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Bastar Dussehra 2023: पाट जात्रा रस्म के साथ बस्तर दशहरा शुरू, 107 दिनों तक मनेगा पर्व, बस्तर में जुटे श्रद्धालु

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Published : Jul 17, 2023, 6:51 PM IST

Updated : Jul 17, 2023, 8:26 PM IST

Bastar Dussehra 2023: आज हरेली तिहार के मौके पर पाट जात्रा रस्म के साथ बस्तर दशहरा की शुरुआत हो चुकी है. बस्तर में इस पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है. मां दंतेश्वरी की रथ यात्रा निकाली जाती है. हर दिन अलग-अलग रस्म निभाए जाते हैं.

Bastar Dussehra
बस्तर दशहरा

पाट जात्रा रस्म के साथ बस्तर दशहरा शुरू

बस्तर: बस्तर दशहरा की शुरुआत आज हरेली तिहार के साथ हो गई है. हरेली पर्व पर पाट जात्रा का रस्म निभाया जाता है. इस रस्म के साथ बस्तर दशहरा की शुरुआत हो गई है. दशहरा शब्द से लोग रावण दहन या फिर राम भगवान के रावण पर विजय को पर्व समझते हैं. हालांकि बस्तर दशहरा में ना तो राम भगवान की पूजा होती है और ना ही रावण का पुतला जलाया जाता है. ये दशहरा देवी मां को समर्पित होता है.

बस्तर दशहरा पर निकलती है मां दंतेश्वरी की रथ यात्रा:बस्तर दशहरा में रथ यात्रा निकाली जाती है. इन रथों पर देवी मां सवार होती हैं. रथ को लकड़ी से तैयार किया जाता है. इसे स्थानीय बोली में ठुरलु खोटला या फिर टीका पाटा कहते हैं. हरेली अमावस्या को माचकोट जंगल से लाई गई लकड़ी की पूजा की जाती है. इस रस्म को पाट जात्रा रस्म कहते हैं. आज बस्तर में पाट जात्रा की रस्म निभाई गई. इसी के साथ बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हो चुकी है.

हर साल की तरह इस साल भी हरेली अमावस्या के दिन पाट जात्रा रस्म निभाकर बस्तर दशहरा का शुभारंभ किया गया. इस बार बस्तर दशहरा 75 दिनों का नहीं बल्कि 107 दिनों का होगा, जो काफी चुनौतीपूर्ण रहता है. बस्तर दशहरा शांतिपूर्वक निपटने की हम कामना करते हैं.- लखेश्वर बघेल, अध्यक्ष, बस्तर विकास प्राधिकरण

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा
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107 दिनों तक मनाया जाएगा ये पर्व:आमतौर पर बस्तर दशहरा पर्व 75 दिनों तक मनाया जाता है. हालांकि पुरुषोत्तम मास होने के कारण ये पर्व 107 दिनों तक मनाया जाएगा. आज पाट जात्रा रस्म के साथ इस पर्व की शुरुआत हुई है. यह रस्म जगदलपुर शहर के दंतेश्वरी मंदिर परिसर के सामने निभाया गया. जगदलपुर शहर से कुछ दूर पर स्थित विशेष गांव बिलोरी से साल के वृक्ष का मजबूत तना लाया जाता है. इस तना को 'ठुरलू खोटला' कहा जाता है.

आज शहर के सभी नागरिकों के साथ ही पाट जात्रा रस्म निभाया गया है. इस रस्म के बाद ही वृक्षारोपण, डेरी गढ़ई, काछन गाड़ी, जोगी बिठाई, फूल रथ परिक्रमा, बेल पूजा, निशा जात्रा, मावली परघाव, भीतर रैनी, बाहर रैनी, मुरिया दरबार, कुटुम्ब जात्रा और डोली विदाई की रस्म निभाई जाएगी. - अर्जुन मांझी, दंतेवाड़ा से पहुंचे सदस्य

बस्तर दशहरा को लेकर जिला प्रशासन एक्टिव: बस्तर दशहरा को लेकर सभी प्रशासनिक तैयारियां कर ली गई है. बस्तर जिला प्रशासन ने लगातार बस्तर में बैठक कर इस बड़े और पावन पर्व को मनाने के लिए दिन रात बैठकें की है. सभी माझी, चालकी और गायता पुजारी से बातचीत कर हर विधि के अनुसार कार्य को संपन्न कराने का लक्ष्य रखा गया है.

बस्तर दशहरा को देखते हुए विशेष बैठक आयोजित की गई है. सभी रस्मों को निभाने के लिए जिला प्रशासन का विशेष योगदान इस साल भी रहेगा. -विजय दयाराम, बस्तर कलेक्टर

615 सालों से बस्तर दशहरा मनाया जा रहा: बस्तर के आदिवासियों की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी हैं. इनके दर्शन करने के लिए हर साल भक्त यहां पहुंचते हैं. साल 1408 में बस्तर के काकतीय शासक पुरुषोत्तम देव को 16 पहियों वाला विशाल रथ भेंट किया गया था. इस तरह बस्तर में 615 सालों से बस्तर दशहरा मनाया जा रहा है. राजा पुरुषोत्तम देव ने जगन्नाथ पुरी से वरदान में मिले 16 चक्कों का रथ बांट दिया था. उन्होंने सबसे पहले रथ के चार चक्कों को भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया. बाकी के बचे हुए 12 चक्कों को दंतेश्वरी माई को अर्पित किया था.

Last Updated : Jul 17, 2023, 8:26 PM IST

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