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Bihar Politics: 'मुझे धकियाना किसी दल के बस की बात नहीं'- प्रशांत किशोर का लालू और नीतीश पर हमला

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Published : Jul 31, 2023, 5:45 PM IST

जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने रोसड़ा में नीतीश कुमार- लालू प्रसाद और बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा चुनाव इतनी मजबूती से लड़ूंगा कि लालू नीतीश जैसे नेताओं के दांत खट्टे कर देंगे. उन्होंने कहा कि 'मुझे धकियाना इनके बस की बात नहीं'.

प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज.

समस्तीपुर:जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने सोमवार को रोसड़ा में एक सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और बीजेपी के खिलाफ जोरदार हमला किया. प्रशांत किशोर ने मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कही. कहा, चुनाव इतनी मजबूती से लड़वाऊंगा कि लालू-नीतीश जैसे नेताओं की दांत खट्टे कर दूंगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि वो दूसरे को चुनाव जीताते हैं तो खुद बिना तैयारी के कैसे चुनाव लड़ेंगे.

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"ये जितने नेता हैं ये सोच रहे हैं कि मुझे धकिया देंगे. हम धकियाने वाले आदमी नहीं हैं. बड़े-बड़े लोगों के नाक में दम कर देते हैं. हम बिहार के लड़के हैं देशभर का नेता जब चुनाव लड़ता है तो मुझसे सलाह लेता है, तो ये नेता मेरा क्या करेंगे. एक बार समाज खड़ा हो जाता है तो जन बल के आगे कोई बल खड़ा होने वाला नहीं है. बिहार के भविष्य के लिए सोचिए और किसी का बंधुआ मजदूर मत बनिए."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

बंगाल में मेरा काम देखा है आपने: प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज व्यवस्था नहीं बनाएंगे तो कल होकर समाज के लोग बोलेंगे कि प्रशांत किशोर गांवों-प्रखंडों में घूम रहे हैं इनकी तो कोई ताकत ही नहीं है. उन्होंने कहा कि पूरी ताकत के साथ बिहार से लड़ने आये हैं. प्रशांत किशोर ने बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस की जीत का हवाला देते हुए कहा कि बंगाल में मेरा काम देखा होगा. भाजपा ने पूरी भारत की ताकत लगा दी और मैंने कहा था कि 100 पार भी नहीं होंगे.

सब सोच समझकर आए हैंः उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव में भाजपा ने बहुत पैसे खर्च किये लेकिन कुछ नहीं हुआ. समाज में कई ऐसे लोग हैं जो लड़ने के लिए लड़ते हैं. हम उनमें से नहीं हैं अगर लड़ने आए हैं तो इस बात को मान कर चलिए कि जीतने का खाका भी दिमाग में लेकर आए होंगे. सोच समझ कर आए हैं कि ये कठिन काम है, इसको करने में कितनी ताकत लगानी पड़ेगी, कितना पसीना बहाना पड़ेगा, कितनी व्यवस्था बनानी पड़ेगी और कितना संसाधन लगाना पड़ेगा. सब कुछ सोच-समझ कर आए हैं.


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