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Chhapra Hooch Tragedy: लोगों का आरोप, बिना पोस्टमार्टम कराये ही शव जलाने के लिए पुलिस बना रही दबाव

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Published : Dec 15, 2022, 6:43 PM IST

छपरा में जहरीली शराब से हुई मौत (Bihar Hooch Tragedy) की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है. 24 घंटे के अंदर मौत का आंकड़ा 40 के पार पहुंच चुका है. हालांकि, जिला प्रशासन ने अभी तक 26 मौतों की पुष्टि संदिग्ध पदार्थ पीने की वजह से की है. मौत के आंकड़े कम दिखाने के लिए प्रशासन कथित रूप से लोगों को बिना पोस्टमार्टम कराये ही लाश जलाने के लिए मजबूर कर रहा है. पढ़िये पूरी खबर...

लोगों का आरोप
लोगों का आरोप

Chhapra Hooch Tragedy: लोगों का आरोप.

छपराः बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब से मौत(Chhapra Poisonous Liquor Case) का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. मृतकों की संख्या 40 के पार पहुंच चुकी है. जिला प्रशासन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 26 लोगों के मौत की पुष्टि की है. वहीं कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन बिना पोस्टामर्टम कराये ही शव जलाने के लिए दबाव बना रहा है. पुलिस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कर रही है.

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पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोपः छपरा में जहरीली शराब पीने से हो रही मौत के मामले में पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. गुरुवार को शव का पोस्टमार्टम कराने छपरा सदर अस्पताल आये पीड़ित परिजनों ने बताया कि मृतकों के परिजनों के ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वे जहरीली शराब पीने से मौत होने की बात ना बतायें. किसी बीमारी का बहाना बना दें या ठंड लगने से मौत हुई का बहाना बना दें. लोगों ने बताया कि कुछ लोगों ने तो बिना पोस्टमार्टम कराये ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

बिना पोस्टमार्टम कराये शव का अंतिम संस्कारः शंकर सिंह नामक व्यक्ति ने बताया कि चार लोगों के शव का उनके परिजनों ने पुलिस के दबाव में अंतिम संस्कार कर दिया. शंकर सिंह के अनुसारजयनारायण राय, उमेश राय और उपेन्द्र राम का दाह संस्कार बिना पोस्टमार्टम कराये ही कर दिया गया. इसके अलावा सलाउद्दीन को भी बिना पोस्टमार्टम कराये ही दफना दिया गया. इसके लिए प्रशासन ने कथित रूप से दबाव बनाया था. वहीं बुजुर्ग रामजी पांडेय ने कहा कि अमनौर थाना प्रभारी ने पीड़ित परिजनों से बात करना भी उचित नहीं समझा.

'जयनारायण राय, उमेश राय और उपेन्द्र राम का दाह संस्कार बिना पोस्टमार्टम कराये ही कर दिया गया. सलाउद्दीन को भी बिना पोस्टमार्टम कराये ही दफना दिया गया. पुलिस ने इनके परिजन पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया था'-शंकर सिंह, स्थानीय

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प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए लगानी पड़ी पैरवी: जितेंद्र कुमार ने बताया कि मौत की सूचना पर भी पुलिस नहीं पहुंची. वे लोग थाना प्राथमिकी दर्ज करवाने गये तो पुलिस दूसरे आदमी के मार्फत कुछ पैसे देकर मामले को दबाने के लिए दबाव बना रही थी. पुलिस-प्रशासन के लोग गांव वालों पर दबाव बना रहे थे कि पोस्टमार्टम के लिए शव नहीं जाए. चंदन सिंह ने कहा कि पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही थी. बाद में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए एमपी और वरीय अधिकारियों को सूचना दी तब प्राथमिकी दर्ज की.

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