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नवरात्र का पांचवां दिन: मां स्कंदमाता की पूजा से मिलता है अभय दान

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Published : Apr 5, 2022, 7:05 PM IST

नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कन्दमाता की पूजा की जाती है. कहते हैं कि मां स्कन्द माता की पूजा करने से माता अभय दान देती हैं.

Worship of Mother Skandmata
मां स्कंदमाता की पूजा

रायपुर:रोहिणी नक्षत्र आयुष्मान योग बालव और कौलव करण वृषभ राशि कि चंद्रमा में बुधवार के दिन श्री राम राज्य उत्सव सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग अहोरात्र की बेला में नव दुर्गा माता की स्कंदमाता स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाएगी. मां दुर्गा पांचवे दिन स्कंदमाता के रूप में जानी जाती है. स्कंदमाता कार्तिकेय की माता मानी जाती है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. माता का वाहन सिंह माना गया है. असुरों के अत्याचारों को रोकने के लिए माता ने सिंह पर सवार होकर समस्त असुरों का संहार किया था. आपके हाथ में तलवार कमल पुष्प और अभय मुद्रा है. अभय मुद्रा के माध्यम से समस्त भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

पंडित विनीत शर्मा ज्योतिष

इस दिन विद्या अध्ययन करने के लिए बहुत शुभ माना गया है. संगीत के साधक योग के साधकों के लिए आज का दिन विशेष महत्व रखता है. इस दिन कमल पुष्प से माता की पूजा-आराधना और साधना करनी चाहिए. इस शुभ दिन गंगा के जल गोमूत्र से स्थान को साफ कर स्कंदमाता की स्थापना की जाती है. ऐसा माना गया है कि कालिदास के द्वारा लिखे गए रघुवंश रचना में स्कंदमाता का ही आशीर्वाद रहा. तब यह महाग्रंथ पूर्ण हो पाया. स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. माता का वर्ण शुभ है. स्कंदमाता वात्सल्य की देवी मानी गई है.

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स्कंदमाता की पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से लेकर दोपहर 12:37 तक शुभ अभिजीत मुहूर्त रहेगा. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:49 से लेकर सुबह 6:16 तक रहेगा. स्कंदमाता को माता पार्वती का ही स्वरूप माना गया है. इस माता को ही गौरी कहा जाता है. स्कंदमाता विद्या, संतान, ज्ञान आदि प्रदान करने वाली देवी मानी गई है. इस शुभ दिन नामकरण, अन्नप्राशन शुभ माना गया है. स्कंद पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग का प्रभाव पड़ रहा है. स्कंद पंचमी के दिन वाणिज्य आरंभ करना और नये वस्त्र खरीदना बहुत ही शुभ माने गए हैं.

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