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2014 के बाद देश में बढ़ रहे छात्र आंदोलन

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Published : Jan 12, 2020, 1:35 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 12:00 AM IST

जेएनयू में सरकार के खिलाफ छात्रों का रोष कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सरकार के खिलाफ शुरू हुआ विरोध हर रोज बढ़ता जा रहा है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया हो, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खासकर 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के बाद छात्र आंदोलनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में सरकार के खिलाफ छात्रों का रोष कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सरकार के खिलाफ शुरू हुआ विरोध हर रोज बढ़ता जा रहा है, हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया हो. पिछले कुछ वर्षों में छात्र आंदोलनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है.

जाधवपुर विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न का विरोध

भाजपा सरकार में विरोध 2014 में पहली बार कोलकाता के जाधवपुर विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के विरोध से शुरू हुआ. दरअसल यौन उत्पीड़न का विरोध कर रहे छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को बुलाया, जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया. इस कारण बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

महिषासुर शहादत दिवस पर हंगामा

2014 में ही एक बार फिर छात्र सड़कों पर उतरे, लेकिन इस बार प्रदर्शन की गवाह कोलकाता की सरजमींन नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली थी और सड़क पर थे जेएनयू छात्र. 2014 में महिषासुर शहादत दिवस के लिए अखिल भारतीय पिछड़ा छात्र मंच की योजना को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं ने जमकर बवाल मचाया.

नॉन-नेट फेलोशिप को लेकर आंदोलन

इसके बाद 2015 में छात्रों ने सरकार द्वारा जेएनयू और कुछ अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों की नॉन-नेट फेलोशिप को खत्म करने के विरोध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यालय के बाहर डेरा डाला दिया, जिसके जवाब में एक बार फिर पुलिस ने छात्रों के खिलाफ लाठीचार्ज किया और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने छात्रों को जमकर पीटा और उनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल भी हो गए.

FTII विवाद

जुलाई 2015 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के छात्रों ने प्रतिष्ठित संस्थान के अध्यक्ष के रूप में अभिनेता गजेंद्र चौहान के नामांकन के खिलाफ आंदोलन शुरू कर किया. 140 दिन तक चले इस विरोध में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और परीक्षा देने से इनकार कर दिया.

जेएनयू छात्र संघ पर कार्रवाई

2016 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन ने पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आशुतोष कुमार सहित कुछ अन्य छात्रों को एक साल पहले की गई शिकायतों का हवाला देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसके चलते छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और कुलपति के कार्यालय के बाहर नोटिस जलाए.

जेएनयू देशद्रोह मामला

इसी वर्ष जोएनयू में बहुचर्चित कांड हुआ, जहां कन्हैया कुमार, जो उस समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे, को विवादास्पद कार्यक्रम में भाग लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कन्हैया पर आरोप था कि 2001 में संसद पर हमले में भूमिका निभाने वाले कश्मीरी अलगाववादी मोहम्मद अफजल गुरु की समर्थन में नारे लगाए. यह मामला विपक्षी दलों और मुक्त भाषण कार्यकर्ताओं के लिए एक रैली स्थल बन गया. इस मामले में देशभर के विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन हुए. इसमें न केवल छात्र, बल्कि शिक्षाविद और राजनेता भी मैदान में उतर आए.

रोहित वेमुला आत्महत्या प्रकरण

इसी वर्ष हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या ने छात्रों को आंदोलित कर दिया. उनकी आत्महत्या को रोकने में कथित विफलता को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया. विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने वेमुला सहित पांच दलित छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर दिया. इस मामले में भारतभर के विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन रैलियों में भाग लिया.

केरल में छात्र की आत्महत्या का मामला

छात्रों के प्रदर्शन का सिलसिला यही नहीं रुका. वर्ष 2017 में केरल के नेहरु इंजिनियरिंग कॉलेज के छात्र जिष्णु प्रणॉय ने आत्माहत्या कर ली, जिसके बाद छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने प्रदर्शन करने वाले चार छात्रों को निलंबित कर दिया.

NLIU में छात्रा पर टिप्पणी के बाद विवाद

साल 2017 गवाही बना छात्रों के एक और प्रदर्शन का. इस बार नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (NLIU) भोपाल, छात्रों और प्रशासन के बीच एक विवाद का मैदान बन गया है. दरअसल छात्र संस्थान के निदेशक द्वारा एक छात्रा को कथित रूप से किए गए कथित सेक्सिस्ट टिप्पणियों के कारण कक्षाओं का विरोध और बहिष्कार किया गया. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि निदेशक एसएस सिंह एक तानाशाह की तरह कॉलेज चलाते हैं और अधिकांश छात्रों को विभिन्न मुद्दों पर पीड़ा होती थी.

सत्यबामा विश्वविद्यालय में छात्रा की आत्महत्या

इसी साल छात्रों के प्रदर्शन का एक और मामले सामने आया. इस बार चेन्नई के सत्यबामा विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष की एक छात्रा द्वारा कथित रूप से आत्महत्या करने और परिसर में विरोध प्रदर्शन के बाद, लड़की के परिवार ने प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. छात्रों के विरोध के कारण कॉलेज को सात दिन के लिए बंद कर दिया गया है.

बिहार का फीस बढ़ोतरी को लेकर विवाद

2018 में भी देशॉर में छात्रों के कई प्रदर्शन देखने को मिले. 2018 साल तो बदल गया, लेकिन छात्रों के प्रदर्शन कोई कमी नहीं आई. 2018 में छात्र विरोध का पहला मामला बिहार के पटना से सामने आया, जहां छात्रों को बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं कर पाने पर परीक्षा देने से रोक दिया गया, जिसके चलते छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है.

शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

इसके अलावा केंद्र सरकार की कथित शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ नई दिल्ली में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने एक साथ विरोध प्रदर्शन किया.

जेएनयू हॉस्टल शुल्क वृद्धि विवाद

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रों और शिक्षकों द्वारा आयोजित एक विरोध मार्च पुलिस के साथ हुई झड़पों के बाद समाप्त हो गया. दरअसल, जेएनयू को 'स्वायत्तता देने' के लिए केंद्र सरकार के फ़ैसले के खिलाफ विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन किया.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र ड्राफ्ट हॉस्टल मैनुअल के खिलाफ लगभग तीन सप्ताह तक विरोध प्रदर्शन करते रहे, जिसमें हॉस्टल शुल्क वृद्धि और ड्रेस के प्रावधान किए गए.

पढ़ें- JNUSU ने कैंपस हिंसा में दिल्ली पुलिस की जांच को 'धोखाधड़ी और फर्जी' बताया

आईआईटी-गुवाहाटी में भ्रष्टाचार

2018 की ही तरह 2019 में छात्रों के विरोध प्रदर्शन जारी रहे. 2019 में आईआईटी-गुवाहाटी के छात्रों ने इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर के निलंबन के खिलाफ परिसर में कैंडललाइट मार्च किया. प्रोफेसर को कथित रूप से निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने संस्था में हुई अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाई थी. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि संस्था के उच्च अधिकारियों ने भ्रष्टाचार, अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रोफेसर को निशाना बनाया. छात्रों ने निलंबन वापस लेने की मांग की.

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन

2019 खत्म होने और 2020 के आगमन पर देशभर में अलग-अलग विशविद्यायलों में सरकार द्वारा फीस वृद्धि व नागरिकता कानून और राष्ट्रीय पंजी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. इन विश्विद्यायलों में जामिय मिलिया, जेएनयू, एएमयू, बीएचयू, डीयू, और जाधवपुर अहम हैं.

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Last Updated :Jan 14, 2020, 12:00 AM IST

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