बिहार

bihar

Patna News: स्वास्थ्य विभाग के पेटी कॉन्ट्रैक्टर्स की शिकायत, काम के पैसे नहीं देते बड़े ठेकेदार, BMSICL को सौंपा ज्ञापन

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 31, 2023, 11:39 AM IST

स्वास्थ्य विभाग में केंद्र की योजना के तहत प्रत्येक जिलों में ब्लॉक लेवल पर 20 बेड का कोविड वार्ड बनाना था. जिसे लेकर पेटी कॉन्ट्रैक्टर (Petty Contractor Payment Delay) से यह काम कराया गया. अब काम पूरा होने के दो महीने बीत जाने के बाद पेटी कॉन्ट्रैक्टरों ने बड़े ठेकेदार पर काम के पैसे नहीं देने का आरोप लगाया है. आगे पढ़ें परूी खबर...

पटना में पेटी कॉन्ट्रैक्टर का बड़े ठेकेदारों पर आरोप
पटना में पेटी कॉन्ट्रैक्टर का बड़े ठेकेदारों पर आरोप

पटना में पेटी कॉन्ट्रैक्टर का बड़े ठेकेदारों पर आरोप

पटना:स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले पेटी कॉन्ट्रैक्टरों ने बड़े ठेकेदार पर काम करा कर पैसा रोक लेने का आरोप लगाया है. इस बाबत राज्य स्वास्थ्य समिति जाकर बीएमएसआईसीएल के एमडी को ज्ञापन भी सौंपा है. ज्ञापन सौंपने के बाद ठेकेदारों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में केंद्र की योजना थी और प्रत्येक जिलों में ब्लॉक लेवल पर 20 बेड का कोविड वार्ड बनाना था. उन्होंने जब काम शुरू किया तो कंपनी ने पैसा दिए लेकिन बाद में बचा हुआ पैसा नहीं दिया.

कंपनी ने राज्य स्वास्थ्य समिति से उठाया पैसा: पेटी कॉन्ट्रैक्टरों का कहना है कि काफी पैसा कंपनी के पास बकाया है, जबकि कंपनी ने राज्य स्वास्थ्य समिति से उनके काम के नाम पर पैसा उठा लिया है. पीडी कंसलटिंग इंजिनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर हर्ष सिंह राजपूत ने बताया कि उनकी कंपनी मैनपॉवर सप्लाई करने का काम करती है. इसके साथ ही अस्पताल में हॉस्पिटल का सेटअप उपलब्ध कराती है. डेब्रिक्यू क्रिएटिव लैब ने प्रदेश में कई जगहों पर 20 बेड का स्पेशल केयर हॉस्पिटल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट लिया, यह केंद्र की योजना थी.

बड़े ठेकेदार के पास फंसा 19 लाख से ज्यादा का पेमेंट: कंसलटिंग इंजिनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर का कहना है कि इस काम में वो वह छोटे कांट्रेक्टर थे और डेब्रिक्यू क्रिएटिव लैब के माध्यम से इससे जुड़े थे. काम पूरा हो गया है और राज्य स्वास्थ्य समिति से पता चला है कि महीना भर पहले कंपनी ने पूरा पैसा उठा लिया है लेकिन अब तक उन लोगों का पैसा जारी नहीं हुआ है. पीडी कंसलटिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर नीतेश कुमार ने बताया कि उनका 19,64,000 लाख रुपया फंस गया है. उन्होंने अपना पैसा लगाकर काम कराया है.

"कंपनी ने अभी-अभी कह दिया है कि अब उनके साथ काम नहीं करेंगे लेकिन कॉन्ट्रैक्ट में था कि एक महीना पहले इसकी सूचना देनी है ताकि वह अपने मैनपॉवर को उस अनुसार एडजस्ट कर सकें. कंपनी का बिहार में कोई हेड ऑफिस नहीं है और यह कंपनी चेन्नई की कंपनी है. कंपनी का चेन्नई में जो एड्रेस है वहां भी हम लोग गए थे वहां भी कोई नहीं मिला."- नीतेश कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर ,पीडी कंसलटिंग

स्वास्थ्य विभाग के पास लगाई गुहार: प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि वह स्वास्थ्य विभाग के पास आज इसलिए गुहार लगाने पहुंचे थे कि आखिर सरकार ने कैसे उस कंपनी को इतना बड़ा टेंडर दे दिया, जिसका प्रदेश में कोई ऑफिस नहीं है. सरकार ने बिना हेड ऑफिस का निरीक्षण किए उस कंपनी को टेंडर दे दिया है और अब उन लोगों का पैसा फंस गया है. वह सरकार से गुहार लगाने पहुंचे थे कि आगे इस कंपनी का कोई बिल क्लियर नहीं किया जाए जब तक की उन लोगों का पैसा नहीं मिल जाता है. उन लोगों के फंसे हुए पैसे को रिलीज कराने की पहल की जाए.

कंपनी नहीं उठा रही फोन: पेटी कॉन्ट्रैक्टर संतोष कुमार झा जो ओम साईं इन्फोटेक से आते हैं. उन्होंने बताया कि"कई कम्युनिटी हेल्थ सेंटर पर सिविल वर्क का काम किया था. पेड़ की कटाई से लेकर तमाम निर्माण तक. 13 लाख का कॉन्ट्रैक्ट था और कटिंग के साथ लगभग 14 लाख का था. काम शुरू करने के लिए कंपनी ने मुझे लगभग ढाई लाख रुपया दिया और उसके बाद उन्होंने पूरा मैं अपने पैसा से कंप्लीट कर दिया. अब कंपनी मुझे पैसा नहीं दे रही है और फोन भी नहीं उठा रही है."

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पेटी कॉन्ट्रैक्टर: वहीं संतोष कुमार को राज्य स्वास्थ्य समिति पहुंचने पर पता चला है कि किए हुए काम को दिखाकर कंपनी ने पूरा पैसा भुगतान करा लिया है. वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और BMSICL के एमडी को उन्होंने आवेदन दिया है कि उनके पैसे का भुगतान करने के लिए पहल की जाए. उस कंपनी के बाकी भुगतान पर भी नजर रखी जाए क्योंकि उनके जैसे ढ़ेरोंं ठेकेदार परेशान हैं. वहीं इस मामले में जब कंपनी डेब्रिक्यू क्रिएटिव लैब से संपर्क करने की कोशिश की गई तो किसी ने फोन नहीं उठाया और बाद में फोन बंद आया.

पढ़ें-Health Department : मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन निलंबित, अवैध और फर्जी एजेंसी को ठेका देने का है मामला

ABOUT THE AUTHOR

...view details