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गांधी सेतु समानांतर पुल के लिए 31 जुलाई को नया टेंडर, सरकार ने कैंसल कर दिया था कॉन्ट्रेक्ट

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Published : Jun 29, 2020, 9:33 PM IST

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार ने टेंडर को रद्द किया है. क्योंकि परियोजना के लिए चुने गए चार में से दो कंपनियां चीनी थी. हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं.

गांधी सेतु समानांतर पुल
गांधी सेतु समानांतर पुल

पटना: भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के झड़प के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आखिरकार महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनाए जाने वाले सेतु की परियोजना से जुड़े टेंडर को रद्द कर दिया है. मिल रही जानकारी के अनुसार इस परियोजना में चीन की दो कंपनियां चाइना हार्वर इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड और दिलीप बिल्डकॉन एंड शंघाई रोड ब्रिज कंपनी लिमिटेड शामिल थी.

इस बाबत जानकारी देते हुए जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार ने टेंडर को रद्द किया है. क्योंकि परियोजना के लिए चुने गए चार में से दो कंपनियां चीनी थी. हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं.

नया टेंडर आमंत्रित
गंगा नदी पर गांधी सेतु समानांतर चार लेन पुल के लिए पहले टेंडर जारी किया गया था. इसमें से दो चीनी कंपनियां थी. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पुराने टेंडर को रद्द कर फिर से नया टेंडर आमंत्रित किया है. यह सड़क पुल अगमकुंआ से एलिवेटेड सड़क के रूप में एप्रोच रोड शुरू होकर गांधी सेतु के समानांतर होते हुए हाजीपुर के रामाशीष चौक तक बननी थी. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के टेंडर के अनुसार 31 जुलाई को प्रोजेक्ट के लिए एजेंसियों का चयन किया जाएगा.

राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता

'चीन को व्यवसायिक चोट'
केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि गांधी सेतु के समानांतर बन रहे इस पुल की लंबाई 5.64 किलोमीटर है. पटना के जीरोमाइल स्थित धनुकी मोड़ से से यह पुल शुरू होगा. इस पुल का एप्रोच रोड 14 किलोमीटर से भी अधिक है. पिछले साल इस सड़क पुल के लिए टेंडर आमंत्रित की गई थी. इसी साल जनवरी में टेंडर खोला गया था. जिसमें दो चीनी कंपनियां भी थी. लेकिन भारत-चीन सीमा पर हुआ झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस वजह से केंद्र सरकार ने इस निविदा को रद्द किया. उन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'3 साल में बनेगा पुल'
वहीं, इस मामले पर योजना विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि गांधी सेतु के समानांतर बन रहे पुल में दो चीनी कंपनियां चाइना हार्वर इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड और शंघाई रोड ब्रिज कंपनी लिमिटेड शामिल थी. इसके अलावे दो अन्य भारतीय कंपनियां भी थी. उन्होंने बताया कि इस टेंडर में कानूनी पेंच फंसने लगा था. चीनी कंपनियों से बचने के लिए केंद्र सरकार ने टेंडर को रद्द किया है. 31 जुलाई को केंद्र सरकार नया टेंडर निकालेगी.

महेश्वर हजारी, योजना विकास मंत्री

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गांधी सेतु के समानांतर बनने वाली पुल एक्स्ट्रा डोज केबल पर निर्माण अधारित है. इसका स्पेन 20.42 मीटर होगा. गांधी सेतु के समानांतर प्रधानमंत्री पैकेज के तहत चार लेन के बनने वाले पुल के लिए जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत भी नहीं हुई है. नई निविदा के अनुसार साढ़े 3 साल में पुल का निर्माण पूरा करना है. पुल निर्माण की लागत 2411.50 करोड़ है. इस पूरी प्रकिया में अभी काफी समय लगने वाला है. पुल के निर्माण में विलंब होना तय है.

गांधी सेतु पुल, पटना

पिछले साल केंद्र ने दी थी प्रोजेक्ट को मंजूरी
बता दें कि गांधी सेतू समानांतर पुल निर्माण की मांग सीएम नीतीश केंद्र सरकार से पिछले कई सालों से कर रहे थे. आखिरकार मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी. इस परियोजना के मुताबिक महात्मा गांधी सेतु के समानांतर एक पुल बनाया जाना था. पुल के निर्माण के बाद पटना, सारण और वैशाली जिले के लोगों को काफी राहत मिलेगी. इसे जनवरी 2023 तक पूरा किया जाना था. लेकिन गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों के हमले के बाद भारत सरकार ने चीनी कंपनियों से बचने के लिए निविदा को ही रद्द कर दिया.

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