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छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के पहले घमासान के आसार !

Chances of uproar in Chhattisgarh Congress छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय हाईकमान पर छोड़ दिया गया है. कांग्रेस प्रदेश प्रतिनिधियों की सूची में कई नेताओं का नाम शामिल नहीं हुआ है. छत्तीसगढ़ निगम मंडल आयोग में नियुक्ति रूकी है. कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रमुख पदों पर जगह नहीं मिली है. ये सभी आने वाले समय में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं.assembly elections in Chhattisgarh

uproar in Chhattisgarh Congress
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बैठक

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Published : Sep 19, 2022, 9:15 PM IST

रायपुर: (Chances of uproar in Chhattisgarh Congress) छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने हाल ही में 310 प्रतिनिधियों की सूची जारी की है. इस सूची में जिनके नाम शामिल नहीं हैं, वे कांग्रेसी नाराज हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चुनाव को लेकर भी हाईकमान के हाथ में निर्णय सौंप दिया गया है. ऐसे में जो चुनाव के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे थे, उनका सपना टूट गया है. हालांकि इस मामले पर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है.

निगम मंडल में अब भी नियुक्तियां बांकी: कांग्रेस सरकार के लगभग 4 साल पूरे होने के बावजूद अब तक कई निगम मंडल आयोग ऐसे हैं, जिनमें नियुक्ति नहीं की गई है. उनमें नियुक्तियों को लेकर भी पार्टी में घमासान मचा हुआ है. पार्टी के अंदर कई तरह की उठापटक भी देखने को मिल रही है. भूपेश बघेल और टीएस सिंह के बीच चल रही नूराकुश्ती किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे पार्टी के अंदर मचा घमासान धीरे धीरे बाहर भी देखने को मिल सकता है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर क्या कहते हैं जानकार: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि ''कांग्रेस की अपनी एक विशेषता यह रही है कि यदि पिछले 40 साल के समय को देखा जाए तो छत्रपों का गुट अलग अलग क्षेत्रों में हावी रहता है. यदि पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जिस तरह कांग्रेस ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, यह अपने आप में एक अद्भुत घटना थी. लेकिन सत्ता में आने के बाद लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं बढ़ जाती है. उन्हें यदि जगह नहीं मिलती है तो उनमें आक्रोश बढ़ता है. यह स्वभाविक है. चाहे फिर सरकार किसी की भी हो. कांग्रेस के अंदर बड़े नेताओं के बीच में असंतोष और गुटबाजी उभर रही है. इसका खामियाजा स्वाभाविक तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.शशांक ने कहा कि पहले निर्णय हुआ था कि कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन चुनाव के पहले यदि इसमें बदलाव किया जाता है तो इसका असर भी चुनाव पर देखने को मिल सकता है.''

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निगम मंडल आयोग में नियुक्ति में देरी: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले टिकट को लेकर मारामारी की संभावना से भी शशांक शर्मा ने इनकार नहीं किया. शशांक ने बताया कि निगम मंडल आयोग में जिन जगहों पर 10-12 नाम हैं और कई नेता अपने अपने लोगों का नाम भेजते हैं. ऐसे में सरकार के पास यह समस्या हो जाती है कि किसे नियुक्ति दे और किसे नहीं. यदि बनाया जाता है तो 8-10 लोग नाराज हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में निगम मंडल आयोग की नियुक्ति रोक दी जाती है.

रमन सिंह ने कांग्रेस पर कसा तंज: कांग्रेस की स्थिति पर भाजपा भी तंज कस रही है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, ''छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का निर्णय आलाकमान पर छोड़ दिया है. पूरे देश की जवाबदारी किसको दी जाए, यह भी आलाकमान पर छोड़ दिया है. कांग्रेसी में यह अजीब परंपरा है. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, इसका निर्णय छत्तीसगढ़ में पास हुआ है. इसकी मंजूरी के लिए हाईकमान को भेजा है. यह इकलौता ऐसा राष्ट्रीय दल है, जिसके तीन दशक में राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बदले. एक ही व्यक्ति एक ही परिवार राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर बैठे हुए हैं.''

अमित चिमनानी का कांग्रेस पर हमला: भाजपा संचार विभाग के प्रमुख अमित चिमनानी ने कांग्रेस को अलोकतांत्रिक दल बता दिया है. चिमनानी का कहना है कि ''यह पार्टी न सिर्फ अलोकतांत्रिक है बल्कि इसमें गुटबाजी भी चरम पर है. निगम मंडल आयोग के पद भरे नहीं गए हैं. अभी कांग्रेस में जो नियुक्तियां की गई है, उसको लेकर भी असंतोष है. टीएस सिंह देव के द्वारा जो लेटर बम फोड़ा गया था, अभी तक उस बम का धुआं छत्तीसगढ़ में उठ रहा है. अब कांग्रेस छत्तीसगढ़ में कितने बूथों में चुनाव लड़ेगी, इसका जवाब तो आने वाले समय में कांग्रेस ही देगी. आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का जीतना तो दूर, जमानत भी जब्त हो जाएगी.''

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कांग्रेस ने बीजेपी पर किया पलटवार: वहीं भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि ''भाजपा ऐसी पार्टी है, जहां उनका प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया जाता है लेकिन कार्यकर्ताओं से नहीं पूछा जाता. ना ही उनसे सहमति ली जाती है. नोटबंदी की तर्ज पर आधी रात को प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदल दिया. भाजपा कांग्रेस पर आरोप ना लगाए. कांग्रेस में लोकतांत्रिक तरीके से सभी ने अपनी पसंद और नापसंद बताया है. उसके बाद प्रस्ताव बनाकर हाईकमान के पास भेजा गया है. राहुल गांधी के कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की सूचना मात्र से भाजपा नेताओं के पसीने निकलने लगे हैं. भाजपा को अपने ही दल के बारे में सोचना चाहिए.''

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