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नीतीश कुमार को मिला मंगल पांडे का साथ, कहा- लड़कियां शिक्षित होंगी तो प्रजनन दर में आएगी कमी

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Published : Jul 15, 2021, 9:28 AM IST

परिवार नियोजन कार्यक्रम में मंगल पांडे शामिल
परिवार नियोजन कार्यक्रम में मंगल पांडे शामिल

राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे शामिल हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश कि लड़कियां अगर शिक्षित होंगी तो प्रदेश में प्रजनन दर में अपने आप कमी आएगी.

पटना : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने परिवार नियोजन पर बड़ी ही सूक्ष्मता से अध्ययन किया है. यह देखा गया कि बिहार में अगर महिलाएं जहां शिक्षित है, वहां फर्टिलिटी रेट कम है. इसको लेकर महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा कई स्कीम चलाए जा रहे हैं. इंटर पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को 25000 रुपये और ग्रेजुएट करने वाली शादीशुदा और अविवाहित लड़कियों को 50000 रुपये दिए जा रहे है. बिहार में इंटर पास लड़कियों की टोटल फर्टिलिटी रेट 1.7 है. जबकि देश का 1.8 है. ग्रेजुएट पास लड़कियों का टोटल फर्टिलिटी रेट बिहार में 1.6 है. जबकि देश का यह 1.7 है.

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मंगल पांडे ने कहा कि इसीलिए महिलाएं अधिक से अधिक शिक्षित हो इसके लिए प्रदेश के सभी पंचायतों में उच्च विद्यालय खोला जा रहा है. यूपी मॉडल के सवाल पर कहा कि प्रदेश में सरकार द्वारा जो सामाजिक क्षेत्र में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं. राज्य में महिलाओं का साक्षरता दर 54 फीसदी के आसपास है. इसे बढ़ाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है.

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राजधानी पटना में विश्व जनसंख्या दिवसको लेकर परिवार नियोजन (Family Planning) के विषय पर कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) शामिल हुए. जिसमें इस बात की चर्चा की गई थी आजादी के 70 वर्षों में बिहार में पॉपुलेशन में कितनी बढ़ोतरी आई है. इस वजह से किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बीते 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस था. जिसे लेकर राज्य में एक सप्ताह तक जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. कार्यक्रम में परिवार नियोजन के विषय पर चर्चा की गई.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भारत कितना अग्रणी रहा है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश में परिवार नियोजन का कार्यक्रम 1952 में लागू हुआ. आज तक सभी सरकारें इस कार्यक्रम को आगे चला रही हैं. परिवार नियोजन के कार्यक्रम को स्वास्थ विभाग बड़ी प्रमुखता से चला रहा है. परिवार नियोजन के कार्यक्रम को लेकर सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग काम करता है.

'पति- पत्नी के बीच बच्चे पैदा करने को लेकर खुलकर बात हो. परिवार नियोजन के कार्यक्रम में सरकार को कई प्रकार की संस्थाएं सहयोग दे रही हैं. गेट्स फाउंडेशन हो या केयर इंडिया हो और अन्य कई संस्थाने भी हैं. सभी संस्थानों ने परिवार नियोजन के कार्यक्रम को जमीन पर उतारने के लिए काम कर रही हैं. हमारा लक्ष्य है कि देश की आबादी बढ़े नहीं और बढ़ती आबादी को कैसे हम रोक सकते हैं.':- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री

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इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि हाल ही में प्रकाशित NFHS-5 (National Family Health Survey ) के निष्कर्षों के आलोक में इस कार्यक्रम से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियां चुनौतियों और आगे की संभावित योजनाओं पर चर्चा की गई . बताते चलें कि एनएफएचएस पांच के अनुसार बिहार में प्रजनन आयु की विवाहित महिलाओं में आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग NFHS-4 की तुलना में काफी बढ़ा है. कार्यक्रम में अधिकारियों ने बताया कि किस प्रकार दो बच्चों के जन्म में कुछ वर्ष का अंतराल रहे तो बच्चे और मां के सेहत पर इसका कितना फायदा होता है. साथ हीं प्रदेश का प्रजनन दर भी कम होता है.

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