सब्जियों के दाम गर्मी के मौसम में सूरज के साथ होड़ लगाकर बढ़ते हैं. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती वैसे-वैसे सब्जियों के दाम भी बढ़ते जाते हैं. आमतौर पर बारिश के मौसम के दौरान कीमतें कम रहती हैं. कोविड संकट के दौरान अच्छी बारिश के बाद भी सब्जियों की कीमतें पूरे देश में बढ़ रही हैं. पिछले कुछ दिनों से पूरे उत्तर भारत में फूलगोभी, हरा मटर, टमाटर, आलू और प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. पुणे से कोलकाता तक और दिल्ली से चेन्नई तक हर जगह आपूर्ति बाधित रहने के कारण कीमतें असामान्य रूप से बढ़ रही हैं.
तेलुगु राज्यों में आम उपभोक्ता चिंता व्यक्त कर रहा है कि एक किलो बीन्स की कीमत करीब 80 रुपये है और फलियां 70 रुपये की हैं. स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जी की किस्में जैसे तुरई, लौकी, ककड़ी, करेला इत्यादि भारी बारिश के कारण प्रभावित हुई हैं और सब्जियों की कम आपूर्ति के कारण आम जनता को बहुत अधिक असुविधा हो रही है. विभिन्न कारणों से सब्जी की खेती के रकबे में कमी आई है. सब्जी के लिए हैदराबाद शहर अन्य राज्यों से आपूर्ति पर निर्भर है, सब्जियों को लाने के किराए में बढ़ोतरी और मजदूरी बढ़ने का इस पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है.
दूसरी ओर कर्नाटक जैसी जगहों पर अधिक उत्पादन और मांग की कमी के कारण किसान या तो अपनी उपज को फेंक रहे हैं या मुफ्त में बांट रहे हैं. गुजरात में मूंगफली, हिमाचल में टमाटर, पंजाब और हरियाणा में आलू और तेलुगु मिट्टी पर प्याज और ककड़ी (डोंडाकाया) के उत्पादकों को इस तरह के कड़वे अनुभवों का सामना करना पड़ा.
अब भी कोरोना के भय के कारण परिवहन सुविधाओं की कमी और मजदूर नहीं मिलने के कारण विभिन्न हिस्सों में किसान शोक जता रहे हैं कि उनके सभी प्रयास बर्बाद हो गए. रोजमर्रा की जरूरत की आवश्यक चीजों की आपूर्ति चेन बाधित होने की वजह से उपभोक्ताओं को बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.