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education in chhattisgarh: सरकारी स्कूलों के लिए फीस तय, मिडिल स्कूल तक निशुल्क शिक्षा

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Published : Jan 31, 2023, 7:18 PM IST

छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो चुका है. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के कारण ना सिर्फ शिक्षा में सुधार आया है बल्कि प्राइवेट स्कूलों के तर्ज पर अब बच्चों को बौद्धिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है. बात यदि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की करें तो प्राइवेट स्कूलों की तुलना में मिडिल स्कूल तक बच्चों की पढ़ाई निशुल्क है.

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सरकारी स्कूलों के लिए फीस तय

सरकारी स्कूलों के लिए फीस तय

रायपुर : साल 2015 के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल से सलाना फीस ली जाने लगी है. इसी कड़ी में इस वर्ष दसवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं की सलाना फीस तय की गई. जिसमें 9वीं से दसवीं कक्षा के बच्चों को 410 रुपए सालाना फीस जमा करनी होगी. वहीं ग्यारहवीं से बारहवीं तक के बच्चों को 445 रुपये साल में एक बार फीस देनी होगी. यह फीस इस सत्र से लागू कर दी जाएगी. कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाती है. उन्हें किताब यूनिफार्म भी मुफ्त में दिया जाता है ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार पर किसी भी तरह का भार न पड़े और उनके बच्चे भी शिक्षित बने. इस सत्र में स्काउट गाइड के लिए भी राशि अलग से जोड़ी गई है.


मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई निशुल्क : गौरतलब है कि इस विषय में स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम से बात की गई तो शिक्षा मंत्री ने बताया कि "अभी निर्णय लिया गया है. हाईस्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल की फीस को लेकर जिसमें हायर सेकेंडरी स्कूल की फीस 410 रुपये है. वहीं हाई स्कूल की फीस 445 रुपये सालाना निर्धारित की गई है. बाकी पहली से लेकर आठवीं तक की शिक्षा फ्री है.''

कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक अलग से पीस लेने के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि " हाई स्कूल हायर सेकेंडरी स्कूल में बोर्ड की परीक्षा होती है. इस वजह से इसे बहुत ही कम राशि में सालाना फीस ली जाती है. जिसे साल में एक बार आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी जमा कर सकें. वहीं सरकारी स्कूल की परिस्थिति पर नजर डाले तो आप पिछले कुछ सालों से शासकीय स्कूलों में काफी सुधार आया है. यदि किसी भी तरह की लापरवाही देखी जाती है तो प्रशासन तुरंत एक्शन लेता है.''

'' स्कूल की दीवारें हो छत पर पानी हो या नल की अव्यवस्था हो या सिक्योरिटी में कमी हो या फिर शिक्षकों की लापरवाही पर भी प्रशासन तुरंत एक्शन लेता है. शिक्षा विभाग अब प्रदेश के हर बच्चे को शिक्षित देखना चाहता है. यदि हर बच्चा पढ़ेगा लिखेगा तभी राज्य प्रगति करेगा लोगों की सोच में बदलाव आएगा.लोगों की सोच में बदलाव आने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया शिक्षा ही है.''

''वैसे शासकीय स्कूलों में काफी न्यूनतम फीस पर हाईस्कूल और हाई सेकेंडरी की शिक्षा दी जाती है. लेकिन प्राइवेट स्कूल की बात की जाए तो वहां नर्सरी कक्षा में भी काफी फीस वसूले जाते हैं. शासकीय स्कूल की सालाना फीस भी बहुत कम है. महंगे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कितनी फीस देने के बावजूद शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते जो शासकीय स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा कर पाता है.''

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महंगे स्कूलों में दाखिला दिलवाना स्टेटस सिंबल :शिक्षामंत्री के मुताबिक''केवल अपने स्टेटस को मेंटेन करने के लिए अपने क्लास को ऊंचा दिखाने के लिए वर्तमान में परिजन भी बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिला देते हैं. ताकि आसपास के लोगों के बीच में अपना एक ऊंचा स्तर दिखा सकें.कभी-कभी मिडिल क्लास के लोग भी अपनी मां की जरूरतों पर कटौती करते हुए बच्चे को एक अच्छी शिक्षा देने के लिए बड़े से बड़े निजी स्कूलों में एडमिशन कराते हैं. आज भी लोगों के मन में यह भावना है कि निजी स्कूल के शिक्षक शासकीय स्कूलों से बेहतर हैं. निजी स्कूल में सुविधाएं भी शासकीय स्कूलों से बेहतर हैं. जिससे उनके बच्चों का मानसिक स्तर काफी अलग रूप से डेवलप होगा. बच्चों को एक अच्छी शिक्षा देने की वजह से मध्यमवर्गीय परिवारों में आर्थिक बोझ भी काफी बढ़ जाता है.''

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