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छत्तीसगढ़ में भाजपा की मैराथन बैठक के बाद एसी कमरों में नहीं फील्ड में उतरेगी कांग्रेस

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Published : Sep 17, 2022, 10:09 PM IST

congress in active mode

congress in active mode: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 को अभी समय है. लेकिन अभी से ही चुनावी सरगर्मी दिख रही है. एक तरफ भाजपा और आरएसएस ने राजधानी रायपुर में डेरा डालकर आगे की रणनीति बनाई तो अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया भी लंबे दौरे पर रायपुर पहुंचे हैं. effect of BJP RSS meeting on Chhattisgarh politics

रायपुर:भाजपा की मैराथन बैठक का छत्तीसगढ़ की राजनीति में असर दिखने लगा है. यही वजह है कि अब कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया अपने पांच दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं. खास बात यह है कि इस बार पुनिया कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में बैठकर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात नहीं करेंगे, बल्कि दूसरे जिलों और विधानसभा में जाकर वहां पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर जमीनी हकीकत का पता लगाएंगे. इतना ही नहीं वे फील्ड में जाकर शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की भी समीक्षा करेंगे. effect of BJP RSS meeting on Chhattisgarh politics

पीएल पुनिया का छत्तीसगढ़ दौरा

हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेताओं का छत्तीसगढ़ प्रवास रहा. इस दौरान राष्ट्रीय स्तर के कुछ भाजपा नेता लगभग 1 सप्ताह तक छत्तीसगढ़ में ही डटे रहे. इनकी उपस्थिति को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. यही वजह है कि अब कांग्रेस भी कहीं ना कहीं चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. प्रदेश में जमीनी हकीकत का पता लगाने पार्टी पदाधिकारी रायपुर ही नहीं बल्कि अन्य जिलों और विधानसभाओं में भी दस्तक देंगे.

पीएल पुनिया का छत्तीसगढ़ दौरा: सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि "कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया पांच दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं. इस दौरान वे रायपुर, भाटापारा, जांजगीर सहित कई अन्य जगहों का दौरा करेंगे. जहां वे विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे. साथ ही पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी करेंगे. इस बीच पुनिया शासकीय योजनाओं की जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की भी समीक्षा करेंगे. पुनिया के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भी मौजूद रहेंगे. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पुनिया के संगठनात्मक रूप से संरचनात्मकता का ही नतीजा है कि आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो स्वाभाविक है कि उनके प्रवास से कांग्रेस को फायदा मिलेगा."

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भाजपा की तर्ज पर जमीनी हकीकत का पता करने पुनिया के प्रवास को लेकर शुक्ला का कहना है कि "भाजपा नेता अपने कार्यकर्ताओं को डरा रही है, जब पुरंदेश्वरी प्रभारी थी तो वह कहती थी कि हंटर चलाऊंगी, जामवाल जी धमकाते हैं कि काम नहीं करोगे तो हटा दूंगा. लेकिन कांग्रेस नेता के द्वारा इस प्रकार धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसकी वजह है कि वे कार्यकर्ता पार्टी में अपनी इच्छा से काम कर रहे हैं. जनसेवा के लिए कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. भाजपा का कार्यकर्ता हताश और निराश होता है. 15 साल तक भाजपा कार्यकर्ता उपेक्षित थे. लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश की भावना है.

पुनिया कभी एसी कमरे से बाहर ही नहीं निकले: भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख अमित चिमनानी का कहना है "पीएल पुनिया पहले अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कांग्रेस भवन के एसी हॉल और कमरों से बाहर नहीं आते थे. अब गांव गांव जाने की आवश्यकता इसलिए पड़ रही है, क्योंकि उन्हें पता है कि हर गांव का व्यक्ति कांग्रेस से खफा है. उसे छत्तीसगढ़ से विदा करने के लिए तत्पर है. लेकिन अब घूमने से क्या फायदा. आपने 4 साल वादाखिलाफी की. आज प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अपराध बढ़ते जा रहे हैं. अधिकतर वर्ग आंदोलनरत हैं."

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चुनाव से सवा साल पहले ही चढ़ा पारा: वरिष्ठ पत्रकार नारायण भोई का कहना है कि "छत्तीसगढ़ में अभी से चुनाव के पहले की सरगर्मी दिखाने लगी है. चुनावी माहौल प्रदेश में बनता जा रहा है. भाजपा की बैठक संपन्न हुई. अब इसी क्रम में कांग्रेस भी आगे बढ़ रहा है. यही वजह है कि पीएल पुनिया अपने 5 दिन के छत्तीसगढ़ प्रवास पर धरातल पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. आगे दोनों पार्टियों के और भी दौरे होंगे. अब कांग्रेस को भी समझ में आ गया है कि प्रदेश कार्यालय में बैठकर राजनीति नहीं हो सकती. इसके लिए फील्ड में उतरना होगा. योजनाओं का लाभ नीचे तक लोगों को मिल रहा है या नहीं. इसकी समीक्षा करनी होगी, कार्यकर्ताओं को देखना होगा. आखिर कांग्रेस की जमीनी स्तर पर स्थिति क्या है इसे भी पुनिया को भांपना होगा. चुनावी माहौल की बात की जाए तो स्वाभाविक है कि जो सत्ता पर दल का काबिज होता है, वह मजबूत नजर आता है. लेकिन भाजपा भी अपनी तैयारी जोर शोर के साथ कर रही है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए तो यही लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव कोई भी पार्टी हल्के में लेने के मूड में नहीं है.


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