पटना:बिहार की दो वैक्सीनेटर माया और वंदना ने रिकॉर्ड वैक्सीनेशन करके बिहार का नाम रोशन किया है. दोनों ने बिना थके, बिना रूके अपने मेहनत और जज्बे के बूते इस काम को अंजाम दिया है. इनके इसी योगदान को देखते हुए महिला दिवस यानी 8 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय सम्मानित करने जा रहा है.
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पटना में तैनात हैं वंदना और माया: बिहार की दोनों महिला वैक्सीनेटर पटना के गुरु नानक भवन स्थित वैक्सीनेशन सेंटर में तैनात हैं. इस वैक्सीनेशन सेंटर पर 24 घंटे वैक्सीन देने का काम होता है. इन दोनों महिला स्वास्थ्यकर्मी के नाम पर प्रदेश में सबसे अधिक वैक्सीन देने का रिकॉर्ड दर्ज है. यूपी के गाजीपुर की रहने वाली माया यादव ने पटना में स्वास्थ्य विभाग की नौकरी करते हुए अब तक 517 वैक्सीनेशन स्टेशन साइट में शामिल हुईं. जिसमें 273740 लोगों को वैक्सीनेट किया. जबकि गया की वंदना कुमारी ने 240 वैक्सीनेशन के स्टेशन साइट में शामिल होकर 217425 वैक्सीनेशन किया है. पटना जिला अधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह ने दोनों महिला स्वास्थ्यकर्मी को चयनित होने पर बधाई दी है. जिलाधिकारी ने कहा है कि इनका कार्य सराहनीय, अनुकरणीय और प्रेरणा स्रोत है.
अपने रिकॉर्ड पर क्या कहती हैं वंदना? ईटीवी से बातचीत में वैक्सीनेटर वंदना कुमारी ने कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके कार्य को पहचान मिल रही है. उन्हें इस बात पर बेहद गर्व है कि उन्हें सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने इस उपलब्धि में पूरे वैक्सीनेशन टीम को श्रेय दिया है. उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में लोगों को वैक्सीन लेने में झिझक थी और तब उनकी काउंसलिंग करनी पड़ती थी. तबीयत खराब होने पर भी दोनों ने कभी छुट्टी नहीं ली, उन्होंने लगातार सेंटर पर पहुंचने वाले लोगों को वैक्सीनेट करने का काम किया.
'कोरोना काल में भी वैक्सीनेशन के लिए हम तैयार रहते थे. कई बार वैक्सीनेशन में परेशानी आई लेकिन हमने लोगों को मोटीवेट करके वैक्सीनेशन कंप्लीट कराया. बीमारी में भी काम किया कभी छुट्टी नहीं ली. कभी सोचा नहीं था कि वो बिहार की नंबर वन वैक्सीनेटर बनेंगी' - वंदना, वैक्सीनेटर, हेल्थ वर्कर
माया का संदेश महिलाओं के नाम: माया यादव ने कहा कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है. इस सम्मान के लिए वह अपने सभी पदाधिकारियों का अभिवादन करती हैं. उन्होंने बताया कि कई बार वैक्सीनेशन में कठिनाइयां भी आई हैं. कई लोग सुई देखकर ही वैक्सीन लेने से डर जाते थे. ऐसे में उन लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित करना चुनौती था. उन्होंने कहा कि वह महिलाओं को संदेश देना चाहती हैं कि समाज के सभी क्षेत्रों में सामान अवसर मिल रहे हैं. ऐसे में अपनी झिझक को तोड़कर बाहर निकले.