नई दिल्ली: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए आज चुनाव हो रहा है. ऐसे में यह सवाल वाजिब है कि क्या अमेरिका की जनता कमला हैरिस को देश की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनाएगी? इससे पहले के चुनाव को देखा जाए तो हम पाएंगे की अमेरिकी जनता ने हिलेरी क्लिंटन को ओवल ऑफिस में नहीं बैठने दिया था.
भारतीय-अमेरिकी, एफ्रो-अमेरिकी और दक्षिण एशियाई कमला हैरिस ने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. हालांकि, अभी सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल करना बाकी है. कमला हैरिस के मामा डॉ. जी बालाचंद्रन को लगता है राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन चुनाव जीत सकते हैं.
कमला हैरिस के मामा से स्मिता शर्मा की बातचीत नई दिल्ली में पूर्व पत्रकार, शिक्षाविद और विद्वान डॉ. जी बालाचंद्रन ने वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बातचीत की. उनसे जब 2016 के चुनावी सर्वेक्षण का बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 2016 में मिली हार के कई कारण थे.
उन्होंने कहा कि लोग ट्रंप को जानते नहीं थे और लोग डेमोक्रेट पार्टी की नीतियों से खुश नहीं थे. डॉ. बालाचंद्रन ने यह भी कहा कि अपने कार्यकाल में ट्रंप ने कुछ भी नहीं किया और उनका सबसे बड़ी असफलता है कोरोना वायरस से फैली महामारी से निपटने का उनका तरीका.
कमला हैरिस के परिवार को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. उनके परिवार के लोग एक दूसरे से दूर हैं, इसलिए अभी से जश्न की कोई तैयारी नहीं है. हालांकि, उनके परिजन उनकी जीत के लिए प्रर्थना कर रहे हैं.
कमला हैरिस की खूबियों को याद करते हुए उनके मामा ने कहा कि वह उनका व्यक्तित्व सक्षम और निर्णायक था. उन्होंने कहा कि कमला नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए खुद को प्रतिबद्ध महसूस करती हैं और वह बचपन से ही एफ्रो-अमेरिकियों के अधिकारों के लिए हुए आंदोलनों में भाग लेती रही हैं.
डॉ. बालाचंद्रन की बेटी शारदा बालाचंद्रन अपनी बहन के साथ चुनावी अभियानों में लगी हैं. शारदा वॉशिंगटन में स्थित मेरीलैंड विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय प्रवासियों का समर्थन अब ट्रंप को मिल रहा है, पर डॉ. बालाचंद्रन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के रिश्तों को देखते हुए कुछ प्रवासियों का झुकाव ट्रंप की तरफ हो गया होगा. हालांकि, 60-70 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी अब भी डेमोक्रेट ही हैं.
डॉ. बालाचंद्रन ने अपनी भांजी को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने उस मौके का जिक्र किया जब 90 के दशक में कमला डिस्ट्रिक अटर्नी के पद के लिए चुनाव लड़ रहीं थीं. उस समय डॉ. बालाचंद्रन अमेरिका में ही थे और उन्हें पता था कि वह उससे कहीं ऊंचे पद के काबिल हैं.
आज कमला अमेरिका के इतिहास में पहली महिला उपराष्ट्रपति बनने की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रही हैं. इससे 2024 में उनके अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का रास्ता और साफ हो जाएगा, लेकिन यह अमेरिकी जनता के हाथ में है.