नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में सरकार के खिलाफ छात्रों का रोष कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सरकार के खिलाफ शुरू हुआ विरोध हर रोज बढ़ता जा रहा है, हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया हो. पिछले कुछ वर्षों में छात्र आंदोलनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है.
जाधवपुर विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न का विरोध
भाजपा सरकार में विरोध 2014 में पहली बार कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के विरोध से शुरू हुआ. दरअसल यौन उत्पीड़न का विरोध कर रहे छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को बुलाया, जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया. इस कारण बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया.
महिषासुर शहादत दिवस पर हंगामा
2014 में ही एक बार फिर छात्र सड़कों पर उतरे, लेकिन इस बार प्रदर्शन की गवाह कोलकाता की सरजमींन नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली थी और सड़क पर थे जेएनयू छात्र. 2014 में महिषासुर शहादत दिवस के लिए अखिल भारतीय पिछड़ा छात्र मंच की योजना को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं ने जमकर बवाल मचाया.
नॉन-नेट फेलोशिप को लेकर आंदोलन
इसके बाद 2015 में छात्रों ने सरकार द्वारा जेएनयू और कुछ अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों की नॉन-नेट फेलोशिप को खत्म करने के विरोध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यालय के बाहर डेरा डाला दिया, जिसके जवाब में एक बार फिर पुलिस ने छात्रों के खिलाफ लाठीचार्ज किया और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने छात्रों को जमकर पीटा और उनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल भी हो गए.
FTII विवाद
जुलाई 2015 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के छात्रों ने प्रतिष्ठित संस्थान के अध्यक्ष के रूप में अभिनेता गजेंद्र चौहान के नामांकन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर किया. 140 दिन तक चले इस विरोध में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और परीक्षा देने से इनकार कर दिया.
जेएनयू छात्र संघ पर कार्रवाई
2016 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन ने पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आशुतोष कुमार सहित कुछ अन्य छात्रों को एक साल पहले की गई शिकायतों का हवाला देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसके चलते छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और कुलपति के कार्यालय के बाहर नोटिस जलाए.
जेएनयू देशद्रोह मामला
इसी वर्ष जोएनयू में बहुचर्चित कांड हुआ, जहां कन्हैया कुमार, जो उस समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे, को विवादास्पद कार्यक्रम में भाग लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कन्हैया पर आरोप था कि 2001 में संसद पर हमले में भूमिका निभाने वाले कश्मीरी अलगाववादी मोहम्मद अफजल गुरु की समर्थन में नारे लगाए. यह मामला विपक्षी दलों और मुक्त भाषण कार्यकर्ताओं के लिए एक रैली स्थल बन गया. इस मामले में देशभर के विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हुए. इसमें न केवल छात्र, बल्कि शिक्षाविद और राजनेता भी मैदान में उतर आए.
रोहित वेमुला आत्महत्या प्रकरण
इसी वर्ष हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या ने छात्रों को आंदोलित कर दिया. उनकी आत्महत्या को रोकने में कथित विफलता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया. विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने वेमुला सहित पांच दलित छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया. इस मामले में भारतभर के विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन रैलियों में भाग लिया.
केरल में छात्र की आत्महत्या का मामला