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रिटायर्ड SI बच्चों को सिखा रहे दुनिया का सबसे पुराना मार्शल आर्ट कलारिपयट्टू

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Published : Feb 17, 2022, 5:02 PM IST

trainer Muhammad Gurukkal
trainer Muhammad Gurukkal

केरल के एक रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर दुनिया के सबसे पुराने मार्शल आर्ट के रूप में मशहूर कलारिपयट्टू का संरक्षण कर रहे हैं. वह अभी तक 3000 बच्चों को कलारिपयट्टू की ट्रेनिंग दे चुके हैं.

नई दिल्ली : केरल के कोझिकोड में एक रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर युवाओं को पारंपरिक मार्शल आर्ट कलारिपयट्टू की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इसके अलावा वह आयुर्वेद पद्धति से लोगों का इलाज भी करते हैं. रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर मुहम्मद गुरुक्कल ने बताया कि वह लड़के और लड़कियों को फ्री में कलारिपयट्टू की ट्रेनिंग देते हैं. आज तक उन्होंने 3000 बच्चों और युवाओं को कलारिपयट्टू सिखाया है. उनके शागिर्दों में इंडियन आर्मी के जवान भी शामिल हैं. मलयालम भाषा में कलारि का मतलब है युद्ध का मैदान और पयट्टू का मतलब है पारंगत यानी ट्रेंड होना. यानी कलयारिपट्टू का अर्थ है युद्ध के मैदान में जाने के लिए पारंगत होना.

केरल का यह परंपरागत मार्शल आर्ट सदियों पुराना है. यह केरल के अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु में भी काफी लोकप्रिय है. भारतीय परंपरा में इस आर्ट को लेकर जनश्रुति है कि कलारिपयट्टू के असली जनक भगवान श्रीकृष्ण थे. उन्होंने लड़ाई की इस विद्या के माध्यम से ही चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों का वध किया था. श्रीकृष्ण ने कलारिपयट्टी के जरिए ही यमुना में कालिया नाग को परास्त किया था. भगवान कृष्ण ने अपनी नारायणी सेना को भी इस विद्या के अभ्यास से ताकतवर बनाया था. माना जाता है कि डांडिया रास का आविष्कार भी कलारिपयट्टू के खेल से ही हुआ.

यह माना जाता है कि जब यह खेल चीन और जापान पहुंचा तो वहां इसे कूंग फू का नाम दिया. इसके अभ्यास से न सिर्फ खिलाड़ी युद्ध में मदद मिलती है बल्कि शरीर भी निरोग रहता है. इसकी तकनीक योद्धा को फुर्तीला बनाती है. बता दें केरल का पर्यटन विभाग पारंपरिक मार्शल आर्ट फॉर्म को बढ़ावा देने के लिए वेल्लार क्राफ्ट विलेज में कलारीपयट्टू अकादमी की स्थापना कर रही है.

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