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अखिलेश यादव नहीं लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, सपा-रालोद का होगा गठबंधन

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Published : Nov 1, 2021, 12:58 PM IST

Updated : Nov 1, 2021, 5:00 PM IST

अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वह 2022 यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. अखिलेश ने कहा कि उनकी प्राथमिकता पार्टी को जिताना है, इसलिए वह पूरे राज्य में प्रचार की कमान संभालेंगे.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि वह अगले साल की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. अखिलेश ने यह भी कहा कि चुनाव के लिए उनकी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के बीच गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है. सपा प्रमुख ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि रालोद के साथ हमारा गठबंधन अंतिम है. सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाना है.

आजमगढ़ से सपा के सांसद और अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे अखिलेश ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. चुनाव में चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) को साथ लेने की संभावना पर अखिलेश ने कहा, मुझे इसमें कोई समस्या नहीं है. उन्हें और उनके लोगों को उचित सम्मान दिया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इस बारे में अंतिम फैसला कब लिया जाएगा.

अखिलेश ने कोविड-19 महामारी के दौरान केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा ही पीड़ित लोगों की मदद किए जाने के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दावे को गलत बताते हुए कहा कि यह दोनों ही संगठन उस मुश्किल वक्त में नदारद थे और सिर्फ सपा ने ही क्षेत्र में जाकर लोगों की सहायता की. उन्होंने कहा, भाजपा यह दावा कर रही है कि कोविड-19 महामारी के दौरान सिर्फ उसके और आरएसएस के लोगों ने ही परेशान लोगों की मदद की. यह बिल्कुल झूठ है. इन दोनों ही संगठनों ने जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया था. सिर्फ सपा के कार्यकर्ता ही महामारी के चरम समय में सड़कों पर उतर कर लोगों की मदद कर रहे थे.

शाह ने पिछले हफ्ते लखनऊ में कहा था कि सिर्फ भाजपा और आरएसएस के लोगों ने ही महामारी के दौरान परेशान लोगों की मदद की थी. अखिलेश ने आरोप लगाया, कोविड-19 महामारी के दौरान मदद करने पर सबसे ज्यादा सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ ही मुकदमे दर्ज किए गए मगर इससे उनका हौसला नहीं डिगा. आखिर क्यों भाजपा के किसी कार्यकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं हुआ? ऐसा इसलिए क्योंकि सिर्फ हमारे कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे थे और उनका हौसला तोड़ने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए। यह भाजपा का अमानवीय चेहरा था.

पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के साथ गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि यह एक स्वाभाविक गठबंधन है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों ने इसे स्वीकार किया है. इससे भाजपा की पराजय सुनिश्चित हो जाएगी.

सुभासपा द्वारा मुफ्त बिजली और रालोद द्वारा एक करोड़ लोगों को रोजगार दिए जाने के चुनावी वादों के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हर पार्टी का अपना एजेंडा होता है. हम सभी किसानों, बेरोजगारों और आम लोगों के मुद्दे उठाते हैं. हर पार्टी अपना घोषणा पत्र जारी कर रही है. अगर चुनाव में हमें जीत मिली तो हमारी सरकार उन सभी मुद्दों और वादों को अपनी प्राथमिकता में शामिल करने की कोशिश करेगी और इसके लिए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया जाएगा.

असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर सपा नेता ने कहा, हमारी पार्टी ने उनसे कोई बात नहीं की है. अखिलेश ने दावा किया कि सिर्फ सपा ही ऐसी पार्टी है जो भाजपा का मुकाबला कर सकती है और जनहित में उसके सामने खड़ी हो सकती है. किसान भी सपा के साथ हैं. इस बार राज्य में बदलाव होगा और इसके लिए लोगों ने अपना मन बना लिया है. सपा की विजय रथ यात्रा के बारे में अखिलेश ने कहा कि यह रथ यात्रा पिछले महीने शुरू हुई थी और 11 नवंबर तक चलेगी.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज के बारे में अखिलेश ने कहा, मुख्यमंत्री ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया है. अपने घोषणापत्र के 90 प्रतिशत वादे पूरे करने का दावा करके भाजपा सिर्फ झूठ बोल रही है.

Last Updated :Nov 1, 2021, 5:00 PM IST

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