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बिहार में चिकित्सकों कि कमी के बावजूद, 450 चिकित्सक की नियुक्ति अधर में

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Published : Feb 11, 2022, 7:03 AM IST

Corona in Bihar

बिहार सरकार चिकित्सकों की कमी का रोना रोती रही है, लेकिन संकट के दौर में 450 चिकित्सक बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा (Negligence of Bihar Health Department) भुगत रहे हैं. उनकी नियुक्ति को लेकर सरकारी रवैया ढुलमुल है.

पटना:बिहार कोरोना संकट के (Corona in Bihar) दौर से गुजर रहा है. सरकार चिकित्सकों की कमी(Shortage of doctors in Bihar) का रोना रोती रही है, लेकिन संकट के दौर में 450 चिकित्सक बिहार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा (Negligence of Bihar Health Department) भुगत रहे हैं. वहीं चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज से डिग्री तो मिल गई है, लेकिन उनकी बांड पोस्टिंग में हो रही देरी के कारण वह निजी प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही चिकित्सकों का मानदेय भी बाधित है.

फिलहाल बिहार में 450 चिकित्सक ऐसे हैं जिन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की है. उनके परीक्षा उत्तीर्ण हुए पूरे 2 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग अब तक नहीं हो पाई है. सरकार के नियमावली के मुताबिक चिकित्सकों की बांड पोस्टिंग होनी है. 3 वर्ष के लिए बॉन्ड पोस्टिंग होती है. सभी चिकित्सकों के सर्टिफिकेट विभाग में जमा करा लिए गए हैं, लेकिन उनकी पोस्टिंग नहीं हो सकी है. पीजी कोर्स की समय अवधि खत्म होने के कारण पिछले 6 महीने से चिकित्सकों को मानदेय भी नहीं मिला है.

इसपर स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने बताया कि पीजी का परिणाम घोषित होने के बाद से बांड पोस्‍ट‍िंग की प्रक्रिया चल रही है. राज्य स्तर पर जरूरतों को देखते हुए पोस्‍ट‍िंग करने के कारण इसमें कुछ समय लगता है. जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर सभी 500 डॉक्टरों की पोस्‍ट‍िंग कर दी जाएगी.

इस मामले पर राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि, बिहार में 450 चिकित्सकों की बहाली (Reinstatement of 450 Doctors in Bihar) होनी थी. सरकार ने सभी के सर्टिफिकेट जमा करवा लिए और कहा कि जल्द ही आपको नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. लेकिन, महीनों से मामला लटका हुआ है. अब चिकित्सकों की स्थिति ये हो गई है कि उन लोगों के पास कोई सर्टिफिकेट और डिग्री नहीं है. जिसके कारण वो प्राइवेट क्लीनिक में भी इलाज नहीं कर पा रहे हैं. राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से चिकित्सकों का भविष्य अधर में है एवं चिकित्सा व्यवस्था भी भगवान भरोसे है.

वहीं बीजेपी प्रवक्ता अरविंद कुमार ने कहा कि, अगर सरकार लापरवाह है, तो ये मैं भी कहूंगा कि शिक्षा और चिकित्सा एक ऐसी जगह है, जहां त्वरित कार्रवाई होना चाहिए. जहां तक डॉक्टरों की नियुक्ति का सवाल है अगर वो पेंडिंग है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. चिकित्सकों की नियुक्ति में देरी चिंताजनक है. सरकार को इसपर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए.

गौरतलब है कि पीएमसीएच से पीजी डिग्री लेकर निकले 200 चिकित्सक और एनएमसीएच से निकले 83 चिकित्सक समेत 450 डॉक्टरों की बांड पोस्टिंग से इलाज में सहूलियत होगी. अब चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को आवेदन भी दिया है और कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में चिकित्सक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने कहा है कि तकनीकी परेशानियों की वजह से थोड़ी देरी हो रही है. जल्द ही 500 चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.

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