हरिद्वार: क्या किसी मृतक को कोरोना वैक्सीन की डोज लगाई जा सकती हैं? क्या किसी मृत व्यक्ति को कोरोना की दोनों डोज लगने का सरकारी सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है. आप निश्चित ही मना करेंगे. लेकिन हरिद्वार में कुछ ऐसा ही देखने में आया है. अप्रैल 2021 में स्वर्गवासी हो चुके एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को स्वास्थ्य विभाग ने मरने के एक माह बाद पहले व 9 माह बाद दूसरी डोज का सर्टिफिकेट जारी कर दिया.
बड़ी बात यह है कि मृतक के फोन का प्रयोग मरने के बाद से परिवार के लोग कर रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि उनके फोन पर पहली डोज लगने का कोई मेसेज ही नहीं आया. सीधे विभाग द्वारा दोनों डोज का सर्टिफिकेट ही जारी किया गया. जिसमें पहली एवं दूसरी डोज लगने की पूरी जानकारी दी गई है. यह खुलासा बिल्कुल वैसे ही हुआ है जैसे हरिद्वार कुंभ कोरोना टेस्टिंग घोटाला खुलने से पहले हरिद्वार से बाहर, दूसरे प्रदेश में बैठे एक ऐसे व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना टेस्टिंग का मैसेज आया, जो कभी हरिद्वार आया ही नहीं था. इसी एक मैसेज ने कुंभ में कोरोना जांच में हुई गड़बड़ी का बड़ा खुलासा कर दिया था.
ये है पूरा मामला: कोरोना काल में वैक्सीन लोगों के लिए जीवनदायनी साबित हो रही है. यही कारण है की बड़ी संख्या में लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा रहे हैं. लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने पहली व दूसरी डोज नहीं लगवाई है. गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से, 9 माह पूर्व स्वर्गवासी हो चुके 76 वर्षीय सतीश कुमार गुप्ता निवासी हरिद्वार के फोन पर मैसेज आया कि उन्हें कोरोना की दूसरी डोज आज लगा दी गई है. विभाग द्वारा बाकायदा उनके पंजीकृत फोन पर कोरोना की दोनों डोज लगने का सर्टिफिकेट भी जारी किया गया. सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह दिखी कि सतीश की मौत 26 अप्रैल 2021 को हुई थी. जबकि उनको, मौत के 1 महीने बाद यानी 16 मई 2021 को टीका लगाना सर्टिफिकेट में बताया गया था. सतीश की मौत सामान्य हालात में हुई थी और मौत से पहले उन्होंने कोरोना का कोई टीका भी नहीं लगाया था जो उनका डेटा विभाग के पास होता.