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दाह संस्कार की हो रही थी तैयारी, तभी बच्चे का हिलने लगा हाथ-पांव, भागे-भागे 'भगवान' के पास पहुंचे परिजन

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Published : Jul 31, 2021, 8:18 AM IST

छपरा सदर अस्पताल (Chapra Sadar Hospital) में बच्चे की मौत को लेकर हंगामा हो गया. जहां परिजनों ने चिकित्सकों के ऊपर इलाज में लापरवाही (Negligence Of Doctor) बरतने का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि बच्चा जिंदा था लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

मौत
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सारण: बिहार के सारण (Saran) जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. खेलने के दौरान एक 7 वर्षीय बच्चे के ऊपर दीवार गिर गया. जिससे बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया. घटना के बाद परिजन बच्चे को लेकर छपरा सदर अस्पताल (Chapra Sadar Hospital) पहुंचे. लेकिन डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.

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घटना नगर थाना क्षेत्र के रूपगंज मोहल्ले की है. जहां एक घर की दीवार गिरने से एक बच्चा अंश (7 वर्षीय) दब गया. वहां मौजूद लोगों ने ईंट-पत्थर हटाकर बच्चे को निकाला और सदर अस्पताल लेकर गए. जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इसकी सूचना मिलते ही परिजनों के बीच चीख-पुकार मच गयी.

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इसके बाद परिजन बच्चे के शव लेकर घर चले गए. घर पर सभी लोग बच्चे की दाह-संस्कार की तैयारी में जुटे हुए थे. तभी किसी की निगाह पड़ी कि बच्चे के शरीर मे कम्पन हो रही है. परिजन बच्चे को लेकर पुनः प्राइवेट डॉक्टर के यहां लेकर भागे. प्राइवेट डॉक्टर ने सदर अस्पताल में दिखाने को कहा. जिसके बाद परिजन एक बार फिर बच्चे को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे.

परिजनों ने सदर अस्पताल में डॉक्टरों से देखने की अपील की. ड्यूटी पर मौजूद डाक्टरों ने बच्चे को पुनः देखा. लेकिन बच्चा जीवित नहीं था. इस पर परिजन आक्रोशित हो गए और डाक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ करना शुरू कर दिए. तोड़फोड़ की घटना के दौरान इमरजेंसी में कार्यरत डॉक्टर अपनी जान बचा कर वहां से भाग निकले. जिसके बाद इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह से खाली हो गया.

असपताल में डॉक्टर के न होने की वजह से पहले से भर्ती एक और बच्चे की मौत हो गई. इस मृतक बच्चे की पहचान कोपा थाना के कुमना गांव निवासी शिवा (6 वर्षीय) के रूप में की गई है. घटना की सूचना पाकर भगवान बाजार थानाध्यक्ष और टाउन थानाध्यक्ष दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. जहां स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया.

घटना की सूचना पाकर अस्पताल उपाधीक्षक भी घटास्थल पर पहुंचे. जहां उन्होंने इमरजेंसी वार्ड को फिर से चालू कराया. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण अस्पताल में दो मासूमों की मौत हो गई. यदि डॉक्टर सही से इलाज करते तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी.

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