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ज्ञानवापी वीडियो लीक मामला: कोर्ट ने महिला वादियों से कमीशन का वीडियो साक्ष्य लेने से किया इंकार

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Published : May 31, 2022, 6:10 PM IST

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कमीशन की कार्यवाही का वीडियो लीक होने के बाद जिला जज न्यायालय में सुनवाई हुई. कोर्ट ने वादी महिलाओं को कमीशन कार्यवाही के वीडियो साक्ष्य को अपने पास सुरक्षित रखते हुए 4 जुलाई को आने का निर्देश दिया.

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ज्ञानवापी वीडियो लीक मामला

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मंगलवार को जिला जज न्यायालय में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई. कोर्ट की तरफ से 4 वादी महिलाओं को कमीशन की वीडियो रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उसे सरेंडर करने को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने 2:00 बजे सुनवाई करते हुए महिलाओं की तरफ से दिए गए प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया और सील लिफाफा को अपने पास सुरक्षित रखते हुए 4 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए आने का निर्देश दिया. जिला जज का कहना था कि साक्ष्य ऐसे ही नहीं वापस लिया जा सकता. 4 जुलाई को पुनः याचिका दीजिएगा और बहस की जाएगी. कार्यवाही के तहत इसे (वीडियो साक्ष्य) लेना है या नहीं कोर्ट डिसाइड करेगा. तब तक इसे आप अपने पास सुरक्षित रखिये.

वहीं, मुस्लिम पक्ष ने भी इस पूरे मामले में एक एप्लीकेशन दी है. एप्लीकेशन में मुस्लिम पक्षकारों ने यह मांग की है कि जो वीडियो लीक हुआ है, उसमें दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए. वकीलों से लेकर टीवी चैनलों और अन्य लोगों की जांच की जाए. जो भी दोषी हो उस पर मुकदमा दर्ज किया जाए. इसे पर भी कोर्ट 4 जुलाई को बहस पूरी करने के बाद सुनेगा और उसी समय आदेश पारित होगा.

ज्ञानवापी मामले में जानकारी देते वकील.

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उधर, वीडियो लीक मामले में वैदिक सनातन संघ और श्रृंगार गौरी मामले में प्रमुख वादी महिला राखी सिंह की तरफ से वीडियो लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र भी दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने 4 जुलाई को ही सुनवाई करने की बात कही है. इसके अलावा मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से भी वीडियो लीक मामले को गंभीर बताते हुए पूरे प्रकरण की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की एक एप्लीकेशन दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर ने वरशिप एक्ट को लेकर दायर की याचिका
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील अश्विनी उपाध्याय भी इस मामले में आगे आए हैं. दिल्ली से वाराणसी पहुंचे अश्विनी उपाध्याय ने ने जिला जज न्यायालय में मंगलवार को वरशिप एक्ट को लेकर याचिका दायर की है. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि 'हमने कोर्ट से आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट में हम इस प्रकरण में बहस कर रहे हैं और प्लेसेस ऑफ़ वार्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है, तो हमको यहां भी बोलने का मौका दिया जाए. ' उनका कहना था कि 1991 के वरशिप एक्ट में को प्लेसेस ऑफ़ वरशिप कहा जाता है ना कि प्लेसेस ऑफ प्रेयर एक्ट, वर्शिप का मतलब पूजा से होता है. ना की प्रार्थना यानी प्रेयर से. इसलिए वरशिप एक्ट का मामला तो यहां लागू ही नहीं होता है.'
अश्विनी उपाध्याय न कहा कि ' इसके अलावा मैंने कोर्ट से 1 दिन के लिए देश भर की हर भाषा की मीडिया को ज्ञानवापी परिसर में जाने की अनुमति देने की अपील भी की है ताकि सच सबके सामने आए. क्योंकि मीडिया चौथा स्तंभ है और इसके अंदर जाने से बहुत सी चीजें साफ हो जाएंगी. फिलहाल जज ने आज हमें सुना है और पूरे मामले में 4 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.'

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