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बालोद के कुकुरदेव मंदिर की महिमा, सीएम भूपेश ने की पूजा

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Published : Sep 19, 2022, 5:39 PM IST

कुकुरदेव मंदिर में सीएम भूपेश ने की पूजा

बालोद जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की नहीं बल्कि एक कुत्ते को पूजा जाता (glory of Kukurdev temple) है. इस मंदिर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने पूजा अर्चना की.इस दौरान सीएम ने कुकुरदेव से पूरे प्रदेश की समृद्धि और शांति की कामना की.

बालोद :छत्तीसगढ़ ऐसी पावन धरती है जहां एक बेजुबान जानवर को उसकी वफादारी के लिए देवता का दर्जा दिया जाता है. प्रदेश के मुखिया खुद इस गहरी लोकपरम्परा के सम्मान में सिर नवाते हैं. इसी की बानगी दिखी जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) ने अपने बालोद जिले के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत खपरी स्थित कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना से की. आस्था और आश्चर्य का अद्भुत संगम कुकुरदेव मन्दिर, मानव-पशु प्रेम की अनोखी मिसाल पेश करता है. यहां एक स्वामिभक्त कुत्ते की समाधि है. जो लोकमान्यता के अनुसार अपने मालिक के प्रति आखिरी सांस तक वफादार रहा. मुख्यमंत्री ने कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की. मुख्यमंत्री ने मंदिर में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया.उन्होंने मन्दिर के पुजारियों को वस्त्र प्रदान किए.

कुकुरदेव मंदिर में सीएम भूपेश ने की पूजा

क्या है कुकुरदेव की महिमा :मनुष्य के गुण उसे देवता बना देते हैं, ये हम सबने सुना है. मगर क्या किसी पशु के दैवीय गुण उसे पूजनीय बना सकते हैं? क्या कोई ऐसा मन्दिर हो सकता है, जहां किसी स्वामिभक्त कुत्ते की समाधि हो और वहां लोग आस्था से अपने सर झुकाएं. ऐसा ही एक अनोखा मन्दिर है बालोद जिले का कुकुरदेव मन्दिर. जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक बन चुके बेजुबान जानवर की स्मृति को नमन किया. जनश्रुति के अनुसार खपरी कभी बंजारों की एक बस्ती थी. जहां एक बंजारे के पास एक स्वामी भक्त कुत्ता था. कालांतर में क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा जिस वजह से बंजारे को अपना कुत्ता एक मालगुजार को गिरवी रखना पड़ा.

कुकुरदेव मंदिर में सीएम भूपेश ने की पूजा

वफादार कुत्ते ने निभाई जिम्मेदारी :मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामीभक्त कुत्ता चोरों द्वारा छुपाए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उसी स्थल तक ले गया. मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते के गले में उसकी वफादारी का वृतांत एक पत्र के रूप में बांधकर कुत्ते को मुक्त कर दिया. गले में पत्र बांधे यह कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर यहां वापस आ गया क्रोधवश कुत्ते पर प्रहार किया. जिससे कुत्ते मृत्यु हो गई. बाद में बंजारे को पत्र देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्य परायणता का एहसास हुआ और वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुर देव मंदिर स्थल पर उसकी समाधि बनाई. फणी नागवंशीय राजाओं ने 14वीं-15वीं शताब्दी में यहां मन्दिर का निर्माण करवाया गया. मुख्यमंत्री ने कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की.

सीएम भूपेश ने लगाया रूद्राक्ष का पौधा
लोकसंस्कृति को संजो रहे हैं मुख्यमंत्री :मुख्यमंत्री बघेल ना सिर्फ छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और लोक परंपराओं की इस विरासत के संरक्षण के प्रति सजग हैं. बल्कि इसको संजोना उनकी सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में से एक है. यहां की संस्कृति में पशुओं के प्रति प्रेम रचा बसा है. इन्हीं लोक परंपराओं को मुख्यमंत्री पुनर्जीवित कर रहे हैं. पशुधन संरक्षण को छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया है. गोधन न्याय योजना, गोबर खरीदी और गोमूत्र खरीदी जैसी योजनाएं पशुओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण साबित हो रही है.छत्तीसगढ़ ही एकमात्र ऐसा राज्य है.जहां पशुधन संरक्षण को एक आर्थिक मॉडल के रूप में अपनाया गया है.

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