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गहलोत ने दिए सीएम पद छोड़ने के संकेत, बड़ा सवाल- सूबे का कमांडर कौन ? पायलट-भंवर जितेंद्र समेत ये नेता रेस में

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Published : Sep 22, 2022, 9:51 PM IST

अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने के संकेत दिए हैं. वे अब यह कहते भी दिखाई दे रहे हैं कि दोनों पद संभालना उनके लिए मुश्किल होगा. बात राजस्थान सीएम की करें तो यहां विधायकों की राय अहम होगी. सीएम पद की रेस में पायलट-भंवर जितेंद्र समेत कई नाम सामने आ सकते हैं. देखिए जयपुर से ये रिपोर्ट...

Ashok Gehlot Sachin Pilot, Congress President Nomination
गहलोत ने दिए सीएम पद छोड़ने के संकेत.

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ना (Congress President Nomination) अब लगभग तय हो गया है. मुख्यमंत्री संभवत: 28 सितंबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब यह कहते भी दिखाई दे रहे हैं कि भले ही चुनाव लड़कर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के चलते 'एक व्यक्ति एक पद' का उल्लंघन नहीं होगा, लेकिन फिर भी आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहा हो. क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष को पूरा देश संभालना होता है. ऐसे में दोनों पद संभालना उनके लिए मुश्किल होगा.

साफ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही (Ashok Gehlot Hints of Quitting CM Post) मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि गहलोत के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा ? क्योंकि सबसे ऊपर नाम जिन सचिन पायलट का चल रहा है, उनके नाम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीटो लगा सकते हैं. उन्होंने यह कह दिया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस पार्टी को बहुत सोच-समझकर निर्णय लेना होगा. इसमें विधायकों की राय भी महत्वपूर्ण रहेगी और दोबारा सरकार कैसे राजस्थान जैसे बड़े राज्य में कांग्रेस की आए, इसे देखते हुए लेना होगा.

गहलोत ने दिए सीएम पद छोड़ने के संकेत.

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मतलब साफ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के नाम पर राजी नहीं हैं और वह विधायकों की रायशुमारी करवा कर ही राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम का चयन करवाएंगे. जब खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे तो उनकी यह बात कोई टाल भी नहीं सकेगा. यही कारण है कि राजस्थान के विधायक और मंत्री 27 सितंबर को दिल्ली पहुंच जाएंगे और सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्री-विधायकों को दिल्ली बुलाकर कांग्रेस आलाकमान को यह बता देंगे कि विधायकों की राय राजस्थान में ज्यादा महत्वपूर्ण होगी. एक तरह से यह गहलोत का शक्ति प्रदर्शन भी होगा.

बहरहाल, गहलोत के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर देश में हर किसी की नजर है. हालांकि, राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की रेस तब ही शुरू होगी, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन दाखिल कर देंगे. इस दौड़ में सचिन पायलट के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, मंत्री लालचंद कटारिया, सीपी जोशी, बीडी कल्ला और भंवर जितेंद्र जैसे कई नेता शामिल हो सकते हैं. अचानक कोई दूसरा नाम भी इस दौड़ में शामिल हो सकता है. कौन है गहलोत के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री का दावेदार ? यहां देखिए...

सचिन पायलट : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अगर कुर्सी छोड़ते हैं तो इस कुर्सी का सबसे स्वभाविक उम्मीदवार (Sachin Pilot as Congress CM Candidate) सचिन पायलट ही होंगे. क्योंकि कहा जा रहा है कि अब सचिन पायलट राहुल गांधी के साथ अपने पुराने रिश्ते फिर से कायम करने में कामयाब हो गए हैं. राजस्थान में सचिन पायलट के अलावा दूर-दूर तक ऐसा नेता नहीं है, जो लोकप्रियता या संगठन को चलाने में सक्षम हो और गांधी परिवार के इतना नजदीक भी हो. लेकिन उन्हें एक तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विरोध झेलना पड़ेगा तो वहीं दूसरी ओर वह 80 विधायक भी खुलकर उनके खिलाफ खड़े हो सकते हैं.

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क्या पहली बार मिल सकता है जाट मुख्यमंत्री ? : राजस्थान में सबसे ताकतवर और राजनीतिक समझ रखने वाला समाज अगर किसी को माना जाता है, तो वह है जाट समाज. लेकिन आज तक राजस्थान को जाट मुख्यमंत्री नहीं मिला है. 1998 में जब लग रहा था कि राजस्थान को जाट मुख्यमंत्री मिलेगा, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बन गए. ऐसे में अब जब 24 साल बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कुर्सी खाली कर सकते हैं, तो हो सकता है कि इस सबसे बड़ी कम्युनिटी पर दांव खेलने की राय अशोक गहलोत ही दें.

क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए गहलोत के लिए भी यह महत्वपूर्ण होगा कि राजस्थान में सरकार रिपीट हो. इसके लिए किसान वर्ग से ज्यादा महत्वपूर्ण और कोई इस समय देश में नहीं है. खुद भाजपा भी जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर किसान कम्युनिटी को साधने का संदेश दे चुकी है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी भी राजस्थान में जाट समाज को साथ कर एक बड़ा वोट वर्ग अपने साथ करना चाहेगी.

