नागपट्टिनम: कचरे का शहर वैथेश्वरन कोविल में अब चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखती है. अगर दृढ़ संकल्प हों तो बंजर जमीन पर भी फूल खिला सकते हैं. इस कहावत को सच किया है एक सफाई कर्मचारी परमेश्वरी ने. दिलचस्प बात यह है कि वह शहर की मूल निवासी नहीं हैं, लेकिन अपने पति के साथ नागरिक निकाय में अनुबंध पर काम करने के लिए वो वहां गईं और बस गईं.
दंपती डंप यार्ड के एक कोने में रहते थे, क्योंकि किराए पर घर लेने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. अल्प आय में ही वो अपना गुजर-बसर करने पर मजबूर थे. इससे परमेश्वरी का जुनून कम नहीं हुआ और आज इसका परिणाम नजर आ रहा है.
बंजर भूमि कचरे के ढेर में बदल गई. यहां परमेश्वरी को खेती करने का अवसर मिला और उसने एक कोने में खेती शुरू की और आज नजारा कुछ अलग ही है. परमेश्वरी की कड़ी मेहनत ने इस बंजर जमीन की काया ही पलट दी है. अब यहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है.
परमेश्वरी और उनके पति, दोनों ही वैथेश्वरन कोविल टाउन पंचायत के दिहाड़ी मजदूर हैं और उनके पति डंप यार्ड के चौकीदार के रूप में काम करते हैं, जहां कचरे को अलग किया जाता है और जैविक उर्वरक में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है. नागरिक निकाय के कार्यकारी अधिकारी ने इस दंपती को डंप यार्ड में रहने की अनुमति दी थी, क्योंकि वहां एक चौकीदार की भी आवश्यकता थी. उन्होंने यहां बागवानी करने और खेती करने का फैसला किया.