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आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के बयान से सर्व पिछड़ा समाज खफा, कांकेर में जताया विरोध

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Published : Dec 13, 2022, 8:56 PM IST

Politics on reservation in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ सरकार ने आरक्षण पर संशोधन विधेयक लाकर उसे राज्यपाल के पास साइन करने के लिए भेजा.लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक पर आरक्षण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए और कानूनी सलाह लेकर हस्ताक्षर करने की बात कही.लेकिन अब राज्यपाल के बयान से सर्व पिछड़ा समाज खफा नजर आ रहा है. सर्व पिछड़ा समाज के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि सिर्फ अनुसूचित जनजाति का आरक्षण बढ़ाने की बात के लिए कहा गया था.लेकिन इसमें सभी वर्गों का रिजर्वेशन बढ़ाया गया है. ऐसे में राज्यपाल की मंशा बिल पल हस्ताक्षर नहीं करने की दिख रही है.backward society angry with Governor statement

Politics on reservation in Chhattisgarh
राज्यपाल के बयान से सर्व पिछड़ा समाज खफा

राज्यपाल के बयान से सर्व पिछड़ा समाज खफा

कांकेर :Chhattisgarh All Backward Societyआरक्षण का मामला गर्माता नजर आ रहा है.अब पिछड़ा वर्ग समुदाय राज्यपाल अनुसुईया उइके Governor Anusuiya Uikey के उस वक्तव्य से खफा हो गया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री को अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को बढ़ाने के लिए विशेष सत्र या अध्यादेश लाने को कहा गया था. सर्व पिछड़ा वर्ग समाज ने कांकेर कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए कहा है कि '' राज्यपाल के इस वक्तव्य से स्पष्ट होता है की मुख्यमंत्री के आरक्षण संबंधित पारित विधेयक पर अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ने के कारण हस्ताक्षर नहीं करना चाह रही हैं.'' Governor statement on reservation bill


क्यों हैं पिछड़ा वर्ग नाराज : सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के अध्यक्ष जगन्नाथ साहू ने कहा कि '' छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आरक्षण विधेयक जो विधानसभा में पारित कर राज्यपाल छत्तीसगढ़ महोदया को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर ना करते हुए राज्यपाल महोदया के द्वारा एक विशेष वर्ग के समर्थन में बयान दिया गया है.इस वक्तव्य से छत्तीसगढ़ के अन्य पिछड़ा वर्ग के समाज में महामहिम के विरूद्ध नाराजगी है''

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सरकार ने कैसे बनाया आधार :सर्व पिछड़ा वर्ग समाज के अध्यक्ष जगन्नाथ साहू ने कहा कि"सरकार द्वारा क्वांटिफाइएबल डाटा आयोग (Quantifiable Data Commission) के माध्यम से गिनती करवाकर संवैधानिक रूप से सर्वसम्मति पूर्वक विधेयक पारित कराया गया है. उसके बाद महामहिम के समक्ष हस्ताक्षर हेतु भेजा गया है. जिसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है."

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