सरगुजा:अंबिकापुर में ठंड की दस्तक के साथ ही घने कोहरे ने शहर की खूबसूरती को बढ़ा दिया है. Dense fog enhanced beauty of Ambikapur कोहरे के सबंध में हमने मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट की राय ली और उनसे जाना कि कोहरा आखिर क्यों पड़ता है. Know why and how fog is formed नीचे पढ़िये मौसम विज्ञानी ने कोहरे के सबंध में क्या जानकारी दी.
कोहरा या कुहरा: मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं "कोहरा भी वायुमंडलीय जलवाष्प के संघनन का ही एक विशेष रूप है. Ambikapur latest news कोहरा वास्तव में धरातल के नजदीक बना एक प्रकार का बादल है. सामान्यतया धरातल से प्राप्त विकिरण की ऊर्जा से गर्म वायु भूमि सतह से ऊपर उठ कर जब ठंडी हवा से मिलती है, तो जलवाष्प के छोटे-छोटे जल कणों के रूप में हवा में तैरने लगते हैं. धरातल के पास के हवा का तापक्रम जब ओसांक बिंदु तक पहुंच जाता है. उसी समय जब हवा और ठंडी हो जाती है तो जलवाष्प कण, उस समय हवा में विद्यमान धूल के कणों पर संघनित हो कर जल कण जिसे जलसीकर कहते हैं, के रूप में हल्का होने के कारण हवा में ही तैरने लगते हैं और बादल का अहसास कराते हैं. कुहरे की उपस्थिति से दृश्यता प्रभावित होती है. कुहरा घना होने पर कई बार दृश्यता शून्य से 10 मीटर तक भी घट जाती है. जब कोहरे के कारण दृश्यता 2 किमी तक रहे तो उस कोहरा को ही कुहासा कहा जाता है. Ambikapur weather
कोहरा बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां:
- किसी निश्चित तापक्रम पर वायु में आर्द्रता की मात्रा बढ़ जाए, तब गर्म और ठंडी हवाएं आपस में टकराएं.
- किसी निश्चित आर्द्रता वाली हवा का तापमान कम हो जाए, तब दोनों ही परिस्थितियों में कोहरा बनता है. कोहरा बनने की घटनाएं आमतौर पर सुबह के समय होती है.
कैसे बनता है कोहरा: मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं "जब ठंडी धरातल के ऊपर से गर्म तथा आर्द्र हवा गुजरती है, तो ऊपर की गर्म हवा का तापमान गिरने लगता है. संघनन की क्रिया से जलवाष्प कण आर्द्रताग्राही कणों पर संघनित हो कर द्रवीय रूप में बदल जाते हैं. यह कुहरा बादलयुक्त आसमान और बारिश के बाद दूसरे दिन आसमान साफ, मेघरहित और मन्द वायु के रहने पर बनता है. इस प्रकार के कोहरे की ऊंचाई धरातल से 10 से 30 मीटर तक होती है. औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास वायु में आर्द्रताग्राही कण जैसे गंधक, कार्बन आदि की मात्रा अधिक होने के कारण उन क्षेत्रों में इस प्रकार के विकिरण कुहरे अधिक बनते हैं."
सम्पर्कीय कोहरा:मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं "दो अलग अलग तापक्रमों की हवाओं के आपसी सम्पर्क से बनने वाले कुहरे को सम्पर्कीय कोहरा कहते हैं. ठंडे धरातल पर जब गर्म और आर्द्र हवा क्षैतिज संचरण करती है, तब उसके तापमान में गिरावट के कारण इस प्रकार का कोहरा बनता है. शीत ऋतु में स्थलीय भाग और ग्रीष्म ऋतु के समय सागरीय भागों में इसके लिये अनुकूल परिस्थितियां रहती हैं. इसकी ऊंचाई या मोटाई 300 से 600 मीटर तक होती है."