दिल्ली

delhi

Mahatma Gandhi Jayanti: हिमाचल की वो जेल जहां महात्मा गांधी ने बिताए थे 2 दिन, गोडसे था यहां का अंतिम कैदी, आज भी किस्से सुन कांप जाती है रूह

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2023, 10:38 AM IST

Updated : Oct 2, 2023, 11:00 AM IST

आज महात्मा गांधी की जयंती है. महात्मा गांधी का हिमाचल से भी नाता रहा है. हिमाचल के सोलन जिले में स्थित डगशाई जेल में गांधी ने 2 दिन बिताए थे. वहीं, गोडसे इस जेल का अंतिम कैदी था. पढ़िए पूरी खबर...(Mahatma Gandhi Jayanti) (2 October Gandhi Jayanti) (Solan Dagshai Jail)

Mahatma Gandhi Jayanti
हिमाचल की वो जेल जहां महात्मा गांधी ने बिताए थे 2 दिन

सोलन:देशभर में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जा रही है. हर साल उनकी जयंती पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों की तरह हिमाचल प्रदेश से भी महात्मा गांधी का एक अलग रिश्ता रहा है. देश की आजादी में महात्मा गांधी का जो योगदान रहा उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है. आजादी के इतने सालों बाद भी हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मौजूद डगशाई जेल उन जगहों में से एक है, जहां महात्मा गांधी ने दो दिन बिताए थे. इस जेल में अंग्रजों ने स्वतंत्रता सेनानियों का अमानवीय यातनाएं दी थी. इस जेल की दीवारें आज भी इसकी कहानी बयां करती है.

स्वतंत्रता सेनानियों का यहां दी जाती थी यातनाएं: डगशाई जेल में हमारे स्वंतत्रता सेनानियों को बहुत सी तकलीफें दी गई, जिन्हें याद करके आज भी लोगों की रूह कांप उठती है. डगशाई जेल ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी. डगशाई इलाके को 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था, अंग्रेजों ने पटियाला के राजा से इस क्षेत्र के 5 गांवों को मिलाकर डगशाई की स्थापना की थी. यह जेल आज भी एक खौफनाक मंजर दर्शाती है.

स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कालकोठरी थी डगशाई जेल

महात्मा गांधी ने इस जेल में बिताए थे 2 दिन: साल 1920 में महात्मा गांधी ने भी डगशाई जेल में 2 दिन बिताए थे. महात्मा गांधी जेल में बंद आयरिश कैदियों से मिलने के आए थे. आयरिश सैनिकों की आकस्मिक गिरफ्तारी ने महात्मा गांधी को डगशाई आने के लिए प्रेरित किया था. ताकि वह यहां आकर इसका आंकलन कर सके. गांधी जी के दौरे को लेकर अंग्रेजों ने उनके ठहरने की व्यवस्था छावनी क्षेत्र में की थी, लेकिन उन्होंने जेल में ही ठहरने की मांग की थी.

डगशाई जेल में महात्मा गांधी ने बिताए थे 2 दिन

बापू के हत्यारे गोडसे यहां का था अंतिम कैदी: महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को शिमला में ट्रायल के दौरान डगशाई जेल लाया गया था. जेल के मुख्यद्वार के एंट्री के साथ वाले सेल में गोडसे को रखा गया था. यहां पर गोडसे की फोटो दीवार पर लटकी हुई है. गोडसे ही इस जेल का अंतिम कैदी था. प्रवेशद्वार के साथ बने छह नंबर सेल में गोडसे को रखा गया था. उसके बाद जेल में कैदियों को रखना बंद कर दिया गया था.

नाथूराम गोडसे यहां का अंतिम कैदी था

अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयां करती जेल की दीवारें: जेल में बनी कालकोठरी आज भी भयानक लगती है, यहां पर अंधेरा है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों के समय में इस जेल में किस कदर कैदियों को यातनाएं दी जाती थीं. इस जेल की दीवारें आज भी अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयां करती हैं. शारीरिक तनाव के अलावा कभी-कभी कैदियों को अनुशासनहीनता का अनुभव महसूस कराने के लिए अमानवीय दंड भी दिया जाता था. पहाड़ पर बनी यह सेंट्रल जेल अंडमान निकोबार की जेल की तरह ही बनाई गई थी. यहां कई जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था. यहां कैदियों के माथे को गर्म सलाखों से दागा जाता था. इसलिए इसे 'दाग-ए-शाही' सजा कहा जाता था. दाग-ए-शाही नाम से ही डगशाई नाम उत्पन्न हुआ.

