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लापरवाही की इंतहा: सहरसा सदर अस्पताल में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में बच्चे का इलाज

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Published : Aug 4, 2021, 6:07 PM IST

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बिहार के सहरसा में सदर अस्पताल (Sadar Hospital) प्रबंधन की बड़ी लापरवाही (Negligence) देखने को मिली. सांप के काटने के बाद गंभीर जख्मी बच्चे का 45 मिनट तक टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया. देखें रिपोर्ट..

सहरसा:बिहार के सहरसा में सदर अस्पताल (Sadar Hospital) की बड़ी लापरवाही (Negligence) उस वक्त देखने को मिली जब एक साल के छोटे बच्चे को सांप काटने पर इलाज के लिए उसके परिजन सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड (Emergency Ward) में इलाज के लिये लाए. इस दौरान अस्पताल में ना तो बिजली थी और ना ही जेनरेटर चलाया गया.

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खास बात तो ये है कि जेनरेटर में डीजल ही नहीं था. लाइन कटने के बाद संविदा पर चल रहे जेनरेटर कर्मी तेल लाने गया था. तब तक तकरीबन 45 मिनट तक बच्चे का इलाज मोबाईल की रोशनी में ही किया जाता रहा और अस्पताल प्रशासन 45 मिनट तक मूकदर्शक बना रहा. बिजली सप्लाई नहीं होने से ऑक्सीजन की सप्लाई भी बंद रही.

देखें रिपोर्ट

''बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर की माने तो बच्चे की हालत सांप काटने से गंभीर है, जिसका इलाज करना जरूरी है, टॉर्च की रोशनी में बच्चे की जान बचाना पहले जरूरी है.''-जमालुद्दीन मोहम्मद, चिकित्सक, सदर अस्पताल सहरसा

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अब सवाल ये है कि सदर अस्पताल में टॉर्च की रोशनी पर इलाज करना कितना सही है. बिजली गुल होने के बाद जेनरेटर के लिये डीजल लाने जाना कितना उचित है. क्या ऑपरेशन के दौरान बिजली गुल होने के बाद भी टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन किया जाता है. आखिर सदर अस्पताल में क्यों इस तरह की लापरवाही बरती जाती है. इस तरह के कई अनगिनत सवाल है, जिसका जवाब कोशी के पीएमसीएच के नाम से मशहूर सदर अस्पताल प्रबंधन को देना होगा.

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