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Amarmani Tripathi: उत्तराखंड में हुआ था अमरमणि त्रिपाठी के गुनाहों का 'हिसाब', मिली थी उम्रकैद की सजा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 25, 2023, 4:28 PM IST

Updated : Aug 25, 2023, 10:45 PM IST

Madhumita Shukla Murder Case साल 2003 में मई महीने में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या से दहल गया था. हत्या का आरोप बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि पर लगा. मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से जांच प्रभावित होने की आशंका जताई गई. लिहाजा, केस को उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया. जहां देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मधुमिता शुक्ला मर्डर केस में दोषी ठहराते हुए अमरमणि और उसकी पत्नी को उम्र कैद की सजा सुनाई. पूरा मामला अमरमणि का मधुमिता से संंबंध, प्रेग्नेंट करने और फिर हत्या से जुड़ा है.

Amarmani Tripathi Bail
अमरमणि त्रिपाठी

देहरादून (उत्तराखंड):चर्चितमधुमिता शुक्ला हत्याकांड के आरोपी अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि आज 20 साल बाद जेल से रिहा हो गए हैं. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल की तरफ से गुरुवार शाम यह आदेश जारी किए गए हैं. यह आदेश उनकी बीमारी और जेल में उनके अच्छे आचरण को लेकर जारी किए गए हैं. अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के पूर्व बाहुबली नेता और बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं.

बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी

इससे पहले अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने के लिए मधुमिता शुक्ला की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश के इस आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्ते के भीतर इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है. वहीं, मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला इस आदेश के बाद बेहद परेशान हैं.

अपने जेल की यात्रा के दौरान लंबा समय अमरमणि त्रिपाठी ने उत्तराखंड में ही बिताया था. ये बात भी सही है कि उत्तर प्रदेश के इस बाहुबली नेता को सजा दिलाने में उत्तराखंड का भी बड़ा योगदान रहा है. साल 2007 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ही अमरमणि को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने साल 2003 में हत्या के बाद इस मामले को उत्तराखंड समेत तीन अन्य राज्यों में से किसी एक में ट्रांसफर करने की मांग की थी. जिसके बाद यह मामला उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया था.
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क्या था मामला?दरअसल, यह मामला साल 2003 का है. जब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या के बाद पहुंची पुलिस ने जब मधुमिता शुक्ला के नौकर से बातचीत की, तब इस बात का खुलासा हुआ था कि मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता शुक्ला के बीच संबंध थे. क्योंकि, राज्य में मायावती की सरकार थी.

कवयित्री मधुमिता शुक्ला

ऐसे में पुलिस इस पूरे मामले की जांच करने से कतरा रही थी, लेकिन मधुमिता शुक्ला का परिवार चीख-चीख कर ये कह रहा था कि अमरमणि त्रिपाठी ने ही इस हत्याकांड को अंजाम दिया है. बाद में यह बात भी स्पष्ट रूप से साफ हो गई थी कि मधुमिता शुक्ला को जिस वक्त गोली मारी गई, उस वक्त उनके पेट में एक बच्चा भी था.

वहीं, डीएनए रिपोर्ट आने के बाद यह बात भी साफ हो गई थी कि यह बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का ही था. इसके बाद में यूपी सरकार ने इस पूरे मामले की जांच सीबीसीआईडी (CBCID) से करवाई, लेकिन जांच संतोषजनक नहीं हुआ. इधर, विपक्ष का हो हल्ला होने के बाद इस पूरे मामले की जांच राज्य सरकार ने सीबीआई (CBI) से कराने की सिफारिश कर दी.

देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी को सुनाई उम्र कैद की सजाःबाहुबली नेता होने की वजह से मधुमिता शुक्ला की बहन निधि को आशंका थी कि उत्तर प्रदेश में इस पूरे मामले की जांच सही तरीके से नहीं हो पाएगी. लिहाजा, शुक्ला परिवार ने इस मामले को उत्तर प्रदेश से अलग ट्रांसफर करने की मांग की. तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच साल 2005 में उत्तराखंड ट्रांसफर करने के आदेश दिए.
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वहीं, सीबीआई ने जांच की शुरुआत में अमरमणि त्रिपाठी को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही मामले की जांच आगे बढ़ाई. गिरफ्तारी के बाद अमरमणि त्रिपाठी को पहले हरिद्वार जेल में रखा गया था. बाद में साल 2012 और 2013 के बीच उसे बीमारी के चलते गोरखपुर शिफ्ट कर दिया गया.

अमरमणि त्रिपाठी का सिक्का उत्तर प्रदेश में किस कदर चल रहा था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गोरखपुर जाने के बाद किसी ने भी ये हिम्मत नहीं जुटाई कि उसे दोबारा से उत्तराखंड जेल में भेजा जाए. लिहाजा, निधि शुक्ला ने एक बार फिर से उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

वहीं, मधुमिता के परिजनों के अनुरोध पर केस की सुनवाई देहरादून के फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में हुई. जहां दोनों को 24 अक्टूबर 2007 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. हालांकि, साल 2012 के बाद अमरमणि उत्तराखंड की जेल में नहीं रहा, लेकिन किसी ने किसी पेशी में उसे जरूर लाया जाता रहा. अपनी बीमारी की वजह से वो लंबे समय से गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में ही भर्ती हैं. अपनी सजा के दौरान वो कई बार हरिद्वार और देहरादून के अस्पतालों में भी आता जाता रहता था.

अमरमणि त्रिपाठी

क्या बोले करीबी?देहरादून में रहने वाले अमरमणि त्रिपाठी के करीबी ने ईटीवी भारत से बिना नाम छापने की शर्त पर बताया कि जो भी फैसला आया है, वो अमरमणि की उम्र और स्वास्थ्य के साथ अच्छे आचरण के लिए आया है. 20 साल पहले जो भी कुछ हुआ, वो दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन इस बात की सजा वो काट चुके हैं. वो लोकप्रिय नेता भी रहे. तभी तो 6 बार विधायक रहे. हर बात पर किसी भी इंसान को बुरा भला कहना ठीक नहीं है.
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कौन थी मधुमिता शुक्ला और क्या थी हत्या की वजह?यूपी के लखीमपुर खीरी की मधुमिता शुक्ला कवयित्री थी. वो कविताएं पढ़ती थीं और छोटे मोटे मंचों पर उन्हें देखा जाता था. उनकी मई 2003 में लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के बाद पोस्टमार्टम में 7 महीने की प्रेग्नेंट होने का पता चला था. जिसके बाद डीएनए (DNA) जांच में पता चला कि ये बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का ही था.

मधुमिता शुक्ला

अमरमणि त्रिपाठी लगातार ये दबाव बना रहा था कि वो इस बच्चे को गिरा दें. इसी को लेकर दोनों में लंबे समय से विवाद चल रहा था. इसी से छुटकारा पाने के लिए अमरमणि त्रिपाठी ने मधुमिता की गोली मारकर हत्या करवा दी. देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट के पास यह केस आया. जहां फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई. इसके बाद वो उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए. जहां कोर्ट ने सजा बरकरार रखी.

Last Updated : Aug 25, 2023, 10:45 PM IST

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