 लाख मुआवजे का आदेश- अदालत ने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकारण के माध्यम से बच्ची के माता पिता को 30 लाख रुपए मुआवजा भी देने के आदेश दिए हैं. यह मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त अलग अलग अपराधों में दोषी पर 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.

'ऐसे दुर्दांत अपराधी को जीने का अधिकारी नहीं'- फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि ऐसा घिनौना, जघन्य कृत्य करने वाले इंसान को जीने का कोई हक नहीं है. दोषी ने जिस प्रकार बच्ची के साथ दरिंदगी की है वह सहन करने योग्य नहीं है. कानून ने सभी को जीने का अधिकार दिया है. यदि कोई इस अधिकार का हनन करता है तो उसे सबक सिखाना जरूरी है, ताकि दूसरे लोगों को सीख मिले. इस प्रकार का अपराध करने वाले को माफ नहीं किया जा सकता.

पिता बोले- बच्ची को को न्याय मिला है- बच्ची के पिता ने कहा कि आज उसकी बेटी को न्याय मिला है. उसका कानून और न्याय में विश्वास और भी बढ़ गया है. उसने कहा कि अदालत ने बहुत ही समझ बूझ से काम लिया तथा न्याय दिया. उसने गांव के लोगों, सरकारी वकील और अदालत का धन्यवाद किया. आज फैसला सुनने गांव से काफी संख्या में लोग आए हुए थे.

केस की खास बात ये रही कि पुलिस ने मात्र 5 दिन में चालान तैयार करके अदालत में पेश कर दिया था. एक साल से कम समय में अदालत ने फैसला सुना दिया. शिकायत पक्ष की ओर से केस की पैरवी जिला न्यायवादी जय भगवान गोयल ने की. उन्हें जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा नियुक्त वकील अरविंद खुरानिया ने सहयोग दिया. जय भगवान गोयल ने बताया कि 2022 में 8 अक्टूबर को दोषी पवन दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली 7 साल की बच्ची को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया.

'अदालत ने सही और स्टीक फैसला दिया है'- जय भगवान गोयल और एडवोकेट अरविंद खुरानिया ने कहा कि इस प्रकार के जघन्य अपराधी को मौत की सजा ही मिलनी चाहिए थी. उन्होंने पूरे केस को गंभीरता से लड़ा और दोष को उसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए पैरवी की. यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है.

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Last Updated :Sep 16, 2023, 9:04 PM IST

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