यहां स्वतंत्रता सेनानियों को यातनाएं दी जाती थी.

अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयां करती जेल की दीवारें:जेल में बनी काल कोठरियां आज भी भयावह लगती हैं. यहां पर अंधकूप अंधेरा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि अंग्रेजों के समय में इस जेल में किस कदर कैदियों को यातनाएं दी जाती थीं. पहाड़ पर बनी यह सेंट्रल जेल अंडमान निकोबार की जेल की तरह ही बनाई गई थी. यहां कई जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था. यहां कैदियों के माथे को गर्म सलाखों से दागा जाता था. इसलिए इसे 'दाग-ए-शाही' सजा कहा जाता था. दाग-ए-शाही नाम से ही डगशाई नाम उत्पन्न हुआ. यहां कैदियों को ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिनके बारे में सुन कर ही रूह कांप जाती है. इस जेल की दीवारें आज भी अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयान कर रही हैं. यहां पर कैदियों को दंड देने के नए तरीके अपनाए जाते थे. शारीरिक तनाव के अलावा कभी-कभी कैदियों को अनुशासनहीनता का अनुभव महसूस करवाने के लिए अमानवीय दंड भी दिया जाता था. जेल में कैदियों के माथे पर गर्म सलाखों से नंबर दागा जाता था.

डगशाई जेल को अंग्रेजो ने बनवाया था.

दो दरवाजों के बीच में खड़ा किया जाता था कैदी:बताया जाता है कि कैदी को कैद कक्ष के दोनों दरवाजों के बीच में खड़ा किया जाता था. दोनों दरवाजों पर ताला लगाने के बाद यह सुनिश्चित किया जाता था कि कैदी बिना आराम किए कई घंटे इन दोनों दरवाजों के बीच रहे. इस जेल में कैदियों का एक कार्ड भी बनता था. इस कार्ड में कैदी का पूरा ब्यौरा जिसमें उसका नाम, रंग, देश, अपराध, कारावास की अवधि और फैसले की तारीख लिखी जाती थी.

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में मौजूद डगशाई जेल

अब जेल बन गया संग्रहालय, हजारों लोग करते है रुख:आज भी जिस सेल में महात्मा गांधी ठहरे थे, वहां पर गांधी की एक तस्वीर, चरखा व एक गद्दा रखा गया है. आज भी हजारों की संख्या में लोग इस जेल को देखने के लिए आते हैं. देश के साथ ही एक संग्रहालय कक्ष बनाया गया है, जिसमें जेल व डगशाई से जुड़ी स्मृतियां रखी गई है. अपने जेल म्यूजीयम की इस यात्रा में आप स्वतंत्रता से पहले वाले जमाने के इतिहास में चले जाएंगे, जहां आप करीब से जान सकते हैं कि उस जमाने में कैदियों को कितनी कठोर सजा और यातनाएं दी जाती थी. आपको यहां बता दें कि यहां पर कामागाटामारू के बागी सिख सैनिकों को भी रखा गया था और बाद में इन्हें फांसी दी गई थी.

अब डगशाई जेल को म्यूजियम बना दिया गया है.

कहां है डगशाई जेल:चंडीगढ़ से 40 किमी और सोलन जिले के कसौली से 11 किमी दूर कुमारहट्टी के पास यह जेल स्थित है. यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं. पहाड़ी पर बनी सेंट्रल जेल अंडेमान निकोबार की जेल की ही तरह है. यहां कई जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था. यहां कैदियों के माथे पर गर्म सलाख से माथे पर दागा जाता था. इसी वजह से इस जेल को डगशाई कहा जाता है. डगशाई इलाके को 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था. अंग्रेजों ने पटियाला के राजा से इस क्षेत्र के पांच गांवों को मिलाकर डगशाई की स्थापना की थी.

डगशाई इलाके को 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था.

ये भी पढ़ें:Gandhi jayanti 2023: राष्ट्रपति, पीएम मोदी समेत दिग्गजों ने बापू को दी श्रद्धांजलि, PM बोले- गांधीजी का प्रभाव वैश्विक

Last Updated : Oct 2, 2023, 11:00 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details