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छठ में पारंपरिक गीतों का ही महत्व, रैप सॉन्ग से खत्म हो जाता है श्रद्धाभाव: दीपक ठाकुर

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Published : Oct 28, 2022, 9:53 AM IST

छठ महापर्व के मौके पर पटना पहुंचे दीपक ठाकुर ने कहा कि उनका नया छठ गीत 'जय हो छठी मैया' (chhath song jai ho chahi maiya) में पारंपरिक धुन और तान है, गाने की शूटिंग पटना के दीघा घाट और बिहार के कई घाटों पर की गई है. ये गीत गांव के छठ से जुड़ी हुई स्मृतियां को याद दिला रहा है.

गीतकार दीपक ठाकुर
गीतकार दीपक ठाकुर

पटनाःलोक आस्था केमहापर्व छठ (Chhath Puja in Bihar) का समय चल रहा है और बिहार यूपी के साथ-साथ देश और विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से छठ पर्व मनाया जा रहा है. चारों तरफ छठी मैया के गाने सुनाई दे रहे हैं. ऐसे में बिग बॉस फेम बिहार के गीतकार दीपक ठाकुर (Lyricist Deepak Thakur) का गाया हुआ गाना 'जय हो छठी मैया' भी काफी लोकप्रिय हो रहा है. यह गाना सेलेब्रेनिया स्टूडियो से रिलीज हुआ है, जिसमें दीपक ठाकुर और प्रिया मलिक ने अपनी आवाज दी है और गाने के बोल विकास चौहान ने लिखे हैं.

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पटना के दीघा घाट पर गाने की शूटिंग ःछठ महापर्व के इस गाने को मिल रही सफलता को लेकर गुरुवार को पटना में दीपक ठाकुर ने प्रेस वार्ता किया और इस दौरान उन्होंने बताया कि इस गाने में पारंपरिक धुन और तान है, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है. गाने की शूटिंग पटना के दीघा घाट और बिहार के कई घाटों पर की गई है. दीपक ने बताया कि गाने के बोल 'अईंहें विदेशवा से बबुआ जईहें छठी माई के घाट' लोगों में गांव के छठ से जुड़ी हुई स्मृतियां को याद दिला रही है. इस दौरान दीपक ठाकुर ने जय हो छठी माई गाने के बोल भी गुनगुनाए.

गीत के माध्यम से दर्शाई है छठ पूजाः दीपक ने बताया कि बचपन से जो देखते आ रहे हैं कि छठ के समय 4 दिनों के महापर्व में जो पूरी प्रक्रिया होती है, उस पूरी प्रक्रिया को उन्होंने गीत के माध्यम से दर्शाया है. छठ के समय कई नए कलाकारों ने रैप सॉन्ग छठ को लेकर गए हैं, ऐसे में छठ के गानों को रैप के कलेवर में लाने के सवाल पर दीपक ठाकुर ने कहा कि यह कोई तुक नहीं बनता कि छठ गीत में कोई रैप कर दे, गाने में अंग्रेजी का लाइन डाल दे, इससे गीत की जो भावना होती है वह खत्म हो जाती है और छठ के समय छठ गीतों से ही एक अलग भाव जग जाता है.

"छठ हमारी संस्कृति को बताता है. सभी उगते सूरज को पूजा करते हैं लेकिन हमारी संस्कृति में डूबते सूरज की भी पूजा की जाती है. छठ पर्व में प्रकृति को सम्मान दिया जाता है. प्रकृति से ही हम लोग पल बढ़ रहे हैं. कोई भी जब हमारा एक काम कर देता है तो उसे हम थैंकयू कह देते हैं और जब प्रकृति को सम्मान देने का एक दिन छठ महापर्व आता है तो उसने जो पारंपरिक चीज हैं जो धुन हैं उसे बरकरार रखा जाए. इससे छठ महापर्व का वह भाव बरकरार रहता है"- दीपक ठाकुर, गीतकार

'कुछ चीजों से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए':दीपक ठाकुर ने कहा कि आज भी पद्मश्री शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत सबसे ज्यादा सुने जाते हैं क्योंकि उसमें परंपरा और प्रकृति दोनों का समावेश है. दीपक ठाकुर ने कहा कि कुछ चीजों से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और कुछ चीजें मौके पर ही अच्छी लगती है. लोग रैप सॉन्ग गाए अंग्रेजी मिक्स गाना गाए अच्छी बात है, लेकिन जब छठ का गाना हो तो उसे पारंपरिक धुन में ही गाए. अगर छठ के गानों में कोई उटपटांग चीज डाल दे रहा हैं, तो इससे गाने में फील नहीं आता है. उन्होंने कहा कि छठ के गाने में कोई अगर रैपिंग कर रहा है तो वह फेमस होने के लिए शॉर्टकट अपना रहा है. ऐसे गायक आओ सनम जाओ सनम की तरह होते हैं जो कुछ दिनों के लिए सुर्खियों में आते हैं और फिर हमेशा के लिए गायब ही हो जाते हैं.

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