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104 साल पुराने मेनोनाइट चर्च की कहानी, मिशनरियों ने बदल दी थी क्षेत्र की तस्वीर

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 22, 2023, 1:34 PM IST

Story of 104 year old Mennonite Church छत्तीसगढ़ के कोरबा को पिछड़ेपन से आजाद करने में मिशनरियों का बड़ा योगदान रहा है. आजादी से पहले इस दुर्गम स्थान पर मिशनरी आए.इसके बाद उन्होंने जो किया उसकी मिसाल आज भी ईसाई समाज दे रहा है.Mennonite church of Korba

Mennonite church of Korba
104 साल पुराने मेनोनाइट चर्च की कहानी

Story of 104 year old Mennonite Church

कोरबा :कोरबा के मिशन रोड में मौजूद मेनोनाइट चर्च क्रिश्चियन समाज के लिए बेहद खास है. इसकी स्थापना 1919 में यूएसए से आकर अंग्रेजों ने की थी. बताया जाता है कि अंग्रेज पहले जलमार्ग से बॉम्बे आये. फिर हाथी की सवारी कर जांजगीर से कोरबा तक आए थे. यहां के वनवासियों की स्थिति देखी और क्षेत्र के विकास के लिए यहां न सिर्फ चर्च की स्थापना की, बल्कि स्कूल और अस्पताल भी बनवाएं.

सीएच सुकाऊ और लुलु सुकाई

मसीह समाज के लोग करते हैं याद :मसीह समाज के लोग चर्च की स्थापना के 100 साल बाद भी उन्हें याद करते हैं. इस बार के क्रिसमस में भी चर्च को खास तौर पर सजाया जा रहा है. मसीही समाज के लोग धूमधाम से क्रिसमस का त्यौहार मनाने की तैयारी कर रहे हैं.

क्रिसमस के पहले मानते हैं धन्यवादी पर्व :मेनोनाइट चर्च के पादरी पवित्र दीप ने बताया कि क्रिसमस के लिए हम बड़े ही उत्साह से तैयारी करते हैं. क्रिसमस के पहले हम धन्यवादी पर्व भी मानते हैं. जिसके लिए आसपास के आश्रित गांव से ग्रामीणों को बुलाया जाता है. हमारा कार्यक्रम 1 दिसंबर से ही शुरू हो जाता है और 1 जनवरी तक चलता है.

पायनियर मिशरीज की तस्वीर

''हम कई तरह के आयोजन करते हैं. लोगों को प्रभु यीशु का संदेश देते हैं. खास तौर पर 25 दिसंबर के लिए हम चर्च को सजाते हैं. नए सिरे से रंग रोगन करते हैं और खास तैयारी करते हैं. जिससे लोगों को प्रभु का आशीष मिल सके.''- पवित्र दीप, पादरी

यूएसए से आए अंग्रेजों ने की थी चर्च की स्थापना : मेनोनाइट चर्च कॉन्फ्रेंस के पावर ऑफ अटॉर्नी और मसीही समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले रवि पी सिंह कहते हैं कि 1900 की शुरुआत में यूएसए के अंग्रेज करनेलियस एच सुकाऊ और उनकी पत्नी लूलू सुकाऊ यहां आए थे.हमारे पूर्वज हमें बताते हैं कि लोग घर से बाहर सिर्फ दिन में बाहर निकलते थे. क्योंकि उन्हें जानवरों का खतरा होता था. तब कोरबा नगर कोरबा कोरबाडीह के नाम से जाना जाता था.प्रभु की दया और मानव सेवा का संकल्प लेकर अंग्रेज यहां पहुंचे.

सीएच सुकाऊ और लुलु सुकाई

मिशनरियों ने क्षेत्र का किया कायाकल्प :रवि पी सिंह की माने तो गुजरे जमाने में अमेरिकन मिशनरियों ने अभूतपूर्व काम किया. मानव सेवा के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड भी बनाए. मिशनरी स्कूल में पढ़े लिखे लोग उच्च पदों तक पहुंचे. उन्होंने क्षेत्र कायाकल्प कर दिया. अगर वो यहां नहीं आते तो आज समाज यहां तक नहीं पहुंच पाता. खासतौर पर क्रिश्चियन समाज के लिए मिशनरियों का योगदान अतुलनीय है. उन्होंने पूरी तन्मयता से मानव सेवा की. जिसके कारण ही क्रिसमस पर बल्कि हर यादगार मौके पर उन्हें याद करते हैं.

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