गोविंद डोटासरा : राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को न केवल किस्मत का धनी, बल्कि राजस्थान की कांग्रेस की राजनीति का डार्क हॉर्स भी माना जाता है. जिस समय सचिन पायलट को बगावत के आरोपों के चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया गया, उस समय कई बड़े जाट नेता अध्यक्ष पद के दावेदार थे. लेकिन लॉटरी लगी गोविंद डोटासरा की, जिन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. अब एक बार फिर ऐसे हालात बन रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अगर अपनी कुर्सी छोड़ते हैं तो तो उनके उत्तराधिकारी के तौर पर गोविंद डोटासरा को ही देखा जा रहा है.

लालचंद कटारिया : राजस्थान के कांग्रेस के बड़े जाट नेता जो विवादों से दूर रहते हैं. कटारिया के पास केंद्रीय मंत्री से लेकर राजस्थान में मंत्री रहने तक का अनुभव भी है और साल 2020 में वह राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की कतार में भी थे, लेकिन हो सकता है कि अब अगर गोविंद डोटासरा के बाद किसी दूसरे जाट चेहरे की ओर कांग्रेस देखे तो वह लालचंद कटारिया हो सकते हैं.

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हरीश चौधरी : भले ही गोविंद डोटासरा और लालचंद कटारिया राजस्थान के परिदृश्य में बड़े किसान नेता दिखाई दे रहे हों, लेकिन कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में जो दखल हरीश चौधरी रखते हैं, वह इन दोनों नेताओं से कहीं ज्यादा है. यही कारण था कि उन्हें पंजाब जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी प्रभारी बनाकर सौंपी गई, जिसके लिए उन्होंने हंसते-हंसते अपना मंत्री पद भी छोड़ दिया.

हेमाराम चौधरी : वैसे तो हेमाराम चौधरी पायलट कैंप से नहीं आते हैं, लेकिन अगर पायलट को यह लगा कि उनका नंबर नहीं आ रहा है तो वह हेमाराम चौधरी का नाम आगे कर सकते हैं. हेमाराम पुराने कांग्रेसी हैं और नेता प्रतिपक्ष से लेकर अहम पदों पर रह चुके हैं.

ब्राह्मण चेहरे भी दावेदार :एक समय हुआ करता था जब राजस्थान कांग्रेस में ब्राह्मणों का वर्चस्व था और एक के बाद एक कई मुख्यमंत्री राजस्थान में ब्राह्मण बनाए गए. उस समय ब्राह्मण कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता था, लेकिन समय के साथ ब्राह्मण नेता कांग्रेस में हाशिए पर चले गए और ब्राह्मण वोटर भी कांग्रेस से फिसल गया. अब अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान से मुख्यमंत्री पद को छोड़ते हैं तो ऐसे में ब्राह्मण उम्मीदवार पर भी दांव खेला जा सकता है.

सीपी जोशी : कभी एक वोट से मुख्यमंत्री पद गंवाने वाले राजस्थान के सबसे बड़े ब्राह्मण नेता सीपी जोशी को भी राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का बड़ा दावेदार माना जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बाद एकमात्र सीपी जोशी ही वह नेता हैं, जिनके साथ बड़ी संख्या में विधायक जुड़े हुए हैं. ऐसे में सीपी जोशी कैंप फिर एक्टिव होगा और पूरा प्रयास करेगा कि पार्टी का लगातार साथ देने वाले सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बना दिया जाए.

बीडी कल्ला : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे बीडी कल्ला भी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री की रेस में हैं.

रघु शर्मा : तेजतर्रार नेता रघु शर्मा जो अभी गुजरात चुनाव संभाल रहे हैं, अगर ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो ऐसे में रघु शर्मा का भी नाम सामने आना लाजमी है.

राजपूत :वैसे तो कांग्रेस पार्टी में अभी इतना बड़ा राजपूत नेता सक्रिय नहीं है कि वह मुख्यमंत्री बन सके. लेकिन अगर सचिन पायलट पर बात नहीं बनी और विधायकों ने यह कहा कि कांग्रेस आलाकमान जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बनाएं तो कांग्रेस आलाकमान भंवर जितेंद्र को भी (Bhanwar Jitendra May Became CM) मुख्यमंत्री बना सकता है. हालांकि, भंवर जितेंद्र राजपूत कोटे से नहीं, बल्कि गांधी परिवार के कोटे से मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

अनुसूचित जाति : वैसे तो राजस्थान में अनुसूचित जाति के भी कांग्रेस के इतने बड़े नेता भी नहीं हैं, जो मुख्यमंत्री की दौड़ में हों. पंजाब में इस प्रयोग में कांग्रेस को निराशा हाथ लगी, लेकिन मंत्री टीकाराम जूली, मंत्री ममता भूपेश और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा का नाम आगे आ सकता है.

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