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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : जागरूकता फैलाने के लिए इंजीनियर उठा रहा कचरा

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Published : Dec 15, 2019, 7:03 AM IST

Updated : Dec 15, 2019, 7:44 AM IST

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देशभर में अभियान चलाया जा रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम 'नो प्लास्टिक, लाइफ फैंटास्टिक' रखी गई है. देखें इस मुहिम की चौथी कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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अभिमन्यु मिश्रा

बालासोर : सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के लिए देशभर में अलग-अलग मुहिम के जरिये जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. हर क्षेत्र के लोग इस अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं. ओडिशा के एक इंजीनियर ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रति जागरूकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया है.

बालासोर जिले में रहने वाले इंजीनियर अभिमन्यु मिश्र कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं और इस दौरान वह लोगों को प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करते हैं.

इंजीनियरिंग करने के बाद एक अच्छी नौकरी के पीछे भागने के बजाए अभिमन्यु ने समाज सेवा करने का रास्ता चुना. अभिमन्यु ऐसे लोगों के लिए एक उदाहरण हैं, जो अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के सीमित संसाधनों का लगातार दोहन कर रहे हैं.

अभिमन्यु पिछले दो वर्षों से प्लास्टिक से बने उत्पादों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए कचरा उठाने का काम कर रहे हैं. इस दौरान वह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूरे शरीर पर प्लास्टिक की बोतलें लटका लेते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

इस वजह से कई मौकों पर लोग उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त (पागल) और चोर भी समझते हैं.

इस बारे में अभिमन्यु बताते हैं, 'मेरा उद्देश्य प्लास्टिक का उपयोग करने से होने वाले खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए मैं अपने शरीर पर प्लास्टिक की बोतलें और अन्य सामान लटका लेता हूं. असामान्य दिखने के लिए कई बार मुझे लोगों की आलोचना भी सहनी पड़ती है, लेकिन इससे मैं अपने अभियान से पीछे नहीं हटता.'

अभिमन्यु की अनूठी पहल की अक्सर कई लोगों ने आलोचना की और उनका मजाक उड़ाया, लेकिन वह कभी भी अपने मिशन से दूर नहीं हुए हैं. अभिमन्यु विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित जागरूकता अभियानों में भी शामिल होते हैं.

अभिमन्यु मिश्र जैसे लोग किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रत्येक दिन प्रयास कर रहे हैं. लेकिन केवल इसीलिए नहीं कि वह जिम्मेदारी की भावना महसूस करते हैं, बल्कि इसलिए कि वह प्रकृति को कुछ वापस देना चाहते हैं.

वह लोगों को एक समुदाय के रूप में साथ रहने और काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को समझते हैं.

Last Updated : Dec 15, 2019, 7:44 AM IST

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