नई दिल्ली: 21वीं सदी में बहुध्रुवीय दुनिया का बोलबाला होगा. बड़ी संख्या में उभरती अर्थव्यवस्थाएं, विशेषकर एशियाई देश वैश्विक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने कहा, एशिया के लिए अवसर असीमित हैं. गुरुवार को सीआईआई ग्लोबल इकोनॉमिक फोरम 2023 में 'एशिया उभरता आर्थिक केंद्र: वैश्विक विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देना' पर एक पूर्ण सत्र में बोलते हुए उन्होंने यह बात कही. इसका विषय पॉलीक्राइसिस के बीच वैश्विक समृद्धि की रणनीति बनाना था.
दम्मू रवि ने यह भी कहा कि एशियाई देशों ने वैश्विक विकास में जबरदस्त योगदान दिया है, क्योंकि वैश्विक विकास का 70 प्रतिशत एशिया पर हावी है, जहां अरबों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है. यह वैश्विक विकास के लिए बहुत मायने रखता है, विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इस बात पर निर्भर है कि एशियाई अर्थव्यवस्थाएं कैसे बढ़ती हैं. सचिव ईआर, विदेश मंत्रालय ने यह भी नोट किया कि जनसांख्यिकी, प्रेषण, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और उद्योग, सेवाओं और संघर्ष समाधान का एशिया में आर्थिक विकास पर कई गुना प्रभाव पड़ा.
उन्होंने यह बात भी जोड़ी कि 'आज कुशल श्रम और बढ़ी हुई आय के स्तर ने एशिया को विश्व व्यापार के लिए बेहद जीवंत और बेहद आकर्षक बाजार बना दिया है.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि आय असमानताएं, ऋण मुद्रास्फीति और अस्थिरता है, हमें यह देखने की जरूरत है कि एमएसएमई क्षेत्र को एशियाई क्षेत्र में आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभानी होगी.