लखनऊ :विशेष बातचीत में बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा और सपा एक दूसरे की बी व सी टीम हैं. उन्होंने कहा कि ये दोनों दल पहले से मिलकर तय कर लेते हैं कि अब ऐसा कौन सा मुद्दा उठाएंगे.
विपक्षी दलों द्वारा बसपा को भाजपा की बी टीम कहने के सवाल पर मिश्रा ने कहा कि ये लोग अपनी चिंता करें. हमारी पार्टी को न देंखे. जब हम 74 प्रबुद्घ सम्मेलन कर चुके तो अन्य दल अब हमारी नकल कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि सभी विपक्षी दल बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं.
बसपा नेता ने कहा कि जब हम कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे थे, तब भी हम पर कांग्रेस की बी टीम होने का आरोप लगा थे. दरअसल इनके पास कोई मुद्दा बचा नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि सपा किसकी बी टीम है? 2003 में सपा की सरकार किसने बनवाई थी? उनके पास बहुमत नहीं था. 37 हमारे एमएलए तोड़े उसके बाद भी बहुमत नहीं था. तब कांग्रेस और भाजपा ने सपा सरकार बनवाई थी. वह सरकार साढ़े तीन साल चली. ऐसे में वो उनकी बी टीम कौन है?
उस समय विधानसभा अध्यक्ष ने इसे सही ठहराया था. फिर हमने कोर्ट में चैलेंज किया तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्णय बिल्कुल असंवैधानिक है. इसलिए असलियत में बी टीम कौन है सब जानते हैं. चुनाव में पार्टी का क्या मुद्दा होगा, इस सवाल पर सतीश चन्द्र मिश्रा कहते हैं कि बसपा इस बार बेहतर कानून-व्यवस्था और विकास के नाम पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि बहन मायावती का चेहरा विकास और कानून-व्यवस्था के नाम पर जाना जाता है. उनके कार्यकाल में हर जगह विकास हुआ.
यह पूछने पर कि भाजपा ब्राम्हण और बनिया की पार्टी कहलाती है, ऐसे में आप कैसे आष्वस्त है कि ब्राम्हण बसपा की ओर आकर्षित होंगे. इसके जवाब में मिश्रा ने कहा कि ब्राम्हण वर्ग को पहले कांग्रेस भी अपना समझती थी लेकिन यह उनकी भूल साबित हुई. दरअसल यह बहुत बुद्घजीवी समाज है. उसे मान-सम्मान चाहिए.
जब बसपा ने दलित और ब्राम्हणों का भाईचारा समाज बनाया तभी उन्हें हक मिला. बसपा ने इस समाज को उचित भागीदारी दी, 45 एमएलए, 15 कैबिनेट मंत्री, 12 एमएलसी बनाए. एडवोकेट जनरल और पांच हजार सरकारी वकील ब्राम्हण बनाए. हम लोगों ने सर्व समाज का ध्यान रखा. हमने सभी वर्गों को उचित सम्मान दिया.
उन्होंने कहा कि सपा ब्राम्हण समाज को दुष्मन मानती थी. वर्तमान भाजपा सरकार में भी ब्राम्हणों का बहुत उत्पीड़न हो रहा है. साढ़े चार साल में इस वर्ग का कोई काम-काज नहीं हो रहा है. ब्राम्हण घर छोड़कर भागने में मजबूर हैं. करीब दो दर्जन पुजारियों की हत्याएं हो चुकी हैं.
यह समाज इनके पास धर्म के नाम पर आया था लेकिन जब देखा कि अयोध्या में भगवान राम के नाम पर भी लोगों को ठगा गया, तो ब्राम्हण अब एक जुट होकर बसपा के साथ आना चाहता है. उन्होंने कहा कि ब्राम्हण का मान-सम्मान और स्वाभिमान सिर्फ बसपा में ही सुरिक्षत है, इसीलिए वह हमारे साथ है.
केवल ब्राम्हणों की बात करने से बसपा के कैडर वोट की नाराजगी पर पार्टी महासचिव ने कहा कि हम केवल ब्राम्हण की बात नहीं बल्कि सर्वजन की बात करते हैं. हमारे यहां कैडर की बैठकें बूथ लेवल की हो रही हैं. इन बैठकों में ब्राम्हण, दलित और अल्पसंख्यक समेत सभी वर्ग के लोग आते हैं. ये लोग कैडर को मजबूत करने में लगे हैं.