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Karpoori Jayanti: कर्पूरी जयंती पर RJD ऑफिस से बड़े नेता नदारद, माल्यार्पण कर तेजस्वी भी तुरंत निकले

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Published : Jan 24, 2023, 1:33 PM IST

Karpoori Thakur Birth Anniversary

बिहार में आरेजडी ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर बड़ी तैयारी की है. राज्य, देश और संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है लेकिन आरेजडी कार्यालय में इस मौके पर कुछ खास आयोजन देखने को नहीं मिला. अचानक जब तेजस्वी यादव कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे तो पार्टी का कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था.

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

पटना:आज जननायक कर्पूरी ठाकुर की 99वीं जयंती है. इसको लेकर राजद कार्यालय में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहुंचे और कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान तेजस्वी ने मीडिया से दूरी बनाए रखी. उसके बाद तेजस्वी राजद कार्यालय से रवाना हो गए.

पढ़ें- Karpoori Thakur Birth Anniversary: RJD की बड़ी तैयारी, क्या वोट बैंक साधने पर है नजर?

तेजस्वी यादव ने कर्पूरी ठाकुर को दी श्रद्धांजलि: आपको बता दें कि राजद कार्यालय में पहले कर्पूरी जयंती के अवसर पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था लेकिन इस बार कार्यालय के अंदर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला. राजद के कई नेता राजद कार्यालय में जरूर मौजूद थे लेकिन उन्हें पता ही नहीं था कि तेजस्वी यादव कब आएंगे और माल्यार्पण करेंगे.

RJD ऑफिस में नहीं था कोई बड़ा नेता: तेजस्वी यादव अचानक आरजेडी कार्यालय पहुंचे. राजद का बड़ा नेता कार्यालय में मौजूद नहीं था. तेजस्वी यादव राजद कार्यालय के बाहर लगे कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यालय से बाहर निकलते नजर आए. पूरी विचारधारा को आगे बढ़ाने के नाम पर राजनीति करने वाले राष्ट्रीय जनता दल के द्वारा पहली बार कोई बड़ा कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है.

RJD की तैयारी:वैसे राष्ट्रीय जनता दल इस बार बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जयंती(Karpoori Thakur Birth Anniversary) पर राज्य, देश और संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. इस कार्यक्रम के तहत पार्टी प्रदेश के सभी 540 प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित कर रही है. उसमें राजद के प्रतिनिधि, कार्यकर्ताओं को यह संदेश देंगे कि किस तरह देश का संविधान खतरे में है? जानकारी के अनुसार इसको लेकर एक विशेष आलेख भी पार्टी की तरफ से छपवाया गया है.

OBC वोट बैंक पर नजर : गौरतलब है कि राज्य की राजनीति में जाति का गणित काफी अहम है. एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि चुनाव के अंतिम दिन विकास पर जातिगत समीकरण भारी पड़ता है. प्रदेश में सबसे अहम भूमिका में पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय में आने वाली जातियां हैं. जिसके सहारे नीतीश कुमार लंबे अरसे से अपना शासन चला रहे हैं. 2020 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की एक अनुमान के अनुसार बिहार की आधी जनसंख्या ओबीसी है. इसके अलावा राज्य में दलित और मुसलमान भी बड़े समुदाय हैं.

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