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डीएसपी की नौकरी छोड़ राजनीतिक दिग्गज बने पासवान, जानें कुछ रोचक तथ्य

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Published : Oct 8, 2020, 10:46 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 11:04 PM IST

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान नहीं रहे. 1969 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. उन्होंने डीएसपी की नौकरी को छोड़कर राजनीति में आने का निर्णय लिया था. उनके राजनीतिक सफर पर डालते हैं एक नजर.

रामविलास पासवान
रामविलास पासवान

नई दिल्ली :केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का 74 वर्ष की उम्र में दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. 74 वर्षीय राम विलास पासवान की कुछ दिनों पहले ही दिल की सर्जरी हुई थी. चिराग ने ट्वीट किया, पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं.

राम विलास पासवान का करियर
राम विलास पासवान का जन्म बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी में हुआ था. उनके पिता का नाम जामुन पासवान और माता का नाम सिया देवी है. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की. कोसी कॉलेज से एमए किया. उनकी शादी राजकुमारी देवी से हुआ था. लेकिन 1981 में उनका तलाक हो गया. इस शादी से उषा और आशा उनकी दो बेटियां हैं. उन्होंने 1983 में पंजाब की रीना शर्मा से दूसरी शादी की. रीना से उन्हें एक बेटा (चिराग पासवान) और एक बेटी है.

उनका राजनीतिक करियर 1969 में शुरू हुआ था. उस समय उन्होंने डीएसपी की नौकरी छोड़कर राजनीति ज्वाइन करने का फैसला किया था. उन्होंने बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा और वह जीत गए. उसके बाद 1977 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में जाने का फैसला किया. लोकदल के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 1977 में जीत हासिल की. उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनके दोस्त उनकी तारीफ करते थे कि पासवान के पास समय को पढ़ने की जबरदस्त क्षमता थी. उनके आलोचकों ने भी उनके लिए कोई अप्रिय बातें नहीं कहीं.

राम विलास पासवान का करियर ग्राफ.

1969 में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक का चुनाव जीता था. 1974 में उन्होंने लोकदल ज्वाइन किया. वह लोकदल के महासचिव बन गए. उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और गिरफ्तार हुए. 1977 में वह लोकसभा के सदस्य चुने गए. उन्होंने हाजीपुर से जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी. यहां से वह रिकॉर्ड मत से जीते थे. यह रिकॉर्ड लंबे समय तक कायम रहा. हाजीपुर से ही उन्होंने 1980, 1989, 1996, 1998,1999, 2004 और 2014 में जीत हासिल की.

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पासवान के करियर से जुड़े कुछ तथ्य

  • वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए. फिलहाल, वह राज्यसभा के सदस्य थे.
  • 1977 में पासवान ने बिहार के हाजीपुर लोकसभा सीट से 4.24 लाख वोटों से जीत दर्ज कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया था. हालांकि वह जेल में थे, उन्हें इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
  • पासवान 10 बार संसदीय चुनाव लड़े और आठ बार हाजीपुर से जीत हासिल की.
  • पासवान 90 के दशक के मध्य से केंद्रीय मंत्री रहे.
  • 5 जुलाई, 1946 को जन्मे पासवान 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण के लिए केंद्रीय मंत्री थे.
  • 2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया.
  • 2004 में उनकी पार्टी यूपीए का हिस्सा बनी. पासवान मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के हिस्सा थे.
  • 2004 लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की, लेकिन अगली बार 2009 में वह चुनाव हार गए. 2010-2014 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे. फिर से 2014 में लोकसभा के सदस्य बने.

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जेपी के अनुयायी पासवान

पासवान प्रख्यात समाजवादी राज नारायण और जय प्रकाश नारायण के फॉलोअर थे. वह कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा से बहुत अधिक प्रभावित थे. मोरारजी देसाई से अलग होकर उन्होंने जनता दल-एस ज्वाइन कर लिया. इसका गठन लोकबंधु राज नारायण ने किया था.

  • 1983 में उन्होंने दलित सेना की स्थापना की. उन्होंने कहा कि दलितों के कल्याण और उनके हक में लड़ाई के लिए इसकी स्थापना की गई है.
  • वीपी सिंह सरकार में श्रम एवं कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई.
  • 1996 में वह लोकसभा के नेता थे, क्योंकि उस दौरान प्रधानमंत्री राज्यसभा के सदस्य थे. इसी दौरान वह पहली बार रेल मंत्री बने. 1998 तक वह रेल मंत्रालय का काम देखते रहे.
  • अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 तक उन्होंने संचार मंत्री का कार्यभार संभाला. 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय में स्थानान्तरित कर दिया गया.

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नीतीश मंत्रिमंडल में हुए शामिल
2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा. लेकिन किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं मिला. पासवान ने लालू की पार्टी का समर्थन करने से इनकार कर दिया. नीतीश कुमार ने पासवान की पार्टी के 12 विधायकों को राजी कर लिया. वह नीतीश मंत्रिमंडल के हिस्सा बन गए. लेकिन सरकार अपना बहुमत साबित नहीं कर सकी. राज्यपाल बूटा सिंह ने विधानसभा भंग करने की घोषणा कर दी.

नवंबर 2005 में एनडीए को भारी जीत हासिल हुई. लालू और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव हार गया. पासवान के गठबंधन को कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं लगी.

पासवान ने पांच प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. वह यूनाइटेड फ्रंट, एनडीए और यूपीए हर गठबंधन में रहे.

2009 में लोकसभा चुनाव के लिए पासवान ने लालू की पार्टी राजद के साथ गठबंधन किया. कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा नहीं थी. समाजवादी पार्टी ने पासवान का साथ दिया. हालांकि, पासवान चुनाव हार गए. जनता दल के रामसुंदर दास ने उन्हें चुनाव हरा दिया. 33 सालों में वह पहली बार चुनाव हारे थे. एलजेपी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई. उनके गठबंधन को मात्र चार सीटें मिलीं.

राम विलास पासवान के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख राम विलास पासवान पांच दशक से अधिक समय से सक्रिय राजनीति में रहे. वह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में सबसे प्रमुख दलित चेहरों में से एक थे.
  • उन्होंने लॉ में स्नातक और एमए की पढ़ाई की थी. शरद यादव और लालू प्रसाद के साथ एक छात्र नेता के रूप में उभरने के बाद, 1969 में बिहार में एक विधायक के रूप में चुना गया था.
  • दलित समाज का प्रतिनिधित्व वाले पासवान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे. 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने विरोध स्वरूप सरकार से इस्तीफा दे दिया था.
  • वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में मोदी की राजनीतिक में लौटने से पहले मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य थे.
  • 73 वर्षीय पासवान ने 2019 में लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला कर सभी को चौंका दिया था.
  • पासवान की एलजेपी ने बिहार में छह सीटों पर जीत हासिल की. जीत हासिल करने वालों में उनके बेटे चिराग पासवान और राम विलास के दो भाई भी शामिल थे.
  • उनके प्रयासों को देखते हुए केंद्र ने अंबेडकर जयंती पर अवकाश घोषित किया था.
Last Updated : Oct 8, 2020, 11:04 PM IST

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