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जानें, पहाड़ी क्षेत्रों में क्यों फटते हैं बादल, ऐसे करें बचाव

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Published : Jul 29, 2021, 2:09 AM IST

Updated : Jul 29, 2021, 6:14 AM IST

बादल फटने (cloudbursts) से हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में कई लोगों की मौत हो गई है. बादले फटने की घटना को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इस आपदा का पूर्वानुमान करना मुश्किल है क्योंकि यह मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर होने वाली घटना है और पर्वतीय क्षेत्रों में हुआ करती है.

बादल का फटना
बादल का फटना

नई दिल्ली : बादल फटने (cloudbursts) से हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के प्रभावित होने के सिलसिले में विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि इस आपदा का पूर्वानुमान करना मुश्किल है क्योंकि यह मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर होने वाली घटना है और पर्वतीय क्षेत्रों में हुआ करती है.

किसी स्थान पर एक घंटे में यदि 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है तो इसे बादल का फटना कहा जाता है. अचानक इतनी अधिक मात्रा में वर्षा होने से न सिर्फ जनहानि होती है बल्कि संपत्ति को भी नुकसान होता है.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युजंय महापात्रा (India Meteorological Department (IMD) Director General Mrutunjay Mohapatra) ने कहा कि बादल फटने की घटना बहुत छोटे क्षेत्र में होती है और यह हिमालयी क्षेत्रों या पश्चिमी घाट के पर्वतीय इलाकों में हुआ करती है.

उन्होंने कहा कि जब मॉनसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के संपर्क में आती है जब बहुत बड़े आकार के बादलों का निर्माण होता है. ऐसा स्थलाकृति या पर्वतीय कारकों के चलते भी होता है.

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलवत ने कहा कि इस तरह के बादल को घने काले बादल कहा जाता है और यह 13-14 किमी की ऊंचाई पर हो सकते हैं.

यदि वे किसी क्षेत्र के ऊपर फंस जाते हैं या उन्हें छितराने के लिए कोई वायु गति उपलब्ध नहीं होती है तो वे एक खास इलाके में बरस जाते हैं.

इस महीने, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं हुई. ये सभी पर्वतीय इलाके हैं.

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महापात्रा ने कहा कि बादल फटने का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता. लेकिन हम बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी कर सकते हैं. हिमाचल प्रदेश के मामले में हमने एक रेड अलर्ट जारी किया था.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम राजीवन ने कहा कि बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं.

उन्होंने कहा कि इसका पूर्वानुमान करना मुश्किल है लेकिन डोप्पलर रेडार उसका पूर्वानुमान करने में बहुत मददगार है. हालांकि, हर जगह रेडार नहीं हो सकता, खासतौर पर हिमालयी क्षेत्र में.

(पीटीआई)

Last Updated : Jul 29, 2021, 6:14 AM IST

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