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बीजापुर: कलेक्टर से ग्रामीणों की मांग, 'तेंदूपत्ता का नकद भुगतान कर दीजिए साहब'

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Published : Jun 9, 2020, 5:04 PM IST

तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल से नगद भुगतान करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण यात्री बसें नहीं चल रही हैं, जिसकी वजह से वे बैंक नहीं जा पा रहे हैं. इस वजह से उन्हें कैश की किल्लत हो रही है, जिसके कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Tendupatta collectors demanded cash payment
तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर से की मांग

बीजापुर: बस्तर में तेंदूपत्ता को एक बड़ी आमदनी का साधन माना जाता है. तेंदूपत्ता को 'हरा सोना' के नाम से भी जाना जाता है. इसी हरे सोने के खरीदी और बिक्री को लेकर इस बार कई गांव के ग्रामीण काफी परेशान नजर आ रहे हैं. जांगला पंचायत के माटवाड़ा गांव के तेंदूपत्ता समितियों के सदस्य भी भुगतान को लेकर परेशान हैं.

तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर से की नगद भुगतान की मांग

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एक ओर जहां कोरोना और लॉकडाउन से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. वहीं दूसरी ओर तेंदूपत्ता खरीदी-बिक्री को लेकर तेंदूपत्ता का संग्रहण करने वाले ग्रामीण काफी परेशान हैं. लॉकडाउन के दौर में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनका पेमेंट अकाउंट में दिया जा रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.

तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर से की मांग

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ग्रामीणों ने बताया कि जिले के अंदरूनी इलाके में बसे गांवों के हितग्राहियों के पास बैंक खाता नहीं है, जिससे उन्हें पैसा निकलने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण का कहना है कि लॉकडाउन के कारण यात्री बसें नहीं चल रही हैं, जिसके कारण वे बैंक जाकर पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं. इस पर जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान कराने के लिए कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल से गुहार लगाई है. अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले को लेकर कितना गंभीर है.

तेंदूपत्ता संग्राहकों ने की नगद भुगतान करने की मांग

तेंदूपत्ता संग्रहण में लॉकडाउन का दिखा असर

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण तेंदूपत्ता के संग्रहण में इस बार देरी हुई है, जिसके कारण काफी पत्ते खराब हो गए हैं, इससे ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है. हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण का काम बहुत पहले से ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस साल हुई देरी से ग्रामीणों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है.

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