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सात समंदर पार आकर फल्गु नदी के तट पर किया तर्पण, पितृदोष से पाई मुक्ति

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Published : Sep 13, 2022, 10:23 AM IST

गयाः बिहार के ‘गयाजी' को देश-विदेश में मोक्ष धाम के रूप में जाना जाता है. वैसे तो पूरे साल गया में पिंडदान किया जाता है, लेकिन आश्विन मास के दौरान प्रतिवर्ष पड़ने वाले पितृपक्ष के मौके पर पिंडदान का विशेष महत्व है. विश्व में पूर्वजो को मोक्ष प्रदान करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली मोक्षस्थली बिहार के गया जी में सोमवार को चार श्रद्धालु हॉलैंड(नीदरलैंड) से पूर्वजों के आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद मंदिर स्थित देव घाट पर पिंडदान किया. इनमें तीन महिला संद्रावत, लीलावती, मिनाकोमरी और एक पुरुष चंद्रेकोमार रविवार की देर शाम गयाजी पहुंचे. वैदिक मंत्रोच्चार कर अपने पितृदोष से मुक्ति के लिए कर्मकांड किया. इन श्रद्धालुओं को गयापाल पंडा ने पिंडदान के कर्मकांडों को पूरा कराया. विदेशी श्रद्धालु संद्रावत ने कहा कि मैं यहां पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान करने आई हूं. गया जी में पूर्वजों को लेकर होने वाले इस अनुष्ठान के बारे में मैंने इंटरनेट के माध्यम से पढ़ा, जिससे यहां आने के लिए प्रेरित हुईं. पिंडदान करने के बाद मुझे अलग ही अनुभूति महसूस हुई.

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