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MP ki Digital Ghadi बिना घड़ी देखे सही समय बता देते हैं सुखलाल, चलती फिरती घड़ी कहते हैं लोग

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Published : Dec 18, 2022, 10:08 PM IST

किसी ने सही कहा है, अपने देश में टेलेंट की कमी नहीं है, आज एक ऐसे ही एक शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका टेलेंट देखकर आप जितना खुश होंगे उतना ही आप हैरान भी होंगे. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के नेपानगर में रहने वाले सुखलाल को भगवान ने एक अनोखी कला से नवाजा है (Burhanpur Digital Ghadi). इनकी कला देखकर सब आश्चर्य चकित रह जाते हैं. दरअसल सुखलाल बिना घड़ी देखे सही समय बता देते हैं, सुखलाल को नेपानगर के लोग चलती फिरती घड़ी कहते हैं.

Sukhlal tells correct time without clock
चलती फिरती घड़ी हैं सुखलाल

बिना घड़ी देखे सही समय बता देते हैं सुखलाल

बुरहानपुर/नेपानगर। प्राचीन युग में लोगों के पास समय देखने के लिए कोई यंत्र नहीं हुआ करता था, प्राचीन युग के लोग सूरज की रोशनी को देखकर समय का अंदाजा लगा लेते थे. सूरज की रोशनी उनकी घड़ी हुआ करती थी, रोशनी के आधार पर वह समय देखकर अपनी दिनचर्या से जुड़े हुए काम करते थे. लेकिन आज के डिजिटल युग में अब कोई भी समय देखने के लिए सूरज की रोशन का उपयोग नहीं करता है, सबके पास समय देखने के लिए घड़ी और डिजिटल यंत्र हैं. डिजिटल युग में हर कोई व्यक्ति समय देखने के लिए घड़ी और मोबाइल का उपयोग करता है. लेकिन आधुनिक युग में एक शख्स ऐसा भी है जो प्राचीन युग की याद दिलाता है. वह युवक बिना किसी घड़ी और मोबाइल का सहारा लिए समय बताता है. जी हां हम बात कर रहे है बुरहानपुर जिले के नेपानगर के वार्ड क्र. 03 गिट्टी खदान के निवासी सुखलाल (Nepanagar digital ghadi Sukhlal) की .

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बिना देखे समय बता देते हैं: सुखलाल को भगवान ने एक ऐसी अनोखी कला से नवाजा है जिसे देखकर सब आश्चर्य चकित रह जाते हैं. सुखलाल को यह कला ईश्वर से मिली है. यह कला हर किसी व्यक्ति के पास नहीं होती है, यह लाखों करोडों में एक के पास होती है. क्योंकि आज के डिजिटल युग में बिना घडी या मोबाईल देखे कोई समय नहीं बता सकता है. सुखलाल नेपानगर के क्र. 03 गिट्टी खदान एरिया में रहते हैं. सुखलाल बिना घड़ी देखे सही समय बताते हैं, सुखलाल से कभी भी किसी भी वक्त टाइम पूछने पर उनके द्वारा सही समय बताया जाता है ,जो घड़ी मिलान करने पर सही होता है.

भीख मांगकर गुजारा करते हैं सुखलाल: नेपानगर के लोग सुखलाल को चलती फिरती घड़ी कहते हैं. सुखलाल अकेला ही अपना गुजर बसर करता है, ट्रेन व अन्य जगह भीख मांगकर अपना पेट भरता है. सुखलाल इसे कुदरत की घड़ी बताते हैं. वह कहते है कि यह घड़ी मुझे ही दिखती है और किसी को नहीं दिखती है, करीब 25 वर्षो से बिना घड़ी देखे समय बताते आ रहे हैं.

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