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Bihar Caste Census: 'भाजपा जातिगत गणना का पक्षधर, महागठबंधन की मंशा ठीक नहीं'... विजय सिन्हा

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Published : Aug 2, 2023, 4:52 PM IST

बिहार में जातिगत गणना का रास्ता साफ हो चुका है. पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इसे फिर से शुरु कराने की अनुमति दे दी है. फैसले के बाद इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है. राजनीतिक दल एक दूसरे को कठघरे में खड़े करने में जुट गए हैं. महागठबंधन के नेता भाजपा पर जातीय गणना का शुरू से विरोध करने का आरोप लगा रहे हैं वहीं, भाजपा ने जातिगत गणना के पक्ष में आवाज बुलंद किया है.

विजय कुमार सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष
विजय कुमार सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष

विजय कुमार सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष.

पटना:बिहार में जातीय गणना के मामले में पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. अदालत के इस फैसले के बाद सरकार ने जाति आधारित गणना कराने को लेकर आदेश जारी कर दिया. पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. महागठबंधन के नेता बीजेपी को कठघरे में खड़े कर रहे हैं तो बीजेपी की तरफ से भी खुद को जातीय गणना का हिमायती बताया जा रहा है.

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"मेरी पार्टी जातिगत गणना के समर्थन में है. जब हमारी सरकार थी तभी जातिगत गणना को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था. जातिगत गणना के पक्षधर हम शुरू से हैं लेकिन महागठबंधन के लोग जातिगत गणना के बहाने दूसरे मुद्दों को लटकाना और भटकाना चाहते हैं."- विजय कुमार सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा

जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहता है महागठबंधनः विजय सिन्हा ने कहा कि जातिगत गणना सरकार कराएं, किसी ने नहीं रोका है. सरकार जल्द प्रकाशित भी करे. भाजपा नेता ने कहा कि राजद को जाति की नहीं परिवार की चिंता है. महागठबंधन के लोग जातिगत गणना के जरिए सियासी रोटी सेंकना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में विधि व्यवस्था की स्थिति बदतर है. हत्या, अपहरण, लूट, डकैती के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जातिगत जनगणना का बहाना लेकर महागठबंधन के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी के मुद्दे पर से लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं.

जातीय गणना पर अबतक क्या हुआ:9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की गई थी. 7 जनवरी 2023 से बिहार में जातीय गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी, दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ और 15 मई तक इसे पूरा करना था. इस बीच पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार के द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने जानना चाहा था कि क्या जातियों के आधार पर गणना व आर्थित सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है. कोर्ट के द्वारा ये भी पूछा गया था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है या नहीं.

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