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सीएए के बाद उपजे हालात इमरजेंसी से भी ज्यादा खराब : शरद यादव

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Published : Jan 16, 2020, 5:55 PM IST

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शरद यादव

लोकतांत्रिक जनता दल के सुप्रीमो और पूर्व सांसद शरद यादव ने कहा है कि देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद इतने बुरे हालात हो गए हैं, जितना इमरजेंसी के समय में नहीं थे.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में बीते दिनों हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं पर की गई बर्बरता के खिलाफ बुधवार को यहां कई राजनीतिक दल एकजुट हुए और उन्होंने जबरन गिरफ्तार किए गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की.

लोकतांत्रिक जनता दल के सुप्रीमो और पूर्व सांसद शरद यादव ने इस दौरान कहा कि देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद इतने बुरे हालात हो गए हैं, जितना इमरजेंसी के समय भी नहीं थे. लोग आज जितने परेशान हैं, वे उस दौर में भी नहीं हुए थे.

शरद यादव का बयान.

इमरजेंसी के दौरान अपने निजी अनुभव को मीडिया से शेयर करते हुए यादव ने कहा, 'इंदिरा गांधी के शासन काल में जो आपात काल लागू किया गया था, उसमें राजनेताओं को बंद किया गया था, नेताओं की आवाज दबाई गई थी, मै भी उस दौरान जेल में बंद था, लेकिन आम जनता को कोई परेशानी नहीं थी.'

शरद यादव ने आज के हालात पर कहा, 'आज तो जो जेल से बाहर है, वह भी तंग व परेशान हाल है और जो जेल में डाले जा रहे हैं, उनकी हालत तो और भी बुरी है. जेल से बाहर आए लोग जो अनुभव बता रहे हैं, वह चौकाने वाला है.'

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राजनीतिक दलों के इस प्रदर्शन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी. राजा, वृंदा करात, 77 वर्षीय रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस.आर. दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेत्री सदफ जफर व एक्टिविस्ट दीपक कबीर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे. इनमें दारापुरी, सदफ जफर व दीपक कबीर को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था.

Intro:नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ
समेत उत्तर प्रदेश में बीते दिनों हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई बर्बरता के खिलाफ कई राजनीतिक दल एकजुट हुए और उन्होंने जबरन गिरफ्तार किए गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की।




Body:लोकतांत्रिक जनता दल के सुप्रीमो और पूर्व सांसद शरद यादव ने इस दौरान कहा कि देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद इतने बुरे हालात हो गए हैं जितना इमरजेंसी के समय में नहीं थे। वही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि वह आम नागरिक से बदला लेने की बात करते हैं जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान कुछ किया ही नहीं, यदि कुछ किया होता तो गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ सरकार के पास कोई ना कोई सुबूत जरूर होते।

लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार एक्टिविस्ट दीपक कबीर रिहाई के बाद ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जिस दिन परिवर्तन चौक के पास आगजनी हुई वह घटनास्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर थे और इस कानून के खिलाफ देश भक्ति गाने गा रहे थे और शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन खत्म किया जा रहा था। दीपक कबीर ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपने प्रदर्शन की वजह बताते हुए कहा कि सरकार को जिस भी धर्म के शरणार्थियों को नागरिक बनाना हो बनाए, लेकिन किसी एक धर्म को छोड़ना बिल्कुल गलत है। हम इस भेदभाव के खिलाफ हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता सदफ जाकर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी उस समय हुई जब वह सपोर्ट इसके बाद हुए उपद्रव की वीडियो बना रही थी। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर 18 धाराएं लगा दी गयी हैंं। उन्होंने गिरफ्तारी के दौरान पुलिस बर्बरता का वर्णन करते हुए कहा कि पुलिस ने उनके पैरों और पेट पर मारा। इसके साथ ही जब उनकी गिरफ्तारी हुई तब कोई भी महिला पुलिस कर्मचारी मौजूद नहीं थी।


Conclusion:77 वर्षीय रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी एक मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं जिन्हें 19 दिसंबर को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। दारापुरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वह किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं थे और उन्हें घर से ही पुलिस गिरफ्तार करके ले गए और जेल में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

दारापुरी से जब यह पूछा गया कि उनके मुताबिक शहर में दंगा फैलाने वाले लोग कौन थे तो उन्होंने इसका आरोप भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों पर लगाया और कहा कि जब वह लखनऊ जेल में थे तब उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं ने छुड़ा लिया और उन्हें ठंड में एक चादर भी नहीं दी गई।

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