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पटना: रस शास्त्र पर वेबीनार का आयोजन, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने किया उद्घाटन

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Published : Dec 26, 2020, 3:02 AM IST

Updated : Dec 26, 2020, 5:54 AM IST

पटना राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में रस शास्त्र विभाग के द्वारा दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया. इस आयोजन में मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे थे. जिन्होंने कार्यक्रम के दौरान आयुर्वेद के महत्ता को समझाया.

अश्विनी चौबे
अश्विनी चौबे

पटना: राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में रस शास्त्र पर दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने किया. इस मौके पर उन्होंने महर्षि सुश्रुत, महर्षि चरक, महर्षि याज्ञवल्क्य के साथ-साथ पंडित मदन मोहन मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बा जपेई के तस्वीर पर पुष्पांजलि भी अर्पित की. इस वेबीनार में पूरे देश से 600 से अधिक चिकित्सकों ने ऑनलाइन अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

महापुरुषों का नमन किया

इस कार्यक्रम के बाद महाविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्र संघ के अध्यक्ष डॉक्टर धनंजय कुमार ने स्नातकोत्तर के आयुर्वेदिक मेडिकल छात्रों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने पर रोष व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को एक ज्ञापन सौंपा. इस मौके पर स्नातकोत्तर के कई छात्र मौजूद रहे और केंद्रीय मंत्री ने मेडिकल छात्रों के ज्ञापन पर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि रस शास्त्र का जीवन में महत्व को लेकर दो दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार आयुर्वेद के उत्थान के लिए काफी सक्रिय है. और राज्य सरकार का भी पूरा सहयोग आयुर्वेद के उत्थान की दिशा में केंद्र सरकार को प्राप्त हो रहा है.

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा भारत की समृद्ध विरासत रही है और इस विरासत को और मजबूत और सुदृढ़ बनाने की दिशा में केंद्र सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से कोरोना काल के दौरान आयुर्वेद की उपयोगिता और महत्ता का दुनिया के देशों ने लोहा माना है. इससे यह साफ संकेत जाता है कि आने वाले दिनों में आयुर्वेद का बहुत सुनहरा भविष्य है.

केंद्रीय मंत्री चौबे ने कहा कि भारत सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को कई प्रकार की सर्जरी का आदेश दिया है. इसका मतलब यह नहीं है कि भारत सरकार एलोपैथ को नकारती है. उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सा पद्धति का अपना महत्व है और आयुर्वेद भारत की पुरानी चिकित्सा पद्धति रही है और यह काफी समृद्ध रही है. महर्षि सुश्रुत को आज भी सर्जरी का जनक माना जाता है और इतिहास को देखें तो जिस प्रकार से भगवान गणेश का सिर कट जाने पर गजराज का मस्तिष्क लगाया गया. वह उस जमाने के कोई महर्षि सुश्रुत जैसे वैद्य ही रहे होंगे जो यह सफल सर्जरी किए होंगे.

देखें रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक कॉलेजों में सर्जरी के पर्याप्त उपकरण उपलब्ध हो. इस दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है और आने वाले दिनों में आयुर्वेद कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर काफी सुदृढ़ किए जाएंगे. केंद्रीय मंत्री इस दौरान आयुर्वेद कॉलेज के प्रिंसिपल कार्यालय में बैठकर प्रधानमंत्री के पीएम किसान संवाद कार्यक्रम में भी शामिल हुए हैं.

Last Updated : Dec 26, 2020, 5:54 AM IST

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