कवर्धा: पहले कोरोना, उसके बाद लॉकडाउन और अब क्वॉरेंटाइन सेंटर. गांव से रोजी-रोटी के लिए शहर गए मजदूरों की जिंदगी इस तरह बदल जाएगी, ये खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा. लॉकडाउन के दौरान किसी तरह पैदल चलकर, ट्रकों, बसों के जरिए प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश और उसके बाद अपने जिले तो पहुंच गए, लेकिन अपने घर पहुंचने के लिए उन्हें काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
क्वॉरेंटाइन सेंटर में फंसे मजदूर क्वॉरेंटाइन सेंटर में फंसे हैं सैकड़ों मजदूर
दरअसल बाहर से आए श्रमिकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है, जहां उनकी कोरोना सैंपल की जांच की जा रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण अब तक इन मजदूरों के कोरोना सैंपल की जांच रिपोर्ट तक नहीं आई है, जिससे सैकड़ों मजदूर क्वॉरेंटाइन सेंटर में फंसे हुए हैं.
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कोरोना रिपोर्ट आने में हो रही देरी
कवर्धा जिले में 24 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर पहुंचे, जिन्हें पंचायत स्तर पर स्कूल और हॉस्टल में क्वॉरेंटाइन किया गया है. इनमें से कई मजदूर क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर जा चुके हैं. वहीं कई अभी भी क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके हुए हैं. इन मजदूरों का कोरोना सैंपल जांच के लिए रायपुर भेजा गया गया है, लेकिन काफी दिन बीतने के बाद भी इनकी रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे ये मजदूर घर नहीं जा पा रहे हैं.
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इनमें से 2700 मजदूरों की लिस्ट रैंडम जांच के लिए भेजी गई थी और 16 सौ मजदूरों की जानकारी जिला स्तर पर भेजी गई थी, साथ ही इनमें वे मजदूर भी शामिल हैं, जो पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और रायपुर एम्स में इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था. ऐसे मजदूरों को इंद्रलोक भवन में क्वॉरेंटाइन किया गया है, लेकिन इन मजदूरों की रिपोर्ट नहीं आने के कारण इन्हें घर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है, जिससे ये परेशान हैं.