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अग्निपथ पर बवाल: जानिए क्या कहते हैं छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड फौजी पन्नालाल सिन्हा

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Published : Jun 18, 2022, 6:51 PM IST

Updated : Jun 18, 2022, 8:50 PM IST

Pannalal Sinha

अग्निपथ योजना को लेकर पूरे देश में केन्द्र सरकार के विरोध में हंगामा हो रहा है. सड़कों पर युवा वर्ग प्रदर्शन कर रहे हैं. कई ट्रेनों को जलाया जा रहा है. इस बीच ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड फौजी पन्नालाल सिन्हा से खास बातचीत (Chhattisgarh retired soldier Pannalal Sinha exclusive interview) की.

रायपुर:केंद्र सरकार की योजना "अग्निपथ" के विरोध में कई राज्यों के युवा सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी हजारों की संख्या में ऐसे युवा हैं, जो कई सालों से सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं. रायपुर के रिटायर्ड फौजी पन्नालाल सिन्हा जैसे युवाओं को करीब दो वर्षों से निःशुल्क ट्रेनिंग दी जा रही थी. पन्नालाल सिन्हा अभी 200 बच्चों को ट्रेंड कर रहे हैं.

ईटीवी भारत ने पन्नालाल सिन्हा से खास बातचीत की. एक पूर्व सैनिक और इनसे जुड़े छत्तीसगढ़ के नौजवानों की सोच "अग्निपथ" योजना को लेकर क्या है ? इस विषय में ईटीवी भारत ने पन्नालाल सिन्हा से बातचीत (Chhattisgarh retired soldier Pannalal Sinha exclusive interview) की.

छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड फौजी पन्नालाल सिन्हा

सवाल : आप जिन बच्चों को सेना भर्ती के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं..अग्निपथ योजना को लेकर उनकी क्या राय है?

जवाब : अग्निपथ योजना को लेकर बच्चों में उत्साह है. उनका कहना है, "इससे अच्छा मौका उन्हें और नहीं मिल सकता." तैयारी करने के बाद वे अग्निवीर भर्ती में सफलता प्राप्त करेंगे...उन्हें ऐसी उम्मीद है.

सवाल : कई राज्यों में अग्निपथ का विरोध किया जा रहा है. क्या यहां के बच्चों डर नहीं है कि 4 साल बाद उनके भविष्य का क्या होगा?

जवाब : बिल्कुल नहीं है. विरोध करने वाले इस योजना को समझ नहीं रहे हैं. बेरोजगार होने की बात कहने वाले नहीं जान रहे हैं कि 4 साल बाद उनका भविष्य संवर जाएगा.

सवाल : आप कैसे कह सकते हैं कि 4 साल बाद अग्निवीरों का भविष्य उज्जवल रहेगा?

जवाब : आर्मी में 6 महीने की ट्रेनिंग होती है. अफसर भी शार्ट कमीशन में 5 साल नौकरी करके वापस आ जाते हैं. 6 महीने की ट्रेनिंग ही जीवन भर काम आने वाली होती है. अग्निवीरों को भी वही ट्रेनिंग मिलेगी. उसका फायदा बच्चों को वापस आने के बाद भी मिलेगा.

सवाल : आप रिटायर होकर आए हैं आपको पेंशन मिलता होगा... लेकिन इन बच्चों का क्या होगा?

जवाब : हमारे यहां के बच्चे काफी खुश हो रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि 4 साल बाद जब वे आएंगे, तब उनके हाथ में अग्निवीर का तमगा होगा. वे राज्य के पुलिस में या केंद्र के अर्धसैनिक बलों में भर्ती हो सकते हैं. सेना में मिले प्रशिक्षण से इनमें सफल होने की गुंजाइश बढ़ जाएगी.

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सवाल : मुख्यमंत्री भी चिंता जता चुके हैं कि अगर हथियार चलाना सीख कर युवा आएंगे और उनमें से कुछ युवा भी गलत रास्ते पर चले गए तो समाज के लिए यह ठीक नहीं रहेगा.... क्या आप भी ऐसा मानते हैं ?

जवाब : बिल्कुल नहीं. मैं खुद 2005 में वापस आया हूं. मैं भी गोला-बारूद चलाना जानता हूं. 2005 से 2013 तक मैं भी बेरोजगार था. मैंने उस दौरान बंदूक हाथ में लिया. प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरियां मिलती है, जहां अच्छी सैलरी भी होती है.

सवाल : आपने 18 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेन्ट लिया है. 4 साल बाद आने वाले बच्चे युवावस्था में रहेंगे. उनकी सोच भी आप जैसी परिपक्व रहेगी..ये जरूरी तो नहीं?

जवाब : फौज की ट्रेनिंग ऐसी होती है कि वहां से आने के बाद व्यक्ति गलत दिशा में जाने की सोच भी नहीं सकता... और ऐसी कोई गुंजाइश भी नहीं होती.

सवाल : सेना और पुलिस की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है. स्थानीय पुलिस में अगर अग्निवीरों को नौकरी दी जाएगी तब फौज की ट्रेनिंग का असर तो नहीं दिखेगा?

जवाब : नहीं दिखेगा. आर्मी के जवानों को आक्रमकता से लेकर शांति तक का पाठ पढ़ाया जाता है. अग्निपथ युवाओं में देशभक्ति का जज्बा बढ़ाने वाली योजना साबित होगी. अग्निवीरों की तैनाती, जब लेह और लद्दाख जैसी जगह पर होगी. तब चीन और पाकिस्तान के पसीने छूट जाएंगे. ज्यादा उम्र होने पर... ऐसी विषम परिस्थिति में काम करना बेहद कठिन होता है.

Last Updated :Jun 18, 2022, 8:50 PM IST

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