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ऑनलाइन वीडियो गेम में UPI और बैंक एकाउंट न करें रजिस्टर, कांकेर में 3 लाख रुपये से ज्यादा की लगी चपत

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Published : Jun 29, 2021, 12:38 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 3:46 PM IST

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पखांजूर (pakhanjoor) में 12 साल के बच्चे ने ऑनलाइन गेम (online games) के चक्कर में अपनी मां के खाते से 3 लाख 22 हजार रुपये गंवा दिए. गेम अपग्रेड करने के लिए बच्चे ने 278 बार ट्रांजैक्शन किया. जिसकी वजह से यह रकम एकाउंट से गायब हो गई. ऑनलाइन वीडियो गेम को रिचार्ज करने के लिए कभी भी यूपीआई और बैंक एकाउंट को रजिस्टर न करें. इससे आपकी गाढ़ी कमाई पल भर में गायब हो सकती है.

कांकेर :ऑनलाइन गेम्स (online games) इन दिनों बच्चों के सिर चढ़ चुका है. घंटों बच्चे इन गेम्स में समय बिता रहे हैं. कोरोना की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद हैं. बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से ज्यादा से ज्यादा समय फोन और कंप्यूटर पर बिता रहे हैं. इसका खामियाजा परिजनों को उठाना पड़ रहा है. पखांजूर (pakhanjoor) में एक शिक्षिका के खाते से 3 लाख 22 हजार रुपये की राशि निकाल ली गई. महिला ने ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत जब पुलिस से की, तो जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. जांच में जो बात सामने आई, उसे सुनकर महिला के होश उड़ गए. दरअसल महिला के 12 साल के बेटे ने ही पूरी रकम ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान खर्च कर दी थी.

पखांजूर टीआई

पखांजूर (pakhanjoor) की शिक्षिका शुभ्रा पाल ने पुलिस से शिकायत की थी कि मार्च से लेकर जून तक 278 ट्रांजैक्शन कर 3 लाख 22 हजार रुपए की राशि किसी ने निकाल ली है. ऑनलाइन फ्रॉड की आशंका जताते हुए महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने जांच शुरू कर दी. जांच में ये पाया गया कि पीड़िता का 12 साल का बेटा ऑनलाइन गेम खेला करता था. गेम अपग्रेड करने के लिए उसने 278 बार ट्रांजैक्शन किया था. बेटे से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बताया कि बच्चा गेम का आदी हो चुका था और गेमिंग हथियार खरीदने के लिए लगातार पैसे खर्च कर रहा था.

ऑनलाइन वीडियो गेम्स की लत से बच्चे हो रहे मानसिक बीमारी के शिकार, एक्सपर्ट ने जताई चिंता

थाना प्रभारी शरद दुबे ने बताया कि इस तरह का ये पहला मामला सामने आया है. इलाके के कई बच्चे इस गेम के आदी हैं. गेम अपग्रेड करने के लिए बच्चे अपनी पॉकेट मनी खर्च कर रहे हैं. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन नहीं होने पर किसी दोस्त के जरिए ट्रांजेक्शन करवा रहे हैं.

साइबर एक्सपर्ट बिराज मंडल ने बताया कि कैसे बच्चे फ्री फायर गेम के चक्कर में फंसते जा रहे हैं. गेम में एक बार UPI आईडी डालने से वह हमेशा के लिए सेव हो जाता है. गेम अपग्रेड करने के साथ ही रुपये कटने लगते है, जिसका कोई भी नोटिफिकेशन नहीं आता है.

साइबर एक्सपर्ट

पब्जी बैन होने के बाद फ्री फायर खेल रहे हैं बच्चे

कई घटनाओं के बाद पब्जी गेम को भारत सरकार ने देश में बैन कर दिया है. पब्जी के बैन होने के बाद अब बच्चे एक और बैटल रॉयल गेम, फ्री फायर जैसे गेम्स पर हाथ आजमा रहे हैं. इसके अलावा कई अन्य गेम्स भी शामिल हैं.

ज्यादातर खेले जाने वाले ऑनलाइन और डिजिटल वीडियो गेम

  • ब्लू व्हेल (blue whale)
  • पब्जी (pubg)
  • मोमो गेम (momo game)
  • फ्री फायर (free fire)
  • मैंडक्राफ्ट (mandcraft)
  • कॉल ऑफ ड्यूटी (call of duty)
  • बैटललैंड रॉयल (battleland royale)

वीडियो गेम खेलना एक बीमारी

मनोचिकित्सक भी बच्चों के गेम खेलने की आदत को एक बीमारी मान रहे हैं और इससे छुटकारा दिलाने के लिए कई तरह के उपाय सुझा रहे हैं. मनोचिकित्सक बताते हैं कि आजकल बच्चे ज्यादातर ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं. उसमें हिंसक चीजें दिखाई जाती हैं, जिस कारण से उनके मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

ऐसे छूट सकती है लत

मनोचिकित्सक का कहना है कि, वीडियो गेम की आदत छुड़ाने के लिए पैरेट्स बच्चोंं के साथ समय ज्यादा बिताएं. उनके साथ खेलें, उनकी बातों को महत्व दें तो धीरे-धीरे बच्चों में गेम खेलने की आदत छूट सकती है. इतना ही नहीं बच्चों को इस आदत को छुड़ाने के लिए पैरेंट्स किसी तरह के पुरस्कार या फिर कोई ऐसी मनपंसद चींज दें, जिससे वह खुश हो जाए. उसके बाद भी बच्चा धीरे-धीरे वीडियो गेम खेलना छोड़ देगा.

गेम पर रेटिंग के आधार पर पैरेंट्स रख सकते हैं नजर

आईटी एक्सपर्ट का कहना है कि गेम में भी रेटिंग दी जाती है, जिसके आधार पर तय किया जाता है कि इसमें कितनी हिंसा है और कितना नहीं. पैरंट्स को चाहिए कि वह यदि कोई गेम खरीदते या फिर डाउनलोड करते हैं तो उसकी रेटिंग देख लें, जैसे 3,7, 18 , इस तरह की रेटिंग आती है और उसमें उसका नेचर दिया रहता है.

Last Updated :Jun 29, 2021, 3:46 PM IST

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