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लॉकडाउन में बढ़ गए साइबर फ्रॉड के मामले, अगर करते हैं ऑनलाइन खरीदारी तो आप के लिए ये खबर जरूरी है

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Published : Dec 10, 2020, 5:58 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 7:37 PM IST

पटना
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ऑनलाइन खरीद-बिक्री और लेन-देन बढ़ते चलन से लोगों की सुविधा बढ़ी है, तो इससे संबंधित फ्रॉड के मामलों में भी तेजी आई है. सोशल मीडिया से भी कई प्रकार के फ्रॉड लोगों के साथ होते हैं और ई-कॉमर्स बाजार भी साइबर क्राइम का एक बड़ा अड्डा है. सतर्क और जागरूक रहकर ही इससे बचा जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

पटनाःबिहार समेत पूरे देश में इन दिनों साइबर क्राइम में लगातार वृद्धि हो रही है. करोना काल में डिजिटल लेनदेन को बढ़ाने मिलने के बाद साइबर फ्रॉड के मामले में भी तेजी आई है. बैंक और प्रशासन की ओर से लगातार जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, फिर भी लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं. साइबर अपराधी लोगों को प्रलोभन देकर आसानी से फंसा लेते है और बैंक खाता खाली कर देते हैं. ग्राहकों को जब तक ठगे जाने के पता चलता है, तब तक देर हो चुकी होती है.

साइबर ठगी के तरीके

डिजिटल युग में बढ़ते साइबर क्राइम
देश तेजी से डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है. लोग खरीदारी के लिए वर्चुअल माध्यमों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. अगर आपको इसकी जानकारी है तो ये आपके लिए सहूलियत भरा हो सकता है, लेकिन ज़रा सी चूक आपको मुसीबत में भी डाल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि साइबर लुटेरे ऐसे ही मौकों की तलाश में रहते हैं. एक गलती आपका अकाउंट साफ कर देगी.

सावधानी के जरिए ही इस तरह के क्राइम से बच सकते हैं. बहुत सारे काम जो पहले फिजिकल तरीके से होते थे, वो अब डिजिटली होने लगे हैं. ऐसे में एहतियात रखना बहुत जरूरी है- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, आर्थिक अपराध इकाई

आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार का बयान

लॉकडाउन में बढ़े साइबर फ्रॉड के मामले
आर्थिक अपराध इकाई के पास हर साल साइबर फ्रॉड के करीबन 500 से 700 मामले आते हैं. जिसका निष्पादन किया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन लेन-देन में वृद्धि होने की वजह से धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े हैं. इस साल नवंबर तक साइबर अपराध के करीब 800 मामले सामने आ चुके हैं. आर्थिक अपराध इकाई के अनुसार 700 मामलों को निपटनारा कर लिया गया जबकि 100 मामलों की जांच प्रक्रिया में हैं.

सावधानी है जरूरी

बिहार में साइबर अपराधी लोगों को कुछ तरह लगा रहे चूना

केस-1

ऐसा ही कुछ हुआ पटना के रोशन कुमार के साथ हुआ. 22 नवंबर को राजीव नगर के रहने वाले रोशन के अकाउंट से 98 हजार रुपए निकाल लिए गए. ये राशि तीन किश्तों में डेबिट हो गई. पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक रोशन कुमार ने बताया कि उन्हें न तो कोई फोन आया था और न ही कोई मैसेज, ऐसे में ये धोखाधड़ी किस तरह से हुई उनकी समझ से परे है.

क्या कहता है आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई की माने तो ऐसे मामले में हैकर उपभोगता का बैंक अकाउंट हैक कर लेता है. किसी कंप्यूटर या मोबइल में नेट बैंकिंग के दौरान ग्राहक इसका शिकार बनते हैं.

एक्सपर्ट की राय

  • कंप्यूटर के माध्यम से नेट बैंकिंग के बाद साइन आउट करना ना भूलें
  • कोई भी अनाधिकृत ऐप मोबाइल में नहीं रखें
  • एप इंस्टॉल और उसे एक्सेस देते समय नियम-शर्तें पढ़ें
  • किसी अनजान नंबर से आए संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें
  • सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती करने से बचें
    सुरक्षा के टिप्स

केस-2
पटना के दानापुर के निकेत कुमार को ऑनलाइन पिज्जा मंगवाना महंगा पड़ गया. निकेत के अनुसार उन्होंने 22 नवंबर को ऑनलाइन पिज्जा ऑर्डर किया था. पेमेंट के लिए एक लिंक आया. लिंक पर क्लिक करते ही खाते से 29,998 रुपए ही निकासी कर ली गई.

क्या कहता है आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई का कहना है कि साइबर अपराधियों ने फ्रॉड के नए-नए तरीके इजाद किए हैं. कई फर्जी साइट बनाकर लोगों को सस्ते दामों पर चीजें उपलब्ध कराने का प्रलोभन दिए जाता है. उपभोगता लोभ में पड़कर उस साइट से खरीददारी करने लगते हैं. पेमेंट के लिए लिंक भेजा जाता है. उस लिंक पर पैमेंट के दौरान फ्रॉड तक बैंक अकाउंट की सारी जानकारी चली जाती है. फिर साइबर फ्रॉड ग्राहक को चूना लगा देता है.

एक्सपर्ट की राय

  • किसी भी अनाधिकृत ऐप को मोबाइल में ना रखें
  • किसी अनाधिकृत साइट से खरीदारी नहीं करें
  • ऑनलाइन खरीदारी के दौरान किसी प्रकार के लोभ में ना पड़ें
  • किसी अनजान नंबर से आए संदिग्ध लिंक पर क्लिक नहीं करें
    क्या कहते हैं एक्सपर्ट

केस-3
दानापुर के रजत राज के भी साइबर फ्रॉड के शिकार हुए हैं. वे दिल्ली में नौकरी के दौरान इसका शिकार बने थे. उनके मोबाइल नंबर एक फोन आया. उसमें कहा गया कि आपने एक एक्सयूवी कार जीती है. इसके लिए पहले आपको रजिस्ट्रेशन करना कराना होगा. उन्हें फोन पे के माध्यम से एक नंबर पर भुगतान करने को कहा गया. उन्होंने 4-4 हजार रुपए करके 8 किश्तों में भुगतान कर किया. 32 हजार रुपए ट्रांसफर करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो गए हैं.

क्या कहता है आर्थिक अपराध इकाई
आर्थिक अपराध इकाई की मानें तो साइबर फ्रॉड का यह सबसे आसान तरीका है. इसमें साइबर अपराधी लोगों को कार या कोई महंगी सामान जीतने का प्रलोभन देता है. इसके लिए उन्हें रजिस्ट्रेशन के नाम पर खाते में पैसे ट्रांसफर करने को कहा जाता है. पहले छोटी रकम मांगी जाती है. लोग आसानी से दे देते हैं. उस तरह से कई किश्ते में पैसे लिए जाते हैं. तीन-चार किश्त में पैसे देने के बाद लोगों को अहसास होता है कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं.

साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरव का बयान

एक्सपर्ट की राय

  • किसी भी प्रकार के प्रलोभन में ना पड़ें
  • किसी लोभ में पड़कर पैसे ट्रांसफर ना करें
  • किसी के भी साथ एटीएम का पिन या ओटीपी साझा न करें
  • एटीएम का पिन हमेशा बदलते रहें
    RBI की गाइडलाइन

साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए अपने स्तर से सावधानी बरतने की जरूरत है. तीनों केस में एक बात कॉमन है, तीनों पीड़ितों ने लापरवाही की और उसका अंजाम भुगता. उम्मीद है कि जांच के बाद उन्हें न्याय जरूर मिलेगा. लेकिन आप जागरूक रहें. ताकि ऐसी घटना आपके साथ न हो सके.

ठगी होने पर ये कदम उठाएं
Last Updated :Dec 15, 2020, 7:37 PM IST